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Buxar Thermal Power Plant निर्माण का विरोध, किसानों ने मुख्य गेट को जाम कर दिया धरना

बक्सर के चौसा में निर्माणधीन पावर प्लांट के मुख्य गेट को किसानों के एक गुट ने जाम (Farmer protest in Buxar) कर दिया. जिस कारण कई घंटों तक पावर प्लांट का कार्य प्रभावित रहा. प्रदर्शन के दौरान आक्रोशित किसानों का कहना था कि कंपनी और जिला प्रशासन किसानों से नहीं बल्कि नेताओं से बात कर रही हैं. पिछले एक साल से कंपनी द्वारा किसानों से कोई संपर्क नहीं किया गया है.

Farmer protest against Thermal power plant construction in Buxar
बक्सर में थर्मल पावर प्लांट निर्माण का विरोध
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 10, 2023, 2:59 PM IST

बक्सर : बिहार के बक्सर में चौसा थर्मल पावर प्लांट निर्माण को लेकर प्रशासन और किसानों के बीच का विवाद अब तक जारी है. इस विवाद के कारण जिले भर में माहौल गरमाया हुआ है. इस बीच एक बार फिर से किसानों द्वारा निर्माणधीन पावर प्लांट के मुख्य गेट को जाम कर प्रदर्शन किया गया. ऐसे में काम करने आए मजदूर डर से वापस लौट गए. प्रदर्शन के कारण एक दिन का काम पूरी तरह से ठप रहा. हालांकि बाद में अनुमंडल पदाधिकारी की इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद वह पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और किसानों को समझा बुझा कर वहां से वापस हटाया. इस दौरान नाराज किसान काफी देर तक उचित मुआवाजे की भुगतान को लेकर अपनी मांग पर अड़े रहे.

इसे भी पढ़े- Buxar Thermal Power Project: चौसा पावर प्लांट से छटेंगे संकट के बादल! समन्वय समिति के गठन पर किसानों ने जताई खुशी

कुछ ही दिन ही कई मुद्दों पर बनी थी सहमति: इस परियोजना से प्रभावित किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ ही दिन पहले ही समन्वय समिति का गठन किया गया था. जिसमे प्रभावित किसानों, पावर प्लांट के कर्मियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों को शामिल किया गया था. जहां समाहरणालय सभागर में पहले दौर की सफल बैठक होने के बाद दूसरी बैठक 19 अक्टूबर को होनी थी. उससे पहले ही किसानों ने बिना अनुमति के पावर प्लांट की गेट को जाम कर दिया. जिससे जिला प्रशासन के अधिकारी भी हैरान है.

किसानों के अलग-अलग गुट की अलग-अलग मांग: दरअसल, चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के प्रभावित किसानों के अलग-अलग गुटों के द्वारा अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर लगातार थर्मल पावर प्लांट के निर्माण कार्य का विरोध किया जा रहा है. पहले तो किसान उचित मुआवजे की मांग को लेकर अड़े हुए थे, लेकिन बाद में जब यह मामला एलआर कोर्ट में चला गया तो किसान क्षेत्र के विकास में एसटीपीएल के योगदान तथा अन्य मुद्दों को लेकर विरोध करना शुरू कर दिये है. जबकि क्षेत्र के विकास के लिए कम्पनी द्वारा पूर्व में किये गए वादे को पूरा करने के लिए समन्वय समिति के बैठक में अधिकारियो ने कम्पनी के कर्मीयो को स्पष्ट रूप से हिदायत करते हुए कह दिया था. उसके बाद भी किसानों का यह विरोध प्रशासन के समझ से परे.

19 अक्टूबर को होनी थी समन्वय समिति की बैठक: समन्वय समिति में शामिल किसानों के एक बुद्धिजीवी वर्ग ने पिछले ही दिनों समाहरणालय सभागार में आयोजित बैठक में शामिल होकर यह कहा था कि 19 अक्टूबर को एक बार फिर समन्वय समिति की बैठक हो जिसमें थर्मल पावर प्लांट के अधिकारी यह बताएं कि जो वादे उन्होंने किए थे उनमें से कितने पूरे हुए और जो नहीं पूरे हुए उन्हें कब तक पूरा किया जाएगा.

''क्षेत्र के विकास में जो वादे किए गए हैं वह वादे कंपनी को पूरे करने ही होंगे. कंपनी के अधिकारियों को लिखित रूप में कुछ सवाल दिए गए थे जिनके जवाब के साथ कंपनी के अधिकारी 19 अक्टूबर को पुन: बैठक में शामिल होने के लिए एसडीएम ने निर्देश दिया था. लेकिन तब तक किसानों के एक दूसरे गुट ने थर्मल पावर प्लांट के गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. जिससे मजदूर प्लांट के अंदर प्रवेश नही कर पाए और कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया.''- धीरेंद्र कुमार मिश्रा, अनुमंडल पदाधिकारी

क्या कहते हैं अधिकारी: धरना स्थल पर दलबल के साथ पहुंचे एसडीम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि, प्रशासन ने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए समन्वय समिति के माध्यम से एक मंच उपलब्ध कराया था. जहां किसान खुलकर अपनी बात रखे थे. दूसरी बैठक भी 19 को होनी थी. लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना और अनुमति के गेट को जाम कर दिया गया. अगर कोई नई समस्या थी तो 19 तारीख को होने वाले बैठक में रखते. इससे तो और काम प्रभावित हो रहा है. योजना समय से चालू ही नही होगा तो क्षेत्र का विकास कैसे होगा.

क्या कहते हैं किसान: धरना प्रदर्शन में शामिल किसान अश्विनी ने बताया कि 17 अक्टूबर 2022 को हम अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन की शुरुआत किये थे. एक साल तक कम्पनी के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी और ना ही हम किसानों से बात करने के लिए कोई आया. जिन किसानों को समन्वय समिति में शामिल किया गया है. वह किसान कम नेता ज्यादा है. खुद को लाभ उठाने के लिए प्रशासन और कम्पनी दोनों का जिहजुरी कर रहे है. जबकि उनको किसानों से कोई मतलब ही नही है. मजबूरी में आज हमलोगों ने मुख्य गेट को जाम किया. यह धरना प्रदर्शन तब तक इस गेट पर से नहीं हटेगा जब तक हमारी समस्या का निदान नहीं हो जाता है.

बक्सर : बिहार के बक्सर में चौसा थर्मल पावर प्लांट निर्माण को लेकर प्रशासन और किसानों के बीच का विवाद अब तक जारी है. इस विवाद के कारण जिले भर में माहौल गरमाया हुआ है. इस बीच एक बार फिर से किसानों द्वारा निर्माणधीन पावर प्लांट के मुख्य गेट को जाम कर प्रदर्शन किया गया. ऐसे में काम करने आए मजदूर डर से वापस लौट गए. प्रदर्शन के कारण एक दिन का काम पूरी तरह से ठप रहा. हालांकि बाद में अनुमंडल पदाधिकारी की इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद वह पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और किसानों को समझा बुझा कर वहां से वापस हटाया. इस दौरान नाराज किसान काफी देर तक उचित मुआवाजे की भुगतान को लेकर अपनी मांग पर अड़े रहे.

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कुछ ही दिन ही कई मुद्दों पर बनी थी सहमति: इस परियोजना से प्रभावित किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ ही दिन पहले ही समन्वय समिति का गठन किया गया था. जिसमे प्रभावित किसानों, पावर प्लांट के कर्मियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों को शामिल किया गया था. जहां समाहरणालय सभागर में पहले दौर की सफल बैठक होने के बाद दूसरी बैठक 19 अक्टूबर को होनी थी. उससे पहले ही किसानों ने बिना अनुमति के पावर प्लांट की गेट को जाम कर दिया. जिससे जिला प्रशासन के अधिकारी भी हैरान है.

किसानों के अलग-अलग गुट की अलग-अलग मांग: दरअसल, चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के प्रभावित किसानों के अलग-अलग गुटों के द्वारा अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर लगातार थर्मल पावर प्लांट के निर्माण कार्य का विरोध किया जा रहा है. पहले तो किसान उचित मुआवजे की मांग को लेकर अड़े हुए थे, लेकिन बाद में जब यह मामला एलआर कोर्ट में चला गया तो किसान क्षेत्र के विकास में एसटीपीएल के योगदान तथा अन्य मुद्दों को लेकर विरोध करना शुरू कर दिये है. जबकि क्षेत्र के विकास के लिए कम्पनी द्वारा पूर्व में किये गए वादे को पूरा करने के लिए समन्वय समिति के बैठक में अधिकारियो ने कम्पनी के कर्मीयो को स्पष्ट रूप से हिदायत करते हुए कह दिया था. उसके बाद भी किसानों का यह विरोध प्रशासन के समझ से परे.

19 अक्टूबर को होनी थी समन्वय समिति की बैठक: समन्वय समिति में शामिल किसानों के एक बुद्धिजीवी वर्ग ने पिछले ही दिनों समाहरणालय सभागार में आयोजित बैठक में शामिल होकर यह कहा था कि 19 अक्टूबर को एक बार फिर समन्वय समिति की बैठक हो जिसमें थर्मल पावर प्लांट के अधिकारी यह बताएं कि जो वादे उन्होंने किए थे उनमें से कितने पूरे हुए और जो नहीं पूरे हुए उन्हें कब तक पूरा किया जाएगा.

''क्षेत्र के विकास में जो वादे किए गए हैं वह वादे कंपनी को पूरे करने ही होंगे. कंपनी के अधिकारियों को लिखित रूप में कुछ सवाल दिए गए थे जिनके जवाब के साथ कंपनी के अधिकारी 19 अक्टूबर को पुन: बैठक में शामिल होने के लिए एसडीएम ने निर्देश दिया था. लेकिन तब तक किसानों के एक दूसरे गुट ने थर्मल पावर प्लांट के गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. जिससे मजदूर प्लांट के अंदर प्रवेश नही कर पाए और कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया.''- धीरेंद्र कुमार मिश्रा, अनुमंडल पदाधिकारी

क्या कहते हैं अधिकारी: धरना स्थल पर दलबल के साथ पहुंचे एसडीम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि, प्रशासन ने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए समन्वय समिति के माध्यम से एक मंच उपलब्ध कराया था. जहां किसान खुलकर अपनी बात रखे थे. दूसरी बैठक भी 19 को होनी थी. लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना और अनुमति के गेट को जाम कर दिया गया. अगर कोई नई समस्या थी तो 19 तारीख को होने वाले बैठक में रखते. इससे तो और काम प्रभावित हो रहा है. योजना समय से चालू ही नही होगा तो क्षेत्र का विकास कैसे होगा.

क्या कहते हैं किसान: धरना प्रदर्शन में शामिल किसान अश्विनी ने बताया कि 17 अक्टूबर 2022 को हम अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन की शुरुआत किये थे. एक साल तक कम्पनी के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी और ना ही हम किसानों से बात करने के लिए कोई आया. जिन किसानों को समन्वय समिति में शामिल किया गया है. वह किसान कम नेता ज्यादा है. खुद को लाभ उठाने के लिए प्रशासन और कम्पनी दोनों का जिहजुरी कर रहे है. जबकि उनको किसानों से कोई मतलब ही नही है. मजबूरी में आज हमलोगों ने मुख्य गेट को जाम किया. यह धरना प्रदर्शन तब तक इस गेट पर से नहीं हटेगा जब तक हमारी समस्या का निदान नहीं हो जाता है.

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