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बक्सर में यूरिया की किल्लत, खाद के लिए यूपी पर निर्भर हुए किसान

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Published : Feb 5, 2022, 3:43 PM IST

Updated : Feb 5, 2022, 5:01 PM IST

बक्सर में यूरिया की किल्लत
बक्सर में यूरिया की किल्लत

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह के गृह जिले बक्सर में यूरिया की किल्लत (Shortage of Urea in Buxar) के कारण 266 रुपए की यूरिया रात के अंधेरे में 500-600 रु में एक बोरी बेची जा रही है. शिकायत के बावजूद इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. आलम ये है कि किसान खाद के लिए यूपी पर निर्भर (Farmers Depend on UP for Fertilizer) हो गए हैं. वहीं, खाद को बॉर्डर क्रॉस कराने के लिए सिपाहियों को भी 50 रुपए कमीशन देना पड़ता है.

बक्सर: रबी सीजन में इन दिनों गेहूं की खेती हो रही है, लेकिन बक्सर में यूरिया की किल्लत (Shortage of Urea in Buxar) है. जिस वजह से किसान परेशान हैं. खाद के लिए मारामारी इस हद तक है कि लोग उत्तर प्रदेश जाकर खाद की खरीदारी कर रहे हैं. जिले के बक्सर एवं डुमराव अनुमंडल के बक्सर, चौसा, सिमरी, डुमरांव, ब्रह्मपुर, राजपुर समेत जिले के सभी 11 प्रखण्डों के दर्जनों गांवों में 266 रुपए की यूरिया रात के अंधेरे में 500-600 रुपए बोरी किसानों को दुकानदार और डीलर बेच रहे है. उसके बाद भी किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है. मजबूरन बिहार के बक्सर जिले के किसान खाद के लिए यूपी पर निर्भर (Farmers Depend on UP for Fertilizer) हो गए हैं.

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देखें रिपोर्ट

नवंबर महीने से ही उत्तर प्रदेश के भरौली, बलिया, लक्ष्मणपुर, भांवरकोल, मिर्जाबाद, और गाजीपुर जिले से किसान यूरिया लाकर अपनी फसल को बचाने में लगे हुए हैं. किसानों का कहना है कि बॉर्डर पर तैनात सिपाही को भी कमीशन देना पड़ता है. एक बोरी यूरिया पर 50 रुपए का कमीशन उनको भी देना पड़ रहा है. जिले के किसानों ने बताया कि नवंबर में जब रबी फसल की बुआई करनी थी, उस समय कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को डीएपी मुहैया नहीं करा पाए. ऐसे में किसानों द्वारा किसी तरह खरपतवार और उत्तर प्रदेश से डीएपी लाकर खेतों की बुवाई की गई.

किसानों ने कहा कि उम्मीद थी कि आने वाले समय में स्थितियां सामान्य हो जाएगी और विभागीय अधिकारी अपने जिले में किसानों को उर्वरक उपलब्ध करा देंगे. लेकिन 2 माह से अधिक का समय गुजर गया, उसके बाद भी यूरिया नहीं मिल रहा है. अब तो गेंहू की फसल में बाली भी आने लगी है. जिस दुकानदार और डीलर के पास उर्वरक है. वह रात के अंधेरे में मनमाने दाम पर बेच रहे है. दिन के उजाले में जो किसान यूरिया लेने के लिए जा रहे हैं, उनसे जमीन की रसीद, किसान रजिस्ट्रेशन कार्ड, आधार कार्ड, एलपीसी और अन्य कई तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. उसके बाद भी लाइन में 8 घंटे तक खड़ा कराने के बाद भी यूरिया नहीं दिया जा रहा है. इसको लेकर जिला कृषि पदाधिकारी से लेकर तमाम अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया गया, उसके बाद भी किसी ने संज्ञान नहीं लिया.

वहीं, जब ईटीवी भारत संवाददाता किसान बनकर जिले के जगदीशपुर पंचायत के एक दुकानदार के यहां पहुचे तो 266 रुपए की यूरिया 480 रुपए में दुकानदार ने उपलब्ध कराया. जिसकी उसी समय सूचना जिलाधिकारी अमन समीर से लेकर जिला कृषि पदाधिकारी तक को दी गई. जिलाधिकारी ने जांच का आदेश भी दिया लेकिन विभागीय अधिकारियों ने पूरे मामले की लीपापोती कर दी. अधिकारियों के इस रवैये से परेशान कांग्रेस सदर विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी और डुमरांव के भाकपा माले विधायक अजित कुमार सिंह ने अधिकारियों को फटकार भी लगायी. इतना ही नहीं, जेडीयू नेताओ ने जिला कृषि कार्यालय के गेट पर विरोध प्रदर्शन भी किया. उसके बाद भी किसानों की समस्याओं को दूर नहीं किया गया.

किसान लालबिहारी गोंड़ ने बताया कि 40 वर्षो से खेती कर रहे हैं, लेकिन यूरिया की ऐसी किल्लत और कलाबाजारी हमने पहले कभी नहीं देखी. वहीं, उत्तर प्रदेश से यूरिया लेकर बक्सर आ रहे युवा किसान सोनू यादव और कुंदन यादव ने बताया कि पिछले 2 महीने से यूरिया के लिए दुकानदार से लेकर जिला कृषि पदाधिकारी तक का दरवाजा खटखटाया. बिस्कोमान में 8 घंटे तक कई दिनों लाइन में लगा, उसके बाद भी यूरिया खाद नहीं मिल पाया. मजबूरन उत्तर प्रदेश के भावर कोल से 266 रुपए की यूरिया 320 में लेकर आ रहे हैं. बॉर्डर पर तैनात सिपाहियों ने एक बोरी यूरिया पर 50 रुपए का कमीशन भी लिया, उसके बाद भी कम से कम इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि खेतों की फसल खराब होने से बच जाएगी.

प्रदेश के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह के गृह जिले बक्सर में 2 लाख 9 हजार रजिस्टर्ड किसानों के द्वारा 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर रबी फसल की बुवाई की गई है. विभागीय अधिकारी उन्हें उर्वरक तक नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं. जिस देश की 71 फीसदी आबादी कृषि और किसानी पर निर्भर है, उस देश के किसानों की यह हालत देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारी सरकार और सिस्टम में बैठे अधिकारी वास्तव में किसानों को लेकर कितनी गंभीर है. बता दें कि रबी फसल की बुवाई के लिए 36 हजार मीट्रिक टन यूरिया और 7 हजार 500 मीट्रिक टन डीएपी की प्रत्येक साल जरूरत होती है.

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Last Updated :Feb 5, 2022, 5:01 PM IST
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