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तिलकामांझी विश्वविद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी, छात्र जता रहे विरोध

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Published : Jul 20, 2019, 1:28 PM IST

तिलकामांझी विश्वविद्यालय की चरमरायी व्यवस्था से छात्र परेशान हैं. हाल में हुई 150 गेस्ट टीचरों की नियुक्ति के बाद शिक्षकों की संख्या लगभग 430 है. विश्वविद्यालय में अभी 200-300 शिक्षकों की जरूरत है.

तिलका मांझी विश्वविद्यालय

भागलपुर: शहर के तिलकामांझी विश्वविद्यालय की लचर व्यवस्था से छात्र परेशान हैं. 60 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी यहां की प्रशासनिक व्यवस्था नहीं बदली और छात्र भवन के लगातार चक्कर लगाते रहते हैं.

शिक्षकों की कमी
हाल में किए गए 150 गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति के बाद भी अभी लगभग 250-300 शिक्षकों की जरूरत है. शिक्षकों की कमी से नियमित पढ़ाई नहीं होने के कारण छात्र परीक्षा का विरोध करते हैं.

तिलका मांझी विश्वविद्यालय

विवादों में रही है यूनिवर्सिटी
यूनिवर्सिटी दिल्ली में कानून मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री को लेकर भी विवादों में रही है. यहां के अधिकारियों का कहना है कि कक्षाएं और सत्र नियमित कर दी गयी हैं. व्यवस्था के अभाव से यहां के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध करते रहते हैं.

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तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को लगभग 60 वर्ष पूरे हो गए हैं लेकिन अभी भी विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था नहीं बदल पाई है यहां की कोई व्यवस्था की वजह से अभी भी अधिकतर छात्र परेशान हैं और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के लगातार चक्कर लगाते रहते हैं जहां विश्वविद्यालय में लगभग 600 शिक्षकों की जरूरत है लेकिन वर्तमान में विश्वविद्यालय में हाल में किए गए 150 गेस्ट टीचर कि नियुक्ति के बाद भी शिक्षकों की संख्या कुल मिलाकर 4:30 सौ के आसपास ही है शिक्षकों की कमी की वजह से नियमित पढ़ाई नहीं हो पाती है जिस कारण परीक्षा के वक्त विद्यार्थी परीक्षा का विरोध कर देते हैं और परीक्षा का बहिष्कार भी कर देते हैं ।


Body:तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अनियमितता की बातें काफी सामान्य है कई बार यहां पर प्रश्न पत्र लीक होना और रिजल्ट में गड़बड़ी जैसे मामले आते ही रहते हैं लेकिन मौजूदा विश्वविद्यालय प्रशासन के पदाधिकारियों की गर बात करें तो उनका कहना है कि हम लोगों ने अपनी कक्षाएं नियमित कर दी है और जो सत्र देर से चलता था उसे भी नियमित कर लिया गया है लेकिन जिस रिजल्ट को निकालने में महज 15 दिन लगने चाहिए उसे निकलवाने में छात्रों को एड़ी चोटी एक करनी पड़ती है और करीबन 3 माह से ज्यादा लग जाता है जिसकी वजह से तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ हमेशा मोर्चा खोलते रहते हैं और कुलपति उपकुलपति एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी करते रहते हैं ।


Conclusion:कई छात्रों का कहना है कि निजी स्वार्थ की वजह से भी यहां पर पाठ्यक्रम को अपने हिसाब से मैंने पुलिस किया जाता है और पूरी व्यवस्था को प्रभावित किया दी जाती है जिसका असर यहां पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ता है और छात्रों का भविष्य अंधकार में चला जाता है तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था पहले भी कई बार विवादों के घेरे में रही है दिल्ली में कानून मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री से लेकर और भी कई डिग्री पर कई बार सवाल उठ खड़े हुए हैं जिसको लेकर प्रशासन को कई बार सफाई देनी पड़ी है और उच्चस्तरीय जांच का भी सामना करना पड़ा है ।

बाइट प्रोफेसर डॉ रमायतन प्रसाद ,प्रति कुलपति ,तिलकामांझी विश्वविद्यालय
बाइट कर्नल अरुण कुमार सिंह रजिस्ट्रार तिलका मांझी विश्वविद्यालय (स्माल चेक शर्ट में)

बाइट अर रवि कुशवाहा पीएचडी छात्र (आउटडोर बैकग्राउंड)
बाईट :विश्व विद्यालय छात्र
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