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Thakur vs Brahmin Dispute: कांग्रेस MLA अजीत शर्मा ने आनंद मोहन को लगाई लताड़, कहा- 'बेवजह विवाद पैदा ना करें'

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 1, 2023, 8:21 AM IST

Updated : Oct 1, 2023, 9:05 AM IST

कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा

बिहार में 'ठाकुर बनाम ब्राह्मण' विवाद पर सियासी बवाल जारी है. लालू और तेजस्वी के बाद अब आरजेडी सांसद मनोज झा को कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा (Congress MLA Ajeet Sharma) का साथ मिला है. उन्होंने कहा कि ठाकुर कोई जाति नहीं, बल्कि जमींदारी माइंडसेट है. लिहाजा मेरी लोगों से अपील है कि वह समाज में वैमनस्य फैलाना बंद करें.

कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा

भागलपुर: महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान 'ठाकुर का कुआं' कविता पाठ करने वाले आरजेडी सांसद मनोज झा पर पूर्व सांसद आनंद मोहन समेत राजपूत बिरादरी के कई नेता हमलावर हैं. हालांकि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अपने सांसद के पक्ष में खड़े दिखते हैं. इस बीच कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने भी आरजेडी सांसद का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में सांसद ने कविता की पंक्ति दोहरायी है, अब उस पर बेवजह का हंगामा खड़ा किया जा रहा है.

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अजीत शर्मा ने आनंद मोहन को लगाई लताड़: कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने 'ठाकुर बनाम ब्राह्मण' विवाद को लेकर पूर्व सांसद आनंद मोहन को जमकर लताड़ लगाई है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आनंद मोहन बेवजह की बात कर रहे हैं, क्योंकि ठाकुर कोई जाति नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी जाति के इतिहास की जानकारी भी नहीं होती है और सियासी फायदे के लिए हंगामा खड़ा करने में जुट जाते हैं.

'ठाकुर जाति नहीं, माइंडसेट है': इस दौरान अजीत शर्मा ने कहा कि ठाकुर वास्तव में कोई जाति नहीं है. उन्होंने कहा कि असल में अंग्रेजों के शासनकाल में जमींदारी व्यवस्था के अंतर्गत यह शब्द विकसित हुआ था. इसका किसी जाति से संबंध नहीं था. कालांतर में जमींदारी माइंडसेट वाले लोग खुद को ठाकुर कहलाना पसंद करने लगे. उन्होंने रवींद्रनाथ ठाकुर और उनके पिता का भी उदाहरण दिया. बंगाली ब्राह्मण होने के बावजूद वह नाम में ठाकुर लगाते थे.

"आनंद मोहन बेवजह की बात कर रहे हैं. ठाकुर शब्द, जो अंग्रेजों के शासनकाल में जमींदारी व्यवस्था के अंतर्गत विकसित हुआ था. इसका किसी जाति से संबंध नहीं था. कालांतर में जमींदारी माइंडसेट वाले लोग खुद को ठाकुर कहलाना पसंद करने लगे. राजनीति करने वाले लोगों को भी अपनी जाति के इतिहास और परंपरा की जानकारी नहीं है. मनोज झा ने कविता पढ़ी थी, इसलिए समाज में वैमनस्य ना फैलाएं"- अजीत शर्मा, विधायक, कांग्रेस

क्या है मामला?: दरअसल 21 सितंबर को राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान मनोज झा ने साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता का जिक्र करते हुए कहा था कि हम सब के बीच एक ठाकुर है, जिसे मार देना चाहिए. उसके बाद से आनंद मोहन समेत कई राजपूत नेता आरजेडी सांसद का विरोध कर रहे हैं. आनंद मोहन ने कहा कि अगर वह सदन में होते तो मनोज झा की जीभ खींचकर आसन की तरफ उछाल देते. वहीं बीजेपी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि उनकी गर्दन काट देंगे.

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Last Updated :Oct 1, 2023, 9:05 AM IST
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