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Bihar Politics: क्या जातीय जनगणना के बहाने बिहार में होगी जाति की गोलबंदी? BJP बोली- जातिवाद के झांसे में नहीं आएगी जनता

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 27, 2023, 10:35 AM IST

मुन्ना तिवारी अजित कुमार सिंह अश्निनी चौबे
मुन्ना तिवारी अजित कुमार सिंह अश्निनी चौबे

आजादी के 77 साल बाद भी विकास के मुद्दे को छोड़कर नेता जातीय आधार पर चुनावी लड़ाई को धार देने में जुटे हुए हैं. जैसी खेमाबंदी हो रही है, उससे लगता है कि बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव में जातीय जनगणना के बहाने जातीय ताकत दिखाने की बड़ी कोशिश होगी. जनगणना के बहाने वोट बैंक पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निगाहें हैं. पढ़ें पूरी खबर..

देखें रिपोर्ट

बक्सर: देश में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही 8 महीने की देरी है लेकिन बिहार में जातियों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए क्षेत्रीय दल अभी से ही जातियों का राग अलापना शुरू कर दिया है. बिहार में जिस गंगा-जमुनी तहजीब की बातें हमारे समाजवादी और वामदल कहते आये हैं, वह भी जातीय जकड़न से मुक्त नहीं हो पाया है.

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तीन दशक से दो लोगों के हाथों में सत्ता: जातीय जनगणना के बाद वैज्ञानिक तरीके से समाज में पिछड़े हुए लोगों को आरक्षण देकर उनके विकास करने की बात आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं. पिछले तीन दशक से उस बिहार पर उन्हीं लालू-राबड़ी और नीतीश कुमार अब तक राज करते आये हैं. जब 33 सालों में उनके लिए कुछ नहीं कर पाए तो पांच महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले क्या कर लेंगे, इसको लेकर सवाल है.

2024 की लड़ाई को धार देने की कोशिश में जदयू: 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई को धार देने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू पोल खोल अभियान चलाएगी. एक सितंबर से जेडीयू बीजेपी के खिलाफ 'पोल खोल' अभियान शुरू करेगी. इसके साथ ही पार्टी 1 से 5 सितंबर तक सभी जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस और 7 से 12 सितंबर तक कैंडल मार्च का आयोजन करेगी. पार्टी 15 से 20 सितंबर तक घरों पर काले झंडे लगाकर बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी.

ओबीसी वोट बैंक पर सभी की निगाहें: वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ थी. इसमें 82.69% हिंदू और 16.87% आबादी मुस्लिम समुदाय की है. वहीं, हिंदू जनसंख्या में 17% सवर्ण, 51% ओबीसी, 15.7% अनुसूचित जाति और करीब 1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति है. एक आकलन के अनुसार, बिहार में 14.4% यादव समुदाय, कुशवाहा यानी कोइरी 6.4%, कुर्मी 4% हैं. सवर्णों में भूमिहार 4.7%, ब्राह्मण 5.7%, राजपूत 5.2% और कायस्थ 1.5% हैं.

इंडिया गठबंधन के नेता बुन रहे जीत का सेहरा: 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की जीत के लिए महागठबंधन के नेता सेहरा बुनना शुरू कर दिया है. डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले विधायक अजित कुमार सिंह ने बताया कि बीजेपी के पास जितना वोट प्रतिशत है, उससे अधिक देश के तमाम विपक्षी पार्टियों का वोट प्रतिशत जोड़ दिया जाए तो हो जाएगा और हम आसानी से बीजेपी को चुनाव हरा देंगे. चुनाव जीतने के बाद संख्या बल के आधार पर हम सदन में अपना नेता भी चुन लेंगे.

"बीजेपी कितने प्रतिशत वोटों पर दावा करती है. ये तो सच है कि बीजेपी को जितनी वोट मिल रही है. उसके खिलाफ जो तमाम पार्टी है, उसके पास भी वोट बैंक हैं. सब मिल जाएगा तो बीजेपी का वोट प्रतिशत गिर जाएगी."- अजित कुमार सिंह, भाकपा विधायक

राहुल गांधी से बड़ा समाजवादी नेता कोई नहीं: कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी की मानें तो, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से बड़ा समाजवादी नेता पूरे देश में नहीं है. आज राहुल गांधी किसानों के खेतों, खलिहानों तक पहुंचकर उनकी चिंता कर रहे हैं. गरीबों का चिंता कर रहे हैं. हमारे पास तो पहले से राहुल गांधी का चेहरा उपलब्ध है. उनके नेतृत्व में 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का हैट्रिक लगाना तो दूर की बात है, पूरे देश में 50-60 सीटों पर बीजेपी सिमट जाएगी.

"राहुल गांधी हैं, मल्लिकार्जुन खरगे हैं. ऐसे समाजवादी नेता देश में और नहीं है. राहुल गांधी जनता के बीच जा रहे हैं. सब जगह जा रहे हैं, उनकी समस्याओं को देख रहे हैं. इसलिए इनसे बड़ा चेहरा कौन हो सकता है. मोदीजी 300 पार का सपना देख रहे हैं, कहीं 5060 पर न अटक जाएं."- मुन्ना तिवारी, कांग्रेस विधायक

बीजेपी का महागठबंधन पर हमला: वहीं केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने विपक्ष पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि 2024 में पीएम पद पर कोई वैकेंसी नहीं है. जिस गठबंधन का कोई दूल्हा ही नहीं है, वह नरेंद्र मोदी को रोकने की बात कर रहा है. ये बिना पेंदी के लोटा जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद से ऊपर नहीं उठ पाए, वह देश की क्या सेवा करेंगे.

"बिना पेंदी के सब लोग हैं. अब ये लोग जातिवाद, भ्रष्टाचार वाद, खानदानवाद के रक्षक हैं. सभी कांग्रेस की गोद में सोए हैं, कांग्रेस अपना खेल कर रही है. कांग्रेस उनकी अंतिम दुर्गति कराएगी."- अश्विनी चौबे, केंद्रीय मंत्री

चुनाव के नतीजे बताएंगे हकीकत: गौरतलब है कि देश की तमाम राजनीतिक पार्टी के नेताओं की निगाहें ओबीसी वोट बैंक पर टिकी हुई है. 2014 और 2019 में यह वोट बैंक जिस तरह से नरेंद्र मोदी पर अपना भरोसा जताया है, उस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए विपक्ष हर संभव कोशिश कर रहा है. अब देखना है कि कौन सी पार्टी इस वोट बैंक को अपने पाले में कर पाती है.

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