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पंचायत वार्ड सचिवों ने नीतीश सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- आगामी चुनाव में देंगे जवाब

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Published : Sep 10, 2020, 1:43 PM IST

बेगूसराय में पंचायत वार्ड सचिवों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने पर नीतीश सरकार को आगामी चुनाव में उखाड़ फेंकने की बात कही.

पंचायत वार्ड सचिव संघ
पंचायत वार्ड सचिव संघ

बेगूसराय: जिले के तमाम पंचयात वार्ड सचिवों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को समाहरणालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. इसके पहले पंचायत वार्ड सचिव संघ के सदस्यों ने ट्रैफिक चौक से एक आक्रोश मार्च निकाला, जो विभिन्न रास्तों से होते हुए हड़ताली चौक पर सभा में तब्दील हो गया. इस दौरान संघ के सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

आक्रोशित वार्ड सचिवों का कहना है कि सरकार उन्हें बंधुआ मजदूर न बनाए बल्कि इनकी नौकरी को स्थाई करे. इनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वो आने वाले चुनाव में वो नीतीश कुमार को सबक सिखाएंगे. उन्होंने नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने की चेतावनी दी है.

पंचायत वार्ड सचिव संघ का प्रदर्शन
पंचायत वार्ड सचिव संघ का प्रदर्शन

आर-पार की लड़ाई में वार्ड सचिव
दरअसल, बिहार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना के अंतर्गत काम करने वाले बिहार के 1 लाख 14 हजार से भी अधिक पंचायत वार्ड सचिव इस बार सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. इनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि सरकार ने इन्हें आश्वस्त किया था कि जल्द ही उन्हें मानदेय और भत्ता का भुगतान करने का आदेश दिया जाएगा. लेकिन कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में कोई भी चर्चा नहीं की गई.

देखें पूरी रिपोर्ट.

'सीएम का सपना पूरा करने में दे रहे हैं सहयोग'
बेगूसराय में पंचायत वार्ड सचिवों ने प्रतिरोध मार्च के अलावा धरना और प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को चेतावनी दी है. इनका कहना है कि पिछले 4 साल से वे सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना के अंतर्गत रात0दिन काम कर रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें अब तक न तो कोई भत्ता और न ही उन्हें कोई मानदेय दिया. ऐसी परिस्थिति में वह और उनके बच्चे भूखे-प्यासे रहने को विवश हैं.

जिले के 3 हजार से ज्यादा वार्ड सचिवों का यही हाल
बता दें कि बेगूसराय में 3049 पंचायत वार्ड सचिव पिछले 4 वर्षों से काम कर रहे हैं. इस संबंध में उन्हें मानदेय तय करने का आश्वासन मिलता रहा है. लेकिन इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिससे तंग आकर उनलोगों ने विरोध करने का रास्ता अख्तियार किया है. इनका कहना है कि अगर चुनाव की घोषणा के पहले उन पर कोई विचार नहीं किया गया तो वह नीतीश कुमार को सबक सिखाने का काम करेंगे.

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