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इन मुद्दों पर सरकार को घेर सकते थे तेजस्वी, नेता प्रतिपक्ष की गैरमौजूदगी बनी सुर्खियां

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Published : Dec 29, 2019, 7:00 AM IST

साल 2019 तेजस्वी यादव के लिए चुनौतियों से भरा रहा. लगातार बिहार से गायब रहने के कारण वो न सिर्फ अपने विरोधियों के निशाने पर रहे बल्कि पार्टी नेता भी उनसे नाराज हो गए

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

पटना: साल 2019 में बिहार में अगर किसी राजनेता की सबसे ज्यादा चर्चा हुई तो वह नेता रहे तेजस्वी यादव. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान में बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हर उस मौके पर बिहार से गायब रहे जब लोगों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. विरोधियों के निशाने पर रहे तेजस्वी लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार को लेकर भी खासे नाराज और निराश दिखे.

सुर्खियों में रहे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
बिहार में बतौर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस वर्ष कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में रहे. साल की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष पहले तो अपने 5 देशरत्न मार्ग स्थित सरकारी बंगले को लेकर चर्चा में रहे. इस बंगले को खाली कराने को लेकर जमकर बवाल हुआ जिसके बाद आखिरकार वे एक पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में शिफ्ट हुए. हालांकि साल के अंत में ही पहली बार तेजस्वी अपने सरकारी बंगले में नजर आए.

tejaswi yadav
उपेंद्र कुशवाहा के साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद गायब हुए तेजस्वी
वहीं तमाम दावों के बावजूद तेजस्वी के नेतृत्व में पहला लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा. बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटें एनडीए के खाते में और 1 सीट कांग्रेस के खाते में गई. आरजेडी शून्य पर आउट हुआ. चुनाव परिणामों के बाद तेजस्वी एक लंबे अर्से तक बिहार की राजनीति से गायब रहे. इस दौरान विधानसभा सत्र में भी वे नजर नहीं आए. विरोधियों के साथ उनकी पार्टी के नेता भी उन्हें ढूंढते रहे लेकिन किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि आखिर तेजस्वी यादव कहां हैं. इस बीच लोकसभा चुनाव के नतीजों और विधानमंडल सत्र से गायब रहने के कारण महागठबंधन में उनके नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठे. लगभग 2 महीने बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार लौटे.

tejaswi yadav
बिहार विधान सभा

9 नवंबर को अपने जन्मदिन पटना पहुंचे तेजस्वी
इस दरम्यानी वक्त में राज्य में चमकी बुखार से बच्चों की मौत, भीषण गर्मी से बड़ी संख्या में लोगों की अकाल मौत, बाढ़-सुखाड़ के दौरान प्रभावित लोगों की परेशा, इन सभी मौके पर तेजस्वी बिहार से गायब रहे. पार्टी के नेता लगातार उनका बचाव करते दिखे. यहां तक कि लोकसभा चुनाव के दिन वोटिंग के दौरान भी तेजस्वी यादव पटना में नहीं थे. हालांकि 9 नवंबर को अपने 30वें जन्मदिन के मौके पर तेजस्वी पटना पहुंचे. जन्मदिन का केक काटा और फिर वापस दिल्ली रवाना हो गए.

tejaswi yadav
आरजेडी कार्यालय

तेजस्वी यादव को ट्वीटर बॉय का तमगा
जेडीयू नेता निखिल मंडल ने पूरे मामले में तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा और उनकी भूमिका से लेकर उनके भविष्य की योजनाओं तक पर सवाल खड़े कर दिए. निखिल मंडल ने तेजस्वी यादव को ट्वीटर बॉय का तमगा दे डाला.

आरजेडी ने नेता का किया बचाव
वहीं आरजेडी नेता चितरंजन गगन तेजस्वी का बचाव करते हुए कहा कि जो लोग सत्ता में हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे सही तरीके से काम करें. वे उल्टा विपक्ष से सवाल कर रहे हैं. सवाल करना विपक्ष का काम है. सत्ता पक्ष इस तरह हमसे सवाल कर रहा है जैसे सारी जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष की हो.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट

तेजस्वी यादव के लिए चुनौतियों भरा रहा साल 2019
साल 2019 तेजस्वी यादव के लिए चुनौतियों भरा रहा. लगातार बिहार से गायब रहने के कारण वे ना सिर्फ अपने विरोधियों के निशाने पर रहे बल्कि पार्टी नेता भी उनसे नाराज हो गए. पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक शिवानंद तिवारी ने कई बार तेजस्वी की मौजूदगी में ही सार्वजनिक रूप से ही अपनी नाराजगी जाहिर की.

Intro:पूरे साल बिहार में अगर किसी राजनेता की सबसे ज्यादा चर्चा हुई तो वह थे तेजस्वी यादव। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वर्तमान में बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हर उस मौके पर बिहार से गायब रहे जब लोगों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। विरोधियों के निशाने पर रहे तेजस्वी लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार को लेकर भी खासे नाराज और निराश दिखे।


Body:बिहार में बतौर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस वर्ष कुछ ज्यादा ही सुर्खियों में रहे। साल की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष पहले तो अपने 5 देशरत्न मार्ग स्थित सरकारी बंगले को लेकर चर्चा में रहे। इस बंगले को खाली कराने को लेकर जमकर बवाल हुआ जिसके बाद आखिरकार वे एक पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में शिफ्ट हुए। हालांकि साल के अंत में ही पहली बार तेजस्वी अपने सरकारी बंगले में नजर आए।
इसके पहले तमाम दावों के बावजूद तेजस्वी के नेतृत्व में पहला लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। जब बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटें एनडीए के खाते में चली गई और 1 सीट कांग्रेस के खाते में गई। राजद शून्य पर आउट हुआ और तेजस्वी की निराशा देखने लायक थी। इसके बाद तेजस्वी जो बिहार से गायब हुए तो करीब 2 महीने बाद ही उनके दर्शन हुए। इस दौरान विधानसभा सत्र में भी वे नजर नहीं आए। लगातार विरोधी उन्हें ढूंढते रहे लेकिन किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि आखिर तेजस्वी यादव कहां हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों और विधानमंडल सत्र से गायब रहने के कारण महागठबंधन में उनके नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठे।
बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का मामला हो, भीषण गर्मी से बड़ी संख्या में लोगों की अकाल मौत का मामला हो या फिर बाढ़ सुखाड़ के दौरान विपक्ष की भूमिका का मामला हो। हर मौके पर तेजस्वी बिहार से गायब रहे और पार्टी के नेता लगातार उनका बचाव करते दिखे। यहां तक कि लोकसभा चुनाव के दिन वोटिंग के दौरान भी तेजस्वी यादव पटना में नहीं थे। हालांकि 9 नवंबर को अपने 30वें जन्मदिन के मौके पर तेजस्वी पटना पहुंचे जन्मदिन का केक काटा और फिर चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली रवाना हो गए।
इसे लेकर जदयू नेता निखिल मंडल ने तेजस्वी पर जमकर निशाना साधा और उनकी भूमिका से लेकर उनके भविष्य की योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए।
राष्ट्रीय जनता दल ने तेजस्वी का बचाव करते हुए कहा कि जो लोग सत्ता में हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे सही तरीके से काम करें और वे उल्टा सवाल इस तरह कर रहे हैं जैसे सारी जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष की हो।



Conclusion:वर्ष 2019 तेजस्वी के लिए चुनौतियों भरा रहा। लगातार बिहार से गायब रहने के कारण वे ना सिर्फ अपने विरोधियों के निशाने पर रहे बल्कि पार्टी के नेता भी उनसे नाराज रहे। विशेष रूप से पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक शिवानंद तिवारी ने कई बार तेजस्वी की मौजूदगी में ही सार्वजनिक रूप से कहा कि तेजस्वी यादव को लगातार बिहार में रहना चाहिए और पार्टी के कार्यक्रमों में भागीदारी करनी चाहिए। लेकिन इसका कोई असर तेजस्वी यादव पर पड़ता नहीं दिखा।

निखिल मंडल जदयू प्रवक्ता
चितरंजन गगन राजद नेता

ईयर एंडर स्पेशल स्टोरी है।
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