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कांग्रेस और RJD के रिश्तों में बढ़ेगी तल्खी... बिहार में तेजस्वी के लिए चुनौती बनेंगे कन्हैया कुमार?

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Published : Sep 29, 2021, 8:31 PM IST

कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार

जब से कांग्रेस में कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की एंट्री हुई है, उसके बाद से बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में भी खलबली मच गई है. खलबली इस बात को लेकर है कि अगर तेजस्वी और कन्हैया की युवा जोड़ी जम गई तो बिहार एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इधर आरजेडी (RJD) पर सबकी नजर है कि क्या दोनों युवा नेता एक मंच पर साथ दिखेंगे.

पटना: कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) सीपीआई (CPI) को बाय-बाय कर कांग्रेस (Congress) ज्वाइन कर चुके हैं. पिछले कुछ वर्षों की सियासत पर नजर डालें तो बिहार में महागठबंधन का हिस्सा होते हुए भी कन्हैया और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) एक मंच पर एक साथ बमुश्किल एक या दो बार ही नजर आए. कांग्रेस के नेता जहां कन्हैया के आने से उत्साहित नजर आ रहे हैं, वहीं आरजेडी के नेता कहीं ना कहीं तनाव में हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि कांग्रेस महागठबंधन में आरजेडी (RJD) के बाद दूसरी बड़ी पार्टी है. कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी होने के बाद आरजेडी की पुरानी सहयोगी भी रही है. जिसके साथ लंबे समय से सियासी रिश्ते रहे हैं.

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ऐसे में कांग्रेस नेता एक तरह से बिहार में आरजेडी के बिना अपनी राजनीतिक जमीन नहीं तैयार कर पा रहे हैं. कन्हैया को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि उनके आने से बिहार कांग्रेस में हम और मजबूती से आगे बढ़ेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने में कन्हैया का भी अहम रोल होगा.

देखें रिपोर्ट

कन्हैया खुद बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं. अब उनकी एंट्री से बिहार कांग्रेस में भी उनकी सक्रिय भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता है. ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने एक नई चुनौती कन्हैया के साथ समन्वय स्थापित करने की होगी. हालांकि राष्ट्रीय जनता दल के नेता कन्हैया और तेजस्वी की तुलना से इनकार करते हुए कहते हैं कि तेजस्वी काफी आगे निकल चुके हैं. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के नेता हैं और बिहार में नेता प्रतिपक्ष भी हैं. इसलिए उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पहले भी तेजस्वी यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मंच शेयर करते रहे हैं.

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इधर इस पूरे मामले पर एनडीए (NDA) के नेता कटाक्ष कर रहे हैं. कन्हैया की एंट्री से बिहार की सियासत (Bihar Politics) पर क्या असर पड़ेगा, इस पर बीजेपी प्रवक्ता अखिलेश कुमार सिंह कहते हैं कि यह सवाल एनडीए नेताओं के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता. वे कहते हैं कि महागठबंधन में पहले से ही सिर फुटव्वल की स्थिति है. तेजस्वी पारिवारिक विरासत की लड़ाई लड़ रहे हैं और इधर कन्हैया देशद्रोहियों की मदद के लिए विख्यात हैं.

बीजेपी नेता ने कहा कि यह दोनों नेता पहले ही बिहार में हार चुके हैं, इसलिए इनसे एनडीए पर तो कम से कम कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. उन्होंने कहा कि इन दोनों के मिलने से एक नई मुसीबत महागठबंधन में खड़ी होगी और महागठबंधन ऐसे ही खत्म हो जाएगा.

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