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तीसरे दिन खुला चौबे जी का चिट्ठा! फोन बजते ही एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन वाले बयान से पलट गए DTO साहब

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के द्वारा एक ही एंबुलेस का 4 बार उद्घाटन किए जाने के मामले में एक नया मोड़ आया है. गाड़ियों का निबंधन नहीं होने का बयान देने वाले जिला परिवहन पदाधिकारी ने अब अपना बयान बदल लिया है. जो कहीं न कहीं अश्विनी चौबे की सत्ता की हनक को दिखाता है. देखिए पूरी रिपोर्ट...

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Published : May 24, 2021, 9:11 PM IST

Updated : May 24, 2021, 11:01 PM IST

अश्विनी चौबे एंबुलेंस मामला
अश्विनी चौबे एंबुलेंस मामला

पटनाः एक ही एंबुलेंस का चार बार उद्घाटन करके विवादों में घिरे केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे की सत्ता की हनक के आगे कहीं न कहीं जिला प्रशासन भी झुक गया है. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए BS-4 मॉडल गाड़ियों के निबंधन के तहत एंबुलेंस का निबंधन नहीं किए जाने का दावा करने वाले जिला परिवहन पदाधिकारी के 72 घंटे के बाद ही सुर बदल गए हैं. वे अब मंत्रीजी के साख को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः एंबुलेंस कांड: अश्विनी चौबे की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए नेता जी, ईटीवी भारत के सवाल सुनकर छूटे पसीने

जिला परिवहन पदाधिकारी ने बदला बयान

पहला बयानः- गाड़ियों (एंबुलेस) का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कुछ लोग आए थे. उनको मैंने उन्हें बता दिया है कि मार्च 2019 में गाड़ियां खरीदी गई थी. और इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च 2020 तक होना था. एक साल में उन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए कोई दावा पेश नहीं किया. ये BS-4 मॉडल की गाड़ियां हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन गाड़ियों के परिचालन पर रोक है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही इस दिशा में कुछ किया जा सकता है, लेकिन अभी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है. और जांच के दौरान पकड़े जाने पर इन गाड़ियों पर कार्रवाई भी की जाएगी.

दूसरा बयानः- पहला बयान देने के बाद एक और मौके पर जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक अपने बयान पर काबिज रहे. उन्होंने कहा कि "बीएस-4 मॉडल की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में ही रोक लगा दी है. जब तक विभाग के द्वारा कोई नई गाइडलाइन जारी नहीं की जाती है, तब तक इस मॉडल की गाड़ियों का निबंधन नहीं हो पाएगा. धनुष फाउंडेशन से लेकर तमाम लोग प्रतिदिन आ रहे हैं, लेकिन उनको स्पष्ट बता दिया है कि इस मॉडल की गाड़ियों का निबंधन पूरे हिंदुस्तान में कहीं से नहीं होगा.''

बदला हुआ बयानः- रजिस्ट्रेशन के बारे उन्हें बताया गया है कि फिलहाल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर में उस तरह का प्रोविजन नहीं है. गाड़ियां अभी भी चल रही हैं. स्वास्थ्य विभाग स्तर पर 'वो'(अश्वनी चौबे) बात कर रहे हैं. बात करने के बाद दिशा-निर्देश के अनुसार काम किया जाएगा.

देखें वीडियो

दुर्घटना होने पर कौन होगा जिम्मेदार?
वहीं, जब इस मामले को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी से पूछा कि जब इस गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. जिस पर उन्होंने कहा था कि सबसे पहले धनुष फाउंडेशन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा. उसके बाद उसके बयान के आधार पर अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी. सड़क पर वह गाड़ी दिखेगी तो उसे जब्त भी किया जाएगा.

इसे भी पढ़ेंः 4 के चक्कर में फंसे चौबे जी! 4 बार उद्घाटन के बाद भी BS-4 मॉडल एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन पर पेंच

बयान बदलने के बाद गरमाई सियासत
जिला परिवहन पदाधिकारी के बयान बदलने के बाद राजपुर कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि 24 घंटे के अंदर बिना निबंधन के चल रही सभी एंबुलेंस को जब्त नहीं किया गया तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने सवाल पूछा कि क्या आम लोगों और मंत्रियों के लिए अलग-अलग कानून है?

निबंधन के लिए बनाया जा रहा दवाब
बता दें कि 3 दिन पहले ही ईटीवी भारत ने अपने विभागीय सूत्रों के हवाले से इस बात का खुलासा किया था कि कि सचिव और कमिश्नर स्तर के कई अधिकारी जिला परिवहन पदाधिकारी को फोन कर निबंधन करने के लिए दबाव बना रहे हैं. नतीजन अब तक एंबुलेंस का निबंधन तो नहीं हो पाया, लेकिन परिवहन पदाधिकारी ने अपना बयान बदल लिया.

पटनाः एक ही एंबुलेंस का चार बार उद्घाटन करके विवादों में घिरे केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे की सत्ता की हनक के आगे कहीं न कहीं जिला प्रशासन भी झुक गया है. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए BS-4 मॉडल गाड़ियों के निबंधन के तहत एंबुलेंस का निबंधन नहीं किए जाने का दावा करने वाले जिला परिवहन पदाधिकारी के 72 घंटे के बाद ही सुर बदल गए हैं. वे अब मंत्रीजी के साख को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.

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जिला परिवहन पदाधिकारी ने बदला बयान

पहला बयानः- गाड़ियों (एंबुलेस) का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कुछ लोग आए थे. उनको मैंने उन्हें बता दिया है कि मार्च 2019 में गाड़ियां खरीदी गई थी. और इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च 2020 तक होना था. एक साल में उन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए कोई दावा पेश नहीं किया. ये BS-4 मॉडल की गाड़ियां हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन गाड़ियों के परिचालन पर रोक है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही इस दिशा में कुछ किया जा सकता है, लेकिन अभी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है. और जांच के दौरान पकड़े जाने पर इन गाड़ियों पर कार्रवाई भी की जाएगी.

दूसरा बयानः- पहला बयान देने के बाद एक और मौके पर जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक अपने बयान पर काबिज रहे. उन्होंने कहा कि "बीएस-4 मॉडल की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में ही रोक लगा दी है. जब तक विभाग के द्वारा कोई नई गाइडलाइन जारी नहीं की जाती है, तब तक इस मॉडल की गाड़ियों का निबंधन नहीं हो पाएगा. धनुष फाउंडेशन से लेकर तमाम लोग प्रतिदिन आ रहे हैं, लेकिन उनको स्पष्ट बता दिया है कि इस मॉडल की गाड़ियों का निबंधन पूरे हिंदुस्तान में कहीं से नहीं होगा.''

बदला हुआ बयानः- रजिस्ट्रेशन के बारे उन्हें बताया गया है कि फिलहाल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर में उस तरह का प्रोविजन नहीं है. गाड़ियां अभी भी चल रही हैं. स्वास्थ्य विभाग स्तर पर 'वो'(अश्वनी चौबे) बात कर रहे हैं. बात करने के बाद दिशा-निर्देश के अनुसार काम किया जाएगा.

देखें वीडियो

दुर्घटना होने पर कौन होगा जिम्मेदार?
वहीं, जब इस मामले को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी से पूछा कि जब इस गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. जिस पर उन्होंने कहा था कि सबसे पहले धनुष फाउंडेशन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा. उसके बाद उसके बयान के आधार पर अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी. सड़क पर वह गाड़ी दिखेगी तो उसे जब्त भी किया जाएगा.

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बयान बदलने के बाद गरमाई सियासत
जिला परिवहन पदाधिकारी के बयान बदलने के बाद राजपुर कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि 24 घंटे के अंदर बिना निबंधन के चल रही सभी एंबुलेंस को जब्त नहीं किया गया तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने सवाल पूछा कि क्या आम लोगों और मंत्रियों के लिए अलग-अलग कानून है?

निबंधन के लिए बनाया जा रहा दवाब
बता दें कि 3 दिन पहले ही ईटीवी भारत ने अपने विभागीय सूत्रों के हवाले से इस बात का खुलासा किया था कि कि सचिव और कमिश्नर स्तर के कई अधिकारी जिला परिवहन पदाधिकारी को फोन कर निबंधन करने के लिए दबाव बना रहे हैं. नतीजन अब तक एंबुलेंस का निबंधन तो नहीं हो पाया, लेकिन परिवहन पदाधिकारी ने अपना बयान बदल लिया.

Last Updated : May 24, 2021, 11:01 PM IST
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