औरंगाबाद: कर्ज चुकाने के लिए युवक ने रची खुद के अपहरण की साजिश

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Published : Feb 2, 2020, 8:11 AM IST

औरंगाबाद

पुलिस अधीक्षक दीपक वर्णवाल ने बताया कि अपहृत युवक अपने प्रेमिका से 20 हजार रुपये का उधार लिया था. इस उधार को देने के लिए उसने खुद का ही अपहरण का साजिश रच लिया.

औरंगाबाद: जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक युवक अपनी प्रेमिका का उधार पैसा चुकाने के लिए खुद का ही अपहरण की साजिश रच लिया. लेकिन इस मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर दिया है.

मामला जिले के ओबरा थाने में रतवार गांव का है. बताया जा रहा है कि इस गांव के निवासी अखिलेश पाल ने अपने बेटे धर्मजीत पाल के अपहरण का मामला दर्ज कराया. अखिलेश पाल के अनुसार अपहरणकर्ताओं ने उनसे ढाई लाख रुपये की फिरौती मांगी थी, जिसमें उसने 50 हजार रुपये एक खाता में डाल भी दिया था. इसके बाद पुलिस इस मामले की छानबीन में जुट गई.

मामले का किया गया खुलासा
पुलिस अधीक्षक दीपक वर्णवाल ने बताया कि ओबरा थाने में एक अपहरण का मामला सामने आया. इसके बाद एक टीम का गठन किया गया. शिकायतकर्ता के बयान के आधार पुलिस को अपहृत युवक पर ही संदेह हुआ. छानबीन के बाद पूरा मामला का खुलासा किया गया.

पेश है रिपोर्ट

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अपहृत युवक पर मामला दर्ज
दीपक वर्णवाल ने बताया कि अपहृत युवक अपनी प्रेमिका से 20 हजार रुपये का उधार लिया था. इस उधार को देने के लिए उसने खुद का ही अपरहरण की साजिश रच लिया. पुलिस ने अपहृत युवक को गिरफ्तारी कर लिया है. साथ ही 50 हजार रुपये भी बरामद कर लिया गया है. इस अपरहरण के साजिश रचने को लेकर अपहृत युवक पर मामला दर्ज किया गया है.

Intro:संक्षिप्त- ओबरा थाने के रतवार गांव के रहने वाले हैं धर्मजीत पल ने अपनी ही अपहरण की झूठी कहानी गढ़कर पिता से ढाई लाख रुपए की डिमांड की । 50 हजार रुपए उसने प्राप्त भी कर लिए थे तभी पुलिस ने उनकी साजिश का भंडाफोड़ कर दिया।

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औरंगाबाद- अपनी प्रेमिका को उधार के पैसे चुकाने के चक्कर में युवक ने अपनी ही अपहरण की कहानी रच डाली और अपने पिता से 50 हजार रुपए की फिरौती भी प्राप्त कर लिया। लेकिन पिता द्वारा थाने में अपहरण का मामला दर्ज कराने के बाद पुलिस ने सारे मामले का खुलासा कर दिया।Body:प्रेमिका के उधार के पैसे चुकाने के लिए एक युवक ने अपनी ही अपहरण की साजिश रच दी और पिता से ढाई लाख रुपये की फिरौती की मांग कर दी। साजिश रचने के बाद युवक को बरामद कर पुलिस ने मामले का खुलासा किया। एसपी दीपक वर्णवाल ने बताया कि 25 जनवरी को ओबरा थाने में रतवार ग्राम निवासी अखिलेश पाल ने अपने बेटे धर्मजीत पाल के अपहरण का मामला दर्ज कराया था। उनके द्वारा अज्ञात लोगों पर अपहरण का आरोप लगाया गया था। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जिले की ओबरा थाना की पुलिस जांच में जुट गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि धर्मजीत पाल खुद ही अपनी अपहरण की साजिश रची थी जिसमें उसने अपने पिता के मोबाइल पर मैसेज भेज कर ढाई लाख रुपए की मांग की थी। इस मांग से घबराकर उसके पिता ने 50 हजार रुपए उसके खाते में डाले थे। जिसे उसने सासाराम स्थित एक एटीएम से निकाला था। जांच में जुटी पुलिस को पैसे निकालने की सूचना मिली तो एटीएम फुटेज के आधार पर उसे पहचान उसके पिता से कराया गया। हालांकि तब उसके पिता उसे पहचान नहीं पाए थे लेकिन पुलिस उसे पहचान रही थी और सन्देह कर रही थी। फिर भी पिता की बात सुनकर अनुसन्धान को आगे बढ़ाया गया। जिसके बाद औरंगाबाद जिले के रामनरेश देवरिया रेलवे हॉट के पास से गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान युवक ने पुलिस को कई बार गुमराह करने की कोशिश की।

करवन्दिया स्टेशन के पास मिट्टी में दबा कर रखा था पैसा

अपहरण की साजिश रचने के बाद पिता से मिले 50 हजार रुपए को धर्मजीत पाल ने सासाराम और डेहरी ऑन सोन के बीच में स्थित करवंदिया स्टेशन के समीप मिट्टी में दबा दिया था। पूछताछ के क्रम में उसने पुलिस को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद निशानदेही के आधार पर पुलिस ने संबंधित जगह पर जाकर 50 हजार रुपए बरामद किए। इसके अलावा पुलिस ने धर्मजीत के पास से भी 4 हजार रुपए बरामद किए। इसके अलावा उसने अपना पर्स व कागजात अनुग्रह नारायण रेलवे स्टेशन के पास फेंक दिया था उसे भी बरामद किया गया।

अलीगढ़ में रहने वाली प्रेमिका को देने थे पैसे

आरोपी युवक धर्मजीत पाल अलीगढ़ में रहता था । जहां उसे उसकी प्रेमिका से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। उसे उसकी प्रेमिका को 20 हजार रुपए देने थे और इसी 20 हजार रुपए को पाने के लिए अपने पिता के पास खुद की अपहरण की झूठी कहानी रच कर पैसे की डिमांड की।


इन धाराओं में हुआ मामला दर्ज

अपने स्वयं के झूठे अपहरण की साजिश रच पिता से पैसे ऐंठने के आरोप में धर्मजीत पाल के विरुद्ध ओबरा थाना कांड संख्या 20/2020 में भारतीय दंड विधान की धारा 384,386,419,420 और 201के तहत मामला पंजीबद्ध करके जेल भेज दिया गया है।

छापेमारी दल में थे शामिल

पुलिस अधीक्षक दीपक वर्णवाल के निर्देश के बाद एसडीपीओ राजकुमार तिवारी ने एक छापामार दल का गठन किया था जिसमें ओबरा थाना प्रभारी संजय कुमार, एसआई कृष्णा कुमार, टेक्निकल सेल के प्रभारी आनंद,
सिपाही सुरेश प्रसाद यादव,भीमेश्वर पासवान, उमेश कुमार और कमलेश राम शामिल थे।Conclusion:अपराधी चाहे कितना भी शातिर क्यों न हो कोई न कोई सुराग छोड़ ही देता है । यही कारण है कि खुद के अपहरण की साजिश रचने वाले धर्मजीत पाल भी अपने ही बातों में फंस गया और पुलिस ने सारे मामले का उद्भेदन कर दिया।

बाइट- दीपक वर्णवाल, एसपी, औरंगाबाद
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