पहले MLC चुनाव.. और अब बोचहां उपचुनाव में RJD की जीत, तेजस्वी की रणनीति ने बढ़ा दी NDA की चुनौती

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Published : Apr 17, 2022, 6:22 PM IST

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

बिहार के बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में आरजेडी को मिली जबरदस्त जीत ने एनडीए की चुनौती बढ़ा दी है. तेजस्वी यादव ने पहले एमएलसी चुनाव के लिए जो रणनीति तैयार की, वह सफल रही और अब बोचहां उपचुनाव में मिली जीत से तेजस्वी की रणनीति के आगे बीजेपी और जदयू की मुश्किलें बढ़ा दी है. बोचहां में उम्मीदवार के चयन से लेकर जातीय समीकरण साधने तक सब में तेजस्वी बीजेपी से आगे दिखे. पढ़ें ये रिपोर्ट..

पटना: विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और इसके पीछे तेजस्वी यादव की रणनीति कारगर (Tejashwi strategy worked) रही. बेरोजगारी को उन्होंने बड़ा मुद्दा बनाया, लेकिन सरकार बनते-बनते रह गई. हालांकि, उसके बाद उपचुनाव में जरूर जदयू को सफलता मिली, लेकिन विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव (Bihar MLC Election) में तेजस्वी की रणनीति सफल रही और बिहार एनडीए को नुकसान उठाना पड़ा. अब बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भी तेजस्वी ने अपनी रणनीति से आरजेडी को बड़ी जीत दिलवा दी है.

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तेजस्वी की रणनीति रही कारगर: उपचुनाव में तेजस्वी ने उम्मीदवार के चयन से लेकर जातीय समीकरण साधने की हर रणनीति पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने काम किया. मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को टिकट देकर सहानुभूति वोट भी लिया. उपचुनाव में भी बेरोजगारी का मुद्दा नहीं छोड़ा और उस पर पूरा फोकस किया. हालांकि, उपचुनाव में मिली जीत का सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन 2024 और 2025 के चुनाव को लेकर जरूर तेजस्वी ने एनडीए की चुनौती बढ़ा दी है.

RJD ने बटोरे सहानुभूति वोट: बोचहां उपचुनाव में मिली हार के पीछे कई वजह गिनाई जा रही हैं. रामप्रीत पासवान के बेटे अमर पासवान को आरजेडी ने टिकट देकर सहानुभूति वोट बटोर लिया, इसमें बीजेपी पिछड़ गई. बीजेपी उम्मीदवार बेबी कुमारी को लेकर वहां काफी नाराजगी थी, उसका भी नुकसान उठाना पड़ा. मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बाहर निकालने से बीजेपी को नुकसान हुआ है, क्योंकि मल्लाह वोटर्स बीजेपी से नाराज दिखे. रामविलास पासवान वाला बंगला खाली कराना चुनाव से पहले यह भी बीजेपी को नुकसान पहुंचा गया. पासवान वोट पूरी तरह से आरजेडी में शिफ्ट कर गया और रही सही कसर भूमिहार राजपूत मतदाताओं ने पूरी कर दी.

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BJP-JDU में नहीं दिखी एकजुटता: बीजेपी के अंदर भी एकजुटता नहीं दिखी तो जदयू से भी कोआर्डिनेशन बेहतर नहीं हो सका. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, गिरिराज सिंह सहित बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के चुनाव प्रचार करने का भी कोई असर नहीं दिखा. पार्टी की तरफ से चुनाव में मिली हार के बाद समीक्षा की बात कही गई है. प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने कहा कि अपने लोगों ने ही हरा दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता मालिक है. इस पर टीका टिप्पणी करना सही नहीं है.

तेजस्वी की रणनीति की जीत से BJP का इनकार: ऐसे तो बीजेपी के नेता बोचहां विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत को तेजस्वी यादव की रणनीति की जीत बताने से इंकार कर रहे हैं और करें हैं क्या सहानुभूति वोट के कारण जीत मिली है. वहीं, आरजेडी का साफ कहना है कि यह तेजस्वी यादव की रणनीति है और तेजस्वी यादव पर अब लोगों का भरोसा बढ़ा है, क्योंकि उन्होंने रोजगार से लेकर कार्रवाई और सुनवाई तक की बात कही है. बिहार के लोग भ्रष्टाचार से भी छुटकारा चाहते हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि तेजस्वी यादव की रणनीति निश्चित रूप से बिहार में सरगर्मी बढ़ा दी है. 2020 चुनाव में भी उन्होंने काफी बेहतर परफॉर्मेंस किया था.

''बोचहां में आरजेडी ने जिस तरह से जीत हासिल की है और पूरे एनडीए खेमे को हराया है. उससे बिहार की राजनीति में काफी सरगरर्मी है. तेजस्वी यादव ने जिस तरह से 2020 में अपना परफॉर्मेंस दिया था, उसमें और ज्यादा इजाफा करते नजर आ रहे हैं. जिस तरह की रणनीति उन्होंने अपनाया है वो महत्वपूर्ण है. उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया. तेजस्वी भूमिहार को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें उनकों सपोर्ट मिला है. अगर इसी तरह की रणनीति पर वो आगे भी चलते रहे तो ये एनडीए के लिए विचाणीय प्रश्न होगा.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि विधानसभा की एकमात्र सीट पर हुए उपचुनाव में मुकेश सहनी और चिराग पासवान का फैक्टर भी काम किया है. बोचहां विधानसभा उपचुनाव में मिली हार से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और आरजेडी को यह सीट नई ऊर्जा प्रदान करेगा और सबसे बड़ी बात ये है कि मुकेश सहनी ने भी लगभग 18% वोट हासिल कर एक नई चुनौती पैदा कर दी है. ऐसे में आने वाले समय में एनडीए के लिए मुश्किल बढ़ने वाली है.

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