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बंजर भूमि को ग्रीनलैंड में तब्दील करने का किया जा रहा है प्रयास, 30 एकड़ में लगाए गए पौधे

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Published : Jan 6, 2020, 5:13 PM IST

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बंजर भूमि पर जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत भूमि संरक्षण विभाग की मदद से आम के पौधे, लेमनग्रास, पमारोजा और अर्जुन के पौधे लगाकर उपजाऊ बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

बांका: जिले का अधिकांश हिस्सा पठारी है. जहां खेती करना संभव नहीं हो पा रहा है. बता दें कि गया जिले के बाद सर्वाधिक बंजर भूमि 42,200 हेक्टेयर बांका में ही है. यह बंजर भूमि मुख्य रूप से कटोरिया, बौंसी, चांदन, बेलहर और फुल्लीडुमर इलाके में है. इन पर जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत 3 योजनाओं को जिला प्रशासन की ओर से संचालित कराया जा रहा है.

डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में तब्दील करने के लिए आम के पौधे, लेमनग्रास, पामारोजा और अर्जुन के पौधे लगवाए जा रहे हैं. इन बंजर इलाकों में पटवन के लिए ड्रिप इरिगेशन की सुविधा भूमि संरक्षण विभाग की ओर से कराया जा रहा है. किसान भी इसमें मदद कर रहे हैं. किसानों को अनुदान पर उपकरण से लेकर पौधे तक मुहैया कराया जा रहा है. वहीं, 30 एकड़ बंजर भूमि में आम के पौधे लगाकर इसकी शुरुआत कर दी गई है.

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खाली पड़े खेतों में लगाए गए पेड़

मैंगो ऑर्चर्ड गांव के रूप में तब्दील हो रहा है कालीघड़ी घुटिया
कटोरिया प्रखंड के कालीघड़ी घुटिया गांव के अधिकतर किसानों का रैयती जमीन बंजर है. फसल नहीं उपजने की वजह से इस पर मवेशी ही चरते थे. गांव के 13 किसानों ने मिलकर 30 एकड़ में आम के पौधे लगाना शुरू किया. डीएम कुंदन कुमार की इस पर नजर पड़ी तो उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए हर संभव मदद करने का भरोसा दिया. इसके बाद डीएम के पहल पर भूमि संरक्षण विभाग की ओर से ड्रिप इरिगेशन की सुविधा किसानों को मुहैया कराया गया. साथ ही वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए बांध बनवाए गए और तालाब भी खुदवाया गया. बताया जा रहा है कि गांव में जिन किसानों के पास रैयती बंजर भूमि है. सभी आम आम के पौधे लगाने के लिए तैयार हैं. इससे लगता है कि वो दिन दूर नहीं जब कालीघड़ी घुटिया मैंगो आर्चर्ड गांव के रूप में पहचाना जाएगा.

पेश है रिपोर्ट

अनुदान पर मिल रहा है उपकरण और पौधे
किसान जयकांत यादव और रोहित कुमार यादव सहित अन्य किसानों ने बताया कि रैयती जमीन रहते हुए भी कुछ भी नहीं उपजता था. हमने 30 एकड़ बंजर भूमि पर बागवानी के तहत आम के पौधे लगाने की शुरुआत की तो जिला प्रशासन ने भी मदद की. जिला प्रशासन की ओर से 90 फीसदी अनुदान पर उपकरण मुहैया करावाया गया साथ ही पौधे भी अनुदान पर ही दिया गया. जिला प्रशासन की ओर से ड्रिप इरिगेशन स्टेट बोरिंग, तालाब और बांध का निर्माण कराया जा रहा है. इससे वर्षा जल को संरक्षित कर रखा जा सकेगा. वहीं, जिला प्रशासन की मदद से अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं और अपने भूमि पर आम के पौधे लगाने के साथ-साथ तरबूज, करेला, खीरा और केला के पैधे लगाने के बारे सोच रहे हैं.

तीन योजनाओं पर चल रहा है काम
किसानों की ओर से किए जा रहे इस प्रयास पर डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि बांका में काफी मात्रा में रैयती बंजर भूमि है. जहां 3 योजनाओं पर जिला प्रशासन ने काम करना शुरू किया है. रैयती जमीन जो किसानों का बंजर पड़ा हुआ है. उसपर सबसे पहले ऑर्गेनिक तरीके से आम के पौधे लगाकर जमीन के अंदर ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से पाइप बिछाया जा रहा है. यह काम भूमि संरक्षण विभाग की मदद से किया जा रहा है. ऑर्गेनिक तरीके से उगाए जा रहे आम के फसल का बाजार में कीमत अधिक मिलता है. साथ ही उन्होंने बताया कि इन जमीनों पर एरोमेटिक और हर्बल पौधे भी लगाए जा रहे हैं. जिसमें मुख्य रूप से लेमनग्रास और पामारोजा की खेती करवाया जा रहा है. हर्बल पौधे से तेल निकालने के लिए प्लांट भी स्थापित किया गया है. उच्च गुणवत्ता वाले तेल होने की वजह से बाजार में इसकी कीमत एक हजार से 12 सौ रुपये प्रति लीटर है.

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जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत किया जा रहा पौधारोपण
तसर का क्षेत्र है कटोरिया
जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि कटोरिया और बौंसी प्रखंड को तसर का क्षेत्र माना जाता है. इसलिए किसानों के बंजर भूमि पर अर्जुन के पौधे लगवाए जा रहे हैं. जिस पर सिल्कवर्म पाला जाएगा इससे सिल्क की खेती की जाएगी. इस साल भी लगभग डेढ़ लाख अर्जुन के पौधे लगवाए गए हैं. साथ ही कटोरिया और बौंसी में कोकून बैंक भी स्थापित किया गया है.
Intro:बिहार में गया के बाद सर्वाधिक बंजर भूमि बांका जिले में है। जिला कृषि कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले में 42,200 हेक्टेयर बंजर भूमि है। डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि बंजर भूमि पर जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत भूमि संरक्षण विभाग की मदद से आम के पौधे, लेमनग्रास पमारोजा और अर्जुन के पौधे लगाकर उपजाऊ बनाने का प्रयास किया जा रहा है।


Body:- बांका जिले में 42, 200 हेक्टेयर भूमि है बंजर

- अधिकांश बंजर भूमि किसानों की रैयती जमीन

- जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत 3 योजनाओं पर चल रहा है काम

- 30 एकड़ बंजर जमीन पर आम के पौधे लगाकर योजना की गई है शुरुआत

- बंजर भूमि पर आम और अर्जुन के पौधे के साथ साथ हर्बल लेमनग्रास और पमारोजा की करवाई जा रही है खेती

- भूमि संरक्षण विभाग की मदद से ड्रिप इरिगेशन के साथ खुदबाये जा रहे हैं तलाब और बांध

- बंजर भूमि को ग्रीनलैंड में तब्दील करने का किया जा रहा है प्रयास

- तसर उत्पादन के लिए लगाए गए हैं डेढ़ लाख अर्जुन के पौधे

- कटोरिया और बौंसी में स्थापित किया गया है कोकून बैंक


बांका। जिले का अधिकांश हिस्सा पठारी है। जहां खेती करना संभव नहीं हो पा रहा है। बिहार की बात की जाए तो गया जिले के बाद सर्वाधिक बंजर भूमि 42,200 हेक्टेयर बांका में ही है। यह बंजर भूमि मुख्य रूप से कटोरिया, बौंसी, चांदन, बेलहर और फुल्लीडुमर इलाके में है। जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत तीन योजनाओं को जिला प्रशासन की ओर से संचालित कराया जा रहा है। डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में तब्दील करने के लिए आम के पौधे, लेमनग्रास, पामारोजा और अर्जुन के पौधे लगवाए जा रहे हैं। इन बंजर इलाकों में पटवन के लिए ड्रिप इरिगेशन की सुविधा भूमि संरक्षण विभाग की ओर से कराया जा रहा है। किसान भी इसमें मदद कर रहे हैं। किसानों को अनुदान पर उपकरण से लेकर पौधे तक मुहैया कराया जा रहा है। 30 एकड़ बंजर भूमि में आम के पौधे लगाकर इसकी शुरुआत कर दी गई है।

मैंगो आर्चर्ड गांव के रूप में तब्दील हो रहा है कालीघड़ी घुटिया
कटोरिया प्रखंड के कालीघड़ी घुटिया गांव के अधिकतर किसानों का रैयती जमीन बंजर है। फसल नहीं होने की वजह से इस पर मवेशी ही चरते हैं। गांव के 13 किसानों ने मिलकर 30 एकड़ में आम के पौधे लगाना शुरू किया। डीएम कुंदन कुमार की इस पर नजर पड़ी तो उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए हर संभव मदद करने का भरोसा दिया। इसके बाद डीएम के पहल पर भूमि संरक्षण विभाग की ओर से ड्रिप इरिगेशन की सुविधा किसानों को मुहैया कराया गया। साथ ही वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए बांध और तालाब भी खुदवाया। गांव में जिन किसानों के पास रैयती बंजर भूमि है सभी आम आम के पौधे लगाने के लिए तैयार हैं। वह दिन दूर नहीं जब कालीघड़ी घुटिया मैंगो आर्चर्ड गांव के रूप में पहचाना जाएगा।

अनुदान पर किसानों को मिल रहा है उपकरण और पौधे
किसान जयकांत यादव और रोहित कुमार यादव सहित अन्य किसानों ने बताया कि रैयती जमीन रहते हुए भी कुछ भी नहीं उपजता था। भूमि पर मवेशी वाली चरते थे। 30 एकड़ बंजर भूमि पर बागवानी के तहत आम के पौधे लगाने की शुरुआत की तो जिला प्रशासन ने भी मदद की। जिला प्रशासन की ओर से 90 फ़ीसदी अनुदान पर ना सिर्फ उपकरण मुहैया कराया बल्कि पौधे भी अनुदान पर ही दिया। जिला प्रशासन की ओर से ड्रिप इरिगेशन स्टेट बोरिंग, तालाब और बांध का निर्माण कराया गया ताकि वर्षा जल को संरक्षित कर रखा जा सके। जिला प्रशासन की मदद से अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं और अपने बंजर भूमि पर आम के पौधे लगाने के साथ-साथ तरबूज, करेला, खीरा, केला लगाने का सोच रहे हैं।

तीन योजनाओं पर चल रहा है काम
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि बांका में काफी मात्रा में रैयती बंजर भूमि है। तीन योजनाओं पर जिला प्रशासन ने काम करना शुरू किया है। रैयती जमीन जो किसानों का बंजर पड़ा हुआ है उसपर सबसे पहले ऑर्गेनिक तरीके से आम के पौधे लगाकर जमीन के अंदर ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से पाइप बिछाया जा रहा है। यह काम भूमि संरक्षण विभाग की मदद से किया जा रहा है। ऑर्गेनिक तरीके से उठ जाए आम की फसल का बाजार में कीमत अधिक मिलता है।

लगाए जा रहे हैं एरोमेटिक और हर्बल पौधे
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि बंजर भूमि पर एरोमेटिक और हर्बल पौधे भी लगाए जा रहे हैं। जिसमें मुख्य रूप से लेमनग्रास और पामारोजा की खेती बंजर भूमि पर करवाया जा रहा है। हर्बल पौधे से तेल निकालने के लिए प्लांट भी स्थापित किया गया है। प्लांट से किसान अपने हर्बल पौधे का तेल निकलवा सकते हैं। उच्च गुणवत्ता के तेल होने की वजह से बाजार में इसकी कीमत एक हजार से 12 सौ रुपए प्रति लीटर है।

तसर का क्षेत्र है कटोरिया
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि कटोरिया और बौंसी प्रखंड को तसर का क्षेत्र माना जाता है। इसलिए किसानों के बंजर भूमि पर अर्जुन के पौधे लगवाए जा रहे हैं। जिस पर सिल्कवर्म पाला जाता है और तसर के लिए कोकून तैयार होता है।
इस साल भी लगभग डेढ़ लाख अर्जुन के पौधे लगवाए गए हैं। कटोरिया और बौंसी में कोकून बैंक भी स्थापित किया गया है।






Conclusion: बंजर भूमि को ग्रीनलैंड में किया जा रहा है तब्दील
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत भूमि संरक्षण विभाग की मदद से बंजर भूमि को ग्रीनलैंड में तब्दील करने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों के उत्साह को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह प्रयास रंग लाने लगा है। किसान भी इसमें में मदद कर रहे हैं। आने वाले दिनों में किसानों की आमदनी और बढ़ेगी क्योंकि इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित करने का काम किया जा रहा है।

बाईट- जयकांत यादव, किसान
बाईट- रूपेश कुमार यादव, किसान
बाईट- कुंदन कुमार, डीएम, बांका
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