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कोसी का कहर देख सहम जाएंगे आप, तबाही के मंजर का देखिए LIVE वीडियो

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Published : Jul 23, 2019, 6:50 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 7:50 PM IST

कोसी

कोसी का कहर देख सहम जाएंगे आप, तबाही के मंजर का देखिए LIVE वीडियो

प्रकृति की इस विनाश लीला के सामने लोग लाचार और बेबस हैं. सिंहकुण्ड के तकरीबन एक किलोमीटर के दायरे में भीषण कटाव हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि आसपास का पूरा इलाका जल्द ही कोसी में समा जाएगा.

भागलपुर: जिले के खरीक प्रखंड के सिंहकुण्ड में कोसी नदी का कहर जारी है. कोसी कटाव के तांडव से रविवार और सोमवार को लगभग एक दर्जन लोगों के घर ध्वस्त हो गए. कटाव की रफ्तार काफी तेज है. इस हालात में लोगों का जीना मुहाल है. लोग बेघर हो गए हैं. उनका कहना है कि उन्हें सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है.

गिरे मकान और पेड़

सोमवार की सुबह अचानक कटाव तेज हो जाने से एकाएक पूरा मकान पल भर में ध्वस्त हो गया. इसी बीच लोगों में अफरा-तफरी मच गई. सिंहकुण्ड के बुजुर्ग बताते हैं कि इस तरह का कटाव उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. अगर कटाव इसी तरह होता रहा तो पूरा गांव कट जाएगा.

लगभग 150 परिवार प्रभावित
प्रकृति की इस विनाश लीला के सामने लोग लाचार और बेबस हैं. सिंहकुण्ड के तकरीबन एक किलोमीटर के दायरे में भीषण कटाव हो रहा है. आसपास का पूरा इलाका जल्द ही कोसी में समा जाएगा. लोग अपने-अपने घरों से सामान निकाल कर सुरक्षित जगहों की ओर भाग रहे हैं. लगातार हो रहे भीषण कोसी कटाव से सिंहकुण्ड के 150 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं.

bhagalpur
मकान ध्वस्त

प्रभावित लोगों को नहीं मिल रही राहत
लोगों का आरोप है कि उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिली है. यहां तक की कोई प्रशासनिक पदाधिकारी या जल संसाधन विभाग के अभियंता मुआयना करने या पीड़ितों से मिलने नहीं आए हैं. कटाव की त्रासदी झेल रहे विस्थापित परिवार खुले आसमान के नीचे जमीन पर पॉलिथीन टांग कर जिंदगी काट रहे हैं. उनका कहना है कि पीड़ितों का दुख दर्द और व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है.

Intro:सिहकुण्ड में कोसी कटाव का तांडव एक दर्जन घर ध्वस्त होकर कोसी में समाया


नवगछिया - खरीक प्रखंड के सिहकुण्ड में कोसी नदी प्रलयकारी स्वरूप अख्तियार कर लिया है. कोसी कटाव के तांडव से रविवार और सोमवार को एक दर्जन लोगों का घर ध्वस्त होकर कोसी में समा गया. कटाव की रफ्तार काफी तेज है. सिहकुण्ड के शंभू राय और दिलीप राय का प्रधानमंत्री ग्राम आवास योजना (इंदिरा आवास ) से तकरीबन चार लाख की लागत से नवनिर्मित पक्का मकान जिसका आधा भाग रविवार की देर शाम तक कोसी कटाव से कटकर ध्वस्त होने के कगार पर था. सोमवार की सुबह अचानक कटाव तेज हो जाने से एकाएक पूरा का पूरा मकान पल भर में ध्वस्त हो होकर कोसी में समा गया. कटाव की इस भयानक विनाशलीला को गृह स्वामी शंभू राय दिलीप राय समेत सैकड़ों लोग देखने को बिवश और लाचार थे. कटाव तेज होने से गांव में अफरा-तफरी और दहशत का माहौल है. सिहकुण्ड के बुजुर्ग लोग बताते हैं कि इस तरह का कटाव हम लोग पहले कभी नहीं देखा अब तो पूरा का पूरा गांव कट जाएगा. हम लोग ऐसे ही देखते रह जाएंगे. प्रकृति की इस विनाश लीला के सामने लोग लाचार और बेबस हैं. तकरीबन एक किलोमीटर के दायरे में भीषण कटाव हो रहा है. बौखलाई कोसी नदी सिहकुण्ड को अपने आगोश में समा लेने को उद्धत है. लोग अपने-अपने घरों से सामान निकाल कर सुरक्षित जगहों की ओर भाग रहे हैं. बीते 2 दिनों में जिन लोगों का घर भीषण कटाव से ध्वस्त होकर कोसी में समा गया उनमें शंभू राय, दिलीप राय का चार लाख की लागत से नवनिर्मित पक्का मकान, बौकू शर्मा समेत उनके पांच पुत्रों के फूस के घर, चंद्रशेखर सिंह का ईट खपरैल का मकान, सुरेश मेहता, विजय प्रसाद सिंह समेत एक दर्जन लोग शामिल है. बीते 15 दिनों से हो रही लगातार कटाव में शशि भूषण सिंह, लक्ष्मण साह, श्रवण कुमार, कन्हैया कुमार विजय सिंह समेत कई लोगों के ईट खपरैल के घर और पक्का मकान ध्वस्त होकर कोसी में समा गया. जिन लोगों का घर कटाव के मुहाने पर है उनमें श्रवण कुमार, श्यामसुंदर राय, शंभू राय, सुबोध राय का फूस का मकान, मुकेश राय का पक्का मकान, लाल साहब का लिंटर तक बना अर्ध निर्मित पक्का मकान शामिल है. इन लोगों का घर कटाव के ठीक मुहाने पर है. शंभू राय का मकान ध्वस्त होने के बाद आधा दर्जन से अधिक लोगों का पक्का और कच्चा घर लटका हुआ है. यह मकान कभी भी हल्की सी तेज बयार बहने और कटाव की रफ्तार तेज होने से ध्वस्त होकर कोसी में समा जाएगा. लगातार हो रहे भीषण कोसी कटाव से सिहकुण्ड में तकरीबन 150 से अधिक परिवार कटाव की त्रासदी से प्रभावित हुआ हैं.

प्रशासनिक स्तर से नहीं मिली है किसी तरह का सुविधा


किसी तरह की मदद प्रशासनिक पदाधिकारियों और जल संसाधन विभाग के अभियंताओं द्वारा मुआयना करने और कटाव पीड़ितों की दशा का अवलोकन करने के बाद भी आज तक किसी भी कटाव पीड़ित को प्रशासनिक स्तर से किसी भी तरह का मदद नहीं मिल पाया है. कई बार खरीक अंचलाधिकारी विनय शंकर पंडा प्रखंड विकास पदाधिकारी सुधीर कुमार हल्का कर्मचारी सह अंचल निरीक्षक ब्रजेश परैया ने सिहकुण्ड का मुआयना किया और कटाव की त्रासदी को आंखों से देखा लेकिन प्रशासनिक स्तर से अब तक कटाव पीड़ितों किसी तरह की राहत नहीं मिली है राहत नहीं मिलने से कटाव पीड़ितों ने शासन पदाधिकारियों के प्रति काफी क्षोभ है.

खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं विस्थापित परिवार

- सिहकुण्ड में कटाव की त्रासदी झेल रहे विस्थापित परिवार शंभू राय दिलीप राय श्रवन कुमार लक्ष्मण शाह बौकू शर्मा समेत दो दर्जन से अधिक विस्थापित परिवार खुले आसमान के नीचे जमीन पर पॉलिथीन टांग कर जिंदगी काट रहे हैं.कटाव पीड़ितों की दुख दर्द और व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है. इस संदर्भ में कटाव पीड़ित शंभू राय ने बताया बड़ी मशक्कत से हम दोनों भाइयों ने इंदिरा आवास के साथ घर बनाया था बिल्कुल नया घर था अब एक-दो दिन में गृह प्रवेश करने की बात सोच रहे थे अचानक कटाव तेज हो गया और पूरा का पूरा आशियाना ध्वस्त हो कर कोसी में समा हो गया. लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं है रात का खाना कैसे बनेगा इसकी भी कोई व्यवस्था नहीं है घर कैसे बनेगा यह सोचकर मन बेचैन हो रहा है कहां जाएं क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रही बीवी बाल बच्चे लेकर खुले आसमान के नीचे बेघर जिंदगी जी रहे हैं प्रशासनिक स्तर से हमको अब तक कुछ नहीं मिल पाया है.Body:प्रशासनिक स्तर से नहीं मिली है किसी तरह का सुविधा


किसी तरह की मदद प्रशासनिक पदाधिकारियों और जल संसाधन विभाग के अभियंताओं द्वारा मुआयना करने और कटाव पीड़ितों की दशा का अवलोकन करने के बाद भी आज तक किसी भी कटाव पीड़ित को प्रशासनिक स्तर से किसी भी तरह का मदद नहीं मिल पाया है. कई बार खरीक अंचलाधिकारी विनय शंकर पंडा प्रखंड विकास पदाधिकारी सुधीर कुमार हल्का कर्मचारी सह अंचल निरीक्षक ब्रजेश परैया ने सिहकुण्ड का मुआयना किया और कटाव की त्रासदी को आंखों से देखा लेकिन प्रशासनिक स्तर से अब तक कटाव पीड़ितों किसी तरह की राहत नहीं मिली है राहत नहीं मिलने से कटाव पीड़ितों ने शासन पदाधिकारियों के प्रति काफी क्षोभ है.Conclusion:खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं विस्थापित परिवार

- सिहकुण्ड में कटाव की त्रासदी झेल रहे विस्थापित परिवार शंभू राय दिलीप राय श्रवन कुमार लक्ष्मण शाह बौकू शर्मा समेत दो दर्जन से अधिक विस्थापित परिवार खुले आसमान के नीचे जमीन पर पॉलिथीन टांग कर जिंदगी काट रहे हैं.कटाव पीड़ितों की दुख दर्द और व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है. इस संदर्भ में कटाव पीड़ित शंभू राय ने बताया बड़ी मशक्कत से हम दोनों भाइयों ने इंदिरा आवास के साथ घर बनाया था बिल्कुल नया घर था अब एक-दो दिन में गृह प्रवेश करने की बात सोच रहे थे अचानक कटाव तेज हो गया और पूरा का पूरा आशियाना ध्वस्त हो कर कोसी में समा हो गया. लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं है रात का खाना कैसे बनेगा इसकी भी कोई व्यवस्था नहीं है घर कैसे बनेगा यह सोचकर मन बेचैन हो रहा है कहां जाएं क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रही बीवी बाल बच्चे लेकर खुले आसमान के नीचे बेघर जिंदगी जी रहे हैं प्रशासनिक स्तर से हमको अब तक कुछ नहीं मिल पाया है.
Last Updated :Jul 23, 2019, 7:50 PM IST
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