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लड़खड़ाती कांग्रेस को 'पीके' का सहारा! बड़ा सवाल- अगर बड़ी जिम्मेदारी मिली तो बिहार में कितनी बदलेगी पार्टी?

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Published : Apr 19, 2022, 7:05 PM IST

प्रशांत किशोर कांग्रेस के साथ (Prashant Kishor with Congress) नई जिम्मेदारी के साथ राजनीतिक पारी शुरू करने जा रहे हैं. बिहार के रहने वाले प्रशांत किशोर प्रदेश में भी कांग्रेस को नई संजीवनी दे सकते हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता साफ कह रहे हैं किसी कार्यकर्ता को ही बिहार कांग्रेस की जिम्मेवारी दी जा सकती है. प्रशांत किशोर केवल पार्टी को बेहतर बनाने में रणनीति ही बना सकते हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर

पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) अब कांग्रेस में बड़ी जिम्मेवारी निभाने वाले हैं और इसकी चर्चा पिछले काफी समय से हो रही थी. राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी उनकी मुलाकात हुई है. प्रशांत किशोर बिहार में (Prashant Kishor from Bihar) भी काम कर चुके हैं और नीतीश कुमार से उनकी नजदीकी भी रही है. ऐसे तो कई राज्यों में कई दलों के लिए चुनावी रणनीति बना चुके हैं और उन्हें जीत भी दिलवाई है, लेकिन अब कांग्रेस में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं. ऐसे में अहम सवाल है कि अगर वह पार्टी से जुड़ते हैं तो बिहार कांग्रेस पर इसका क्या असर पड़ेगा.

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'पीके' कई दलों के लिए कर चुके काम: बिहार के प्रशांत किशोर बीजेपी, जदयू, आप, तृणमूल से लेकर कई दलों के लिए काम कर चुके हैं. कांग्रेस के लिए भी पहले काम किया है, लेकिन अब कांग्रेस में बड़ी जिम्मेवारी निभाने वाले हैं. पिछले चुनाव में बंगाल में ममता बनर्जी के लिए काम किया था, उससे पहले अरविंद केजरीवाल के लिए भी काम कर चुके हैं. प्रशांत किशोर की सोनिया गांधी के साथ बैठक हुई है. चर्चा है कि 2024 की तैयारी को लेकर बड़ी भूमिका कांग्रेस के लिए निभा सकते हैं. ऐसे उसकी तैयारी काफी समय से प्रशांत किशोर कर रहे थे. प्रशांत किशोर को बिहार कांग्रेस की जिम्मेवारी भी देने की चर्चा है.

कांग्रेसियों की 'पीके' को लेकर दो टूक: बिहार में कांग्रेस अपने अस्तित्व से लड़ाई लड़ रही है. बोचहां में पार्टी को नोटा से भी कम वोट प्राप्त हुए हैं. हालांकि, प्रशांत किशोर को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता तक फिलहाल खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. लेकिन पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष समीर सिंह का साफ कहना है कि ''बिहार की कमान किसी कार्यकर्ता को ही दी जाएगी. प्रशांत किशोर बिहार में कांग्रेस को मजबूती दिलाने में रणनीति जरूर बना सकते हैं, लेकिन उन्हें पार्टी की कमान नहीं दी जा सकती है.''

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा पार्टी की खराब स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की. प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि ''बोचहां में नोटा से कम वोट आना हम सबके लिए चिंतनीय है और संगठन को मजबूत करने के लिए मिल बैठकर ही फैसला लेना होगा. ऐसे में आने वाले दिनों में पार्टी का स्वरूप बदला हुआ नजर आएगा.''


BJP-RJD की प्रशांत किशोर पर नजर: प्रशांत किशोर को लेकर हो रही चर्चा पर राजद की भी नजर है. राजद के वरिष्ठ नेता उपेंद्र प्रसाद का कहना है कि प्रशांत किशोर रणनीति बना सकते हैं, लेकिन संगठन को मजबूत नहीं कर सकते हैं. बिहार में कांग्रेस का संगठन पूरी तरह से कमजोर हो चुका है. लोगों का विश्वास अब लालू यादव और तेजस्वी यादव पर है, इसलिए प्रशांत किशोर का बिहार में कोई असर नहीं होने वाला है. वहीं, बीजेपी का भी कहना है कि प्रशांत किशोर पहले भी कई दलों के साथ काम कर चुके हैं चुनावी रणनीति बनाना उनका व्यवसाय है

''प्रशांत किशोर से कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है. जिस पार्टी का जनाधार ही खत्म हो गया हो वो उसके लिए क्या कर सकते हैं. पार्टी का जनाधार कोई एक दिन में बनता नहीं है. हाल के दिनों में जिस तरह से हिंदी प्रदेशों में कांग्रेस का जनाझार खिसका है. उससे हमें नहीं लगता है कि प्रशांत किशोर कुछ कर पाएंगे. लेकिन मैनेजमेंट के तौर पर देखा जाए तो यूपी चुनाव में भी वो कांग्रेस के लिए ही काम कर रहे थे, वहां कांग्रेस का क्या हश्र हुआ था.''- उपेंद्र प्रसाद, राजद नेता

''प्रशांत किशोर काम करते रहते हैं. वो किसी भी राज्य में किसी भी पार्टी के लिए काम करते हैं. कोई भी उनको हायर कर सकता है. उनका अपना व्यापार है. जो भी पार्टी उनको हायर करेगा उसके लिए वो काम करते हैं. लेकिन उस पर राजनीतिक कोई असर हो सकता है ये संभव नहीं है. उनका काम केवल प्रचार प्रसार करना और नारे गढ़ना है. कोई अपनी रणनीति बनाकर जनता की रणनीति पर खरा उतर जाए तो यह संभव नहीं है.''- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी

''प्रशांत किशोर की भूमिका राष्ट्रीय स्तर पर होगी बिहार में उनके आने से बहुत ज्यादा असर पड़ेगा इसकी संभावना कम है. अजय झा का यह भी कहना है कि प्रशांत किशोर उन्हीं राज्यों में अभी तक सफलता दिला सके हैं, जहां दलों की बेहतर स्थिति रही है या जीतने वाले रहे हैं. जहां दलों की खराब स्थिति रही है प्रशांत किशोर कुछ नहीं कर पाए हैं उत्तर प्रदेश उसका उदाहरण है. कांग्रेस पहले कन्हैया कुमार को भी ला चुकी है, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला है. अब प्रशांत किशोर के आने से स्थिति बहुत बदल जाएगी इसकी संभावना कम है.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

प्रशांत किशोर कांग्रेस में फूकेंगे जान!: कांग्रेस ने बिहार को कई मुख्यमंत्री दिए हैं, लेकिन बिहार में लालू प्रसाद यादव के आने के बाद से कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई है. बिहार में कांग्रेस का आरजेडी के साथ तालमेल के बाद मुस्लिम और पिछड़ा वोट बैंक आरजेडी में शिफ्ट हो गया. वहीं, बीजेपी की मजबूती के बाद अपर कास्ट का वोट जो कांग्रेस का बेस वोट बैंक माना जाता था वह भी उससे निकल गया. पहले दलित वोट बैंक भी कांग्रेस के साथ था, लेकिन वह भी अब नहीं रहा है. ऐसे में प्रशांत किशोर बिहार कांग्रेस की जिम्मेवारी संभालते हैं तो पुराने वोट बैंक को हासिल करना एक बड़ी चुनौती होगी. अगर आरजेडी के साथ मजबूती से तालमेल भी होता है तो आरजेडी के साथ आज की परिस्थिति में अधिक हिस्सेदारी लेना भी आसान नहीं होगा.

बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलाकमान के फैसले को मानने की बात दबी जुबान से कर रहे हैं, हालांकि अभी वेट एंड वाच की बात कर रहे हैं. आलाकमान के फैसले के बाद ही खुलकर बोलने की बात कर रहे हैं. कांग्रेस अपने बूते अभी बिहार में बहुत कुछ कर पाएगी इसकी संभावना कम है, लेकिन प्रशांत किशोर ने अपनी चुनावी रणनीति से कई राज्यों में स्थितियां बदली हैं और दलों को लाभ भी दिलाया है.

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कन्हैया के बाद 'पीके' से उम्मीद: प्रशांत किशोर बिहार में पहले भी काम कर चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस को नई ऊर्जा दिला सकते हैं. ऐसे कन्हैया कुमार जब कांग्रेस में शामिल हुए थे तो उनकी भी बिहार में बड़ी भूमिका निभाने की चर्चा थी, लेकिन बिहार के लिए अब तक कुछ कर नहीं सके हैं. अब सवाल यह भी है कि कन्हैया प्रशांत किशोर के अंदर किस प्रकार से काम करेंगे. ऐसे प्रशांत किशोर पर सबकी नजर बनी रहेगी. यदि कांग्रेस में शामिल होते हैं और बिहार की जिम्मेवारी मिलती है तो बिहार कांग्रेस को कितनी मजबूती दिला सकते हैं.

कांग्रेस को प्रशांत किशोर का सहारा: बता दें कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है. बीते दो लोकसभा चुनाव और हाल ही में राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में कांग्रेस अब राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का सहारा ले रही है. प्रशांत किशोर के सुझावों पर काम करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं का पैनल बनाया है. जिसमें दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल, पी चिदंबरम, अंबिका सोनी, जयराम रमेश शामिल हैं. हफ्ते भर में यह पैनल अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजेगा.

'पीके' के सुझाव राहुल को पसंद: जानकारी के अनुसार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को बिहार समेत यूपी और ओडिशा में अकेले चुनाव लड़ने का सुझाव दिया है. वहीं, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में गठबंधन के साथ लड़ने का सुझाव दिया है. खबर है कि प्रशांत किशोर के सुझाव पर राहुल गांधी ने अपनी सहमति दी है. प्रशांत किशोर ने 2024 के चुनाव में कांग्रेस को 370 सीटों पर फोकस करने का सुझाव भी दिया है.

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