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भागलपुर में वायरल फीवर का नहीं है असर, डॉक्टरों की सलाह- फिर भी रहें सावधान

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Published : Sep 8, 2021, 1:08 PM IST

बिहार में वायरल फीवर के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में आद्रता बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू से पीड़ितों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है. बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं लेकिन भागलपुर इससे अभी अछूता है. पढ़ें पूरी खबर.

भागलपुर में बच्चों पर वायरल फीवर का नहीं है असर
भागलपुर में बच्चों पर वायरल फीवर का नहीं है असर

भागलपुर: बिहार में कोरोना की तीसरी (Third Wave Of Corona) लहर की आशंका के बीच कई जिलों में बच्चों में वायरल फीवर (Viral Fever) का कहर शुरू हुआ है. पीड़ितों में सबसे अधिक 5 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, लेकिन भागलपुर (Bhagalpur) में अभी तक इस वायरल फीवर का असर नहीं हुआ है.

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हलांकि भागलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 70 बेड के शिशु वार्ड में 50 बच्चों का इलाज चल रहा है. इनमें 20 बच्चे मौसम आधारित बुखार से ग्रसित हैं. जबकि कुछ बच्चे निमोनिया, टाइफाइड, सर्दी, जुकाम से ग्रसित हैं. भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में बीमार बच्चों के लिए सारी व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों का मानना है कि मौसम के बदलाव की वजह से वायरल फीवर बच्चों में हो रहा है.

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय कुमार ने कहा कि यह मौसमी या फीवर बीमारी है. इस बीमारी में कई तरह के अनजान वायरस बच्चों को परेशान करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चे को अधिक सावधानी से रखें. अधिक लोगों के संपर्क में बच्चे को ना दें. यह बीमारी एक दूसरे से फैलने वाली है. यात्रा के दौरान एहतियात बरतें.

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नेबुलाइजर और ऑक्सीजन इसका दवा है. यह बीमारी 2 महीने के बच्चे से लेकर 10 साल तक के बच्चे को होता है लेकिन एवरेज 2 साल के बच्चे को हो रहा है. वायरल फीवर से बचाव के लिए हाथ को हमेशा साफ रखें, बच्चे को मौसम के अनुकूल कपड़े पहनाएं. सावधानी रखने से बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होने से बच सकते हैं.

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'इस बीमारी से बचने के लिए गर्म भोजन व स्वच्छ पानी पीयें. वायरल फीवर से ग्रसित बच्चों में डिहाइड्रेशन की भी शिकायत आ रही है. बच्चे के शरीर में पानी की कमी ना हो, इसके लिए ओआरएस का घोल, नमक-चीनी युक्त पानी पिलाने से काफी हद तक सहूलियत मिलेगी. उमस भरी गर्मी के बाद झमाझम बारिश से तापमान गिर रहा है, इसलिए बच्चों में फीवर भी हो रहा है.' : अजय कुमार, डॉक्टर, शिशु रोग विशेषज्ञ

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जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ एके दास ने कहा कि अस्पताल के शिशु वार्ड के 70 बेड में से 50 बेड फुल हैं. जिसमें सिजनल फ्लू, सर्दी, खांसी, जुकाम और टाइफाइड के बच्चे इलाजरत है. उन्होंने कहा कि बच्चे का कोविड टेस्ट भी कराया जाता है.

'अभी तक कोई भी बच्चा कोविड पॉजिटिव नहीं निकला है. पैनिक होने की जरूरत नहीं है, यह बीमारी सिजनल है. कोरोना से उसका कोई लेना-देना नहीं है. यह बीमारी 3 से 6 दिन में ठीक हो जाता है. किसी-किसी बच्चे में सांस लेने में तकलीफ होती है, उसके लिए दवाई है, जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन भी लगाया जा सकता है.' : डॉ एके दास, अधीक्षक, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल

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जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि किसी भी बीमारी को लेकर हमेशा स्वास्थ विभाग की टीम अलर्ट पर रहती है. कोविड-19 में जिस तरह की तैयारी पहले से थी, उसी हिसाब से सदर अस्पताल या उसके सभी नीचे जो अस्पताल है, उसको तैयार रहने के लिए कहा गया है. लेकिन अभी तक भागलपुर जिले में ऐसे वायरल फीवर से ग्रसित बच्चे नहीं मिले हैं.

बता दें कि बिहार में वायरल फीवर के मामले बढ़ने लगे हैं. और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में आद्रता बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर हो रही है.

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बच्चों के अलावा व्यस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में फीवर के मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में आद्रता होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए, बी, सी, डी जितने भी वायरस हैं. वह ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना के हैं.

हैंड सैनिटाइजर, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी बनाकर रखना. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं. क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.

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