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Buxar Farmer Compensation:'किसानों को 2013-14 नहीं बल्कि साल 2021 की दर से मिलता है मुआवजा, कुछ लोग कर रहे दिग्भ्रमित'

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Published : Jan 16, 2023, 4:59 PM IST

Buxar Farmer Protest
Buxar Farmer Protest

बक्सर के चौसा के किसानों को पुराने नहीं बल्कि अद्यतन दर से मुआवजा दिया जा रहा है. किसान भाइयों को भ्रमित किया जा रहा है. अगर अब भी आपत्ति है तो वह आपत्ति के साथ मुआवजा ले सकते हैं और अतिरिक्त मुआवजे के लिए अपील भी कर सकते हैं. जो भी निर्दोष लोग हैं उनको कोई नुकसान नहीं होगा. ये बातें बक्सर के डीएम अमन समीर ने कही हैं.

बक्सर के डीएम अमन समीर

बक्सर: बिहार के बक्सर में किसानों के आंदोलन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. चौसा में निर्माणाधीन पावर प्लांट के जमीन अधिग्रहण के एवज में किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलने के मामले में कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर डीएम अमन समीर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि किसानों को लैंड एक्विशन एक्ट के तहत मुआवजा दिया जा रहा है.

पढ़ें- बड़ा एक्शन: बक्सर में किसानों पर लाठीचार्ज मामले में दोषी पुलिसकर्मी लाइन हाजिर, थानेदार को हटाया गया

'मुआवजा लैंड एक्विशन एक्ट के अनुसार': डीएम अमन समीर ने कहा कि मुआवजे को लेकर विवाद सामने आया था. किसानों द्वारा कहा जा रहा है कि 2013-14 के दर से मुआवजा दिया जा रहा है, यह सही नहीं है. इस संबंध में पहले भी मैंने बताया था कि तीन ग्रुप से अलग-अलग वार्ता हो चुकी है. मीडिया के माध्यम से मैं साफ कर देना चाहता हूं कि यह बातें कहीं जा रही हैं कि किसी को ओल्ड रेट से मुआवजा दिया जा रहा है लेकिन ऐसा नहीं है. मुआवजा लैंड एक्विशन एक्ट के अनुसार दिया जाता है.

"मुआवजा देने की प्रक्रिया होती है. जब जमीन को खरीदने का नोटिफिकेशन करते हैं. उससे विगत तीन साल पूर्व रजिस्ट्री ऑफिस में जिस दर में खरीद बिक्री होती है, उसी आधार पर आस-पास की जितनी भी जमीन है, उनकी बिक्री का क्या रेट है उसमें से हम परसेंटेज निकालते हैं. उसमें से टॉप 50 प्रतिशत का जो सेल डीड होता है, दाम के हिसाब से हम एवरेज निकालते हैं और उसका चार गुणा मुआवजा दिया जाता है."- अमन समीर, डीएम

'किसानों को बरगलाने की कोशिश': मीडियाकर्मियों से बात करते हुए डीएम ने बताया कि चौसा थर्मल पावर से संबंधित रेल कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन में मुआवजा राशि की गणना बिहार भू अर्जन अधिनियम 2013 के प्रावधानों के तहत की गई है. रेल कॉरिडोर के लिए भूमि मुआवजे की राशि की गणना उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर निर्धारण कमेटी द्वारा अधिसूचना की तिथि दिनांक 10 अप्रैल 2021 से तीन वर्ष पूर्व की तिथि अर्थात 11 अप्रैल 18 की तिथि के बीच में निबंधन कार्यालय में उपलब्ध मौजावार उक्त अवधि के खरीद बिक्री के आंकड़ों के आधार पर की गई है.

किसानों को ऐसे दिया गया मुआवजा: उन्होंने और भी विस्तार से बताते हुए कहा कि वर्ष 2018 से वर्ष 2021 के बीच में उस क्षेत्र में जो भी जमीन बेची और खरीदी गई है उन सब में 50 फीसद उच्चतम दर से खरीदी और बेची गई जमीनों की एमवीआर का औसत निकाला गया है. जिसके अनुरूप भूमि दाताओं को भुगतान किया जा रहा है. इसी प्रकार से वाटर कॉरिडोर में भूमि मुआवजे की राशि की गणना दर निर्धारण कमेटी द्वारा अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि 24 सितंबर 2020 से तीन वर्ष पूर्व 25 मार्च 2017 की तिथि के बीच में निबंधन कार्यालय में उपलब्ध मौजावार खरीद बिक्री के आंकड़ों के आधार पर की गई है.

बिहार भू अर्जन अधिनियम के आलोक में दर निर्धारण में खरीद बिक्री के आंकड़ों में छद्म आंकड़ों(एमवीआर का दो गुना से अधिक) को छोड़ते हुए उच्चतर 50 फीसद को शामिल किया गया है. इन उच्चतर 50 फीसद खरीद-बिक्री के आंकड़ों का औसत मूल्य दर का निर्धारण किया गया है. उक्त तरीके से निकाले गए दर को दो गुणा करते हुए अतिरिक्त 100 फीसद सोलेशियम राशि जोड़ते हुए मुआवजा राशि दी गई है, जो उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार है. अर्थात अधिसूचना की तिथि से तीन वर्ष पूर्व से लेकर अधिसूचना की तिथि तक के उच्चतर 50 प्रतिशत औसत मूल्य (छद्म आंकड़ों को छोड़कर) का चार गुना मुआवजा राशि प्रत्येक सन्निहित मौजों में दर निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित की गई है. इसके अतिरिक्त अधिसूचना की तिथि से लेकर अवार्ड घोषित करने की तिथि तक 12 फीसद सालाना ब्याज भी मुआवजा राशि में जोड़ा गया.

'पावर प्लांट में मिलेगा रोजगार': उन्होंने पावर प्लांट में स्थानीय लोगों के रोजगार दिए जाने के सवाल पर भी गंभीरता दिखाते हुए कहा कि इसके बारे में पावर प्लांट के अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी और स्थानीय लोगों को प्लांट में रोजगार मिले यह भी सुनिश्चित कराया जाएगा. हालांकि उन्हीं के पहल पर यहां लार्सन एंड टूब्रो के द्वारा एक प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है जहां और कुशल श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें कुशल बनाया जाता है. इन्हीं कुशल श्रमिकों को बाद में आवश्यकतानुसार पावर प्लांट पर नौकरी दी जाएगी. प्रशिक्षण का उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. खास बात यह है कि उनसे यहां प्रशिक्षण का शुल्क नहीं लिया जाता और उनके साथ ही यह बाध्यता नहीं है कि वह यही नौकरी कर सकते हैं. वह यदि किसी और कंपनी में कहीं और नौकरी करना चाहते हैं तो वहां भी इसी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर सकते हैं.

डीएम की किसानों से अपील: जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि वह हर हाल में किसानों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि सभी प्रभावित भू-धारकों से यह अनुरोध है कि वह मुआवजे की राशि के लिए आवेदन अंचल कार्यालय चौसा स्थित कैंप अथवा जिला भू अर्जन कार्यालय बक्सर में मुआवजा भुगतान हेतु अपना आवेदन दे सकते हैं. उन्हें एमवीआर का चार गुना अधिक भुगतान किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसानों को अब भी आपत्ति है तो वह आपत्ति के साथ मुआवजा ले सकते हैं और अतिरिक्त मुआवजे के लिए अपील में जा सकते हैं.

बक्सर में किसान आंदोलन : गौरतलब है कि चौसा में एसजेवीएन द्वारा पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था. उसको लेकर पिछले कई महीनों से आंदोलन चल रहा है. आरोप है कि मंगलवार यानी 10 जनवरी की देर रात पुलिस ग्रामीणों के घर में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर लाठीचार्ज (Lathi charge on farmers in Buxar) किया. जिसमें कई लोग घायल हो गए. इस मामले में प्रदेश की सियासत चरम पर है.

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