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शराबबंदी पर सख्ती लाएगी रंग या चौकीदार और एसएचओ के भरोसे जीतेंगे जंग!

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Published : Nov 17, 2021, 10:54 PM IST

शराबबंदी
शराबबंदी

शराबबंदी पर हाई लेवल मीटिंग और उसमें एसएचओ और चौकीदार की जिम्मेदारी तय करने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर हैं. सवाल यह है कि आखिर इस समीक्षा बैठक का नतीजा क्या निकला. बैठक से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने 15 सवाल मुख्यमंत्री से पूछे थे, उनके जवाब नहीं मिलने पर भी आरजेडी (RJD) ने फिर सवाल पूछे हैं. पढ़ें खास रिपोर्ट

पटना: शराबबंदी की समीक्षा (Review on Prohibition) से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से 15 सवाल पूछे थे. अब इस बैठक के बाद एक बार फिर उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए सीएम से पूछा है कि आखिर उन्होंने उनके 15 सवालों के जवाब क्यों नहीं दिए. तेजस्वी ने यह भी लिखा कि मुख्यमंत्री के पास उनके सवालों का कोई जवाब नहीं है. यही वजह है कि उन्होंने खुद की बजाए अपने अधिकारियों को जवाब देने के लिए आगे कर दिया.

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आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि जब बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के नेताओं के अवैध शराब कारोबार में लिप्त रहने पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो यह कानून सही तरीके से राज्य में कैसे लागू होगा. जब एनडीए नेता खुद अवैध कारोबार में लिप्त होंगे तो किसी को इस कानून का भय कैसे होगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता के परिजनों के अवैध शराब कारोबार में लिप्त रहने की पुख्ता जानकारी देने के बावजूद आखिर क्यों उन पर कार्रवाई नहीं हुई.

देखें रिपोर्ट

वहीं, बीजेपी ने आरजेडी (RJD) के इन आरोपों पर पलटवार किया है. प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा कि कोई भी कानून तब तक प्रभावी नहीं हो सकता, जब तक कि सभी लोग इसके अनुपालन में अपनी भूमिका नहीं निभाएं. बीजेपी नेता ने स्वीकार किया कि इस कानून के अनुपालन में कहीं ना कहीं कुछ लोग परेशानी खड़ी कर रहे हैं, लेकिन समीक्षा बैठक का निष्कर्ष यही है कि ऐसे लोगों से कैसे सख्ती से निपटा जाए.

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विनोद शर्मा ने कहा कि हम इस कानून को और सख्ती से लागू करेंगे. इसमें जो भी खामियां हैं, उसे दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून से बिहार को कई फायदे हुए हैं, इस बात को सभी स्वीकार करते हैं. इसलिए जो खामियां हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश जारी है. सरकार अपने स्तर से हरसंभव प्रयास कर रही है.

एक तरफ सरकार शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने की बात कहती है, दूसरी तरफ विपक्ष यह सवाल कर रहा है कि जब बीजेपी और जेडीयू के नेता ही शराब के अवैध कारोबार में लिप्त हैं. उन पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती तो फिर इस कानून का डर आम लोगों में कैसे होगा. आरोप यह भी है कि सिर्फ गरीबों को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है, जबकि जो सक्षम है वह कानून की गिरफ्त में नहीं आते. ऐसे में समीक्षा के बाद इस कानून को और सख्ती से लागू करने पर भी सरकार की नजर है.

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