राष्ट्रपति चुनाव में बढ़त की ओर दिख रही NDA, द्रौपदी मुर्मू को लेकर महागठबंधन कन्फ्यूज !

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Published : Jul 12, 2022, 10:49 PM IST

NDA राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू

देश का अगला राष्ट्रपति (Presidential Election In Indai) कौन होगा इसे लेकर जद्दोजहद जारी है. एनडीए और विपक्ष की ओर से प्रत्याशी मैदान में आ चुके हैं. एनडीए के मास्टर स्ट्रोक के आगे विपक्ष ऑल आउट दिख रहा है. जिसका खुलकर महागठबंधन नेता एनडीए प्रत्याशी की मुखालफत भी नहीं कर पा रहे हैं, पढ़ें पूरी खबर...

पटना: राष्ट्रपति चुनाव एनडीए के लिए बड़ी चुनौती थी और शुरुआत में पलड़ा विपक्ष का भारी दिख रहा था. एनडीए 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में रही और अपने प्रत्याशी तब उतारे जब विपक्ष की ओर से प्रत्याशी घोषित कर दिए गए. द्रौपदी मुर्मू को (Presidential Candidate Draupadi Murmu) सामने लाकर एनडीए ने विपक्ष को चौंका दिया. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शुरुआती दौर में विपक्ष का पलड़ा भारी दिख रहा था. गेंद नवीन पटनायक के पाले में थी उड़ीसा से आने वाली द्रौपदी मुर्मू पर दांव लगाकर भाजपा के शीर्ष नेताओं ने एक तीर से कई निशाना साध लिए. उड़ीसा की अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को सामने लाकर जहां नवीन पटनायक को साध लिया गया.

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राष्ट्रपति चुनाव में NDA का पलड़ा भारी : द्रौपदी मुर्मू को महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में सामने लाकर NDA ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) का भी समर्थन हासिल कर लिया. शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा का समर्थन भी एनडीए को मिलता दिख रहा है और एनडीए का पलड़ा लगातार भारी होता जा रहा है. वहीं महागठबंधन नेता बिहार में एकजुटता दिखा रहे हैं. विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है और वो 15 जुलाई को पटना आ रहे हैं. लेकिन अब बिहार में महागठबंधन राष्ट्रपति चुनाव में धर्म संकट की स्थिति में दिख रहा है. महागठबंधन नेता खुद को अनुसूचित जनजाति और महिला विरोधी करार देना नहीं चाहते तो दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा के पक्ष में भी खड़े दिखते हैं.

द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में विपक्षी खेमे के कई दल : आपको बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं. उससे पहले प्रत्याशी बिहार का दौरा कर रहे हैं. द्रौपदी मुर्मू बिहार आ चुकी हैं और अब बारी यशवंत सिन्हा की है. यशवंत सिन्हा महागठबंधन के नेताओं के साथ बैठक करेंगे और उनसे समर्थन मांगेंगे. बिहार में यशवंत सिन्हा के पक्ष में महागठबंधन नेता एकजुट होने का दावा कर रहे हैं. लेकिन अलग-अलग दलों के नेताओं की राय भी अलग-अलग है. राजनीतिक दल द्रोपदी मुर्मू का खुलकर विरोध करना भी नहीं चाहते हैं. बिहार के मुख्य विपक्षी दल राजद का स्टैंड भी अलग है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि- 'अगर पहले द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने आ जाता तो हम विचार करते और परिस्थितियां अलग हो सकती थी.'

महागठबंधन के नेता राष्ट्रपति चुनाव में हैं कंफ्यूज्ड : मिलती-जुलती राय कांग्रेस विधायक डॉक्टर शकील अहमद का भी है. कांग्रेस विधायक डॉक्टर शकील अहमद का कहना है कि- 'भाजपा आम सहमति से फैसले लेना नहीं चाहती है. और भाजपा नेताओं की आदत ठोकने की हो गई है. विपक्ष से अगर मशविरा किया जाता तो सहमति के आधार पर राष्ट्रपति पद को लेकर फैसला ले लिया जाता.'

'भाजपा सिंबॉलिज्म की राजनीति करती है. अनुसूचित जाति की महिला को सामने लाकर भाजपा राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करना चाहती है. लेकिन हमारा स्टैंड स्पष्ट है. हम भाजपा के विरोध में हैं और यशवंत सिन्हा के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं.' - अजीत कुशवाहा, भाकपा माले विधायक

'एनडीए के उम्मीदवार की जीत ऐतिहासिक होगी. विपक्ष के मतों में और बिखराव होगा. हमारे उम्मीदवार को लेकर विपक्षी नेताओं की सहानुभूति नहीं है. वह घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं,' - राजीव रंजन, भाजपा उपाध्यक्ष

'राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए ने प्रत्याशी घोषित कर बढ़त बना लिया था. धीरे-धीरे कई दल समर्थन में आ रहे हैं. विपक्ष धर्मसंकट की स्थिति में है. वह यशवंत सिन्हा के पक्ष में खड़े दिखते रहना तो चाहते हैं. लेकिन द्रौपदी मुर्मू का विरोध भी करना नहीं चाहते. राजनीतिक दलों को वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है.' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के 56 सांसद लेगें हिस्सा : राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के कुल 56 सांसद हिस्सा लेगें और विधायकों की संख्या 243 है. वोट के लिहाज से बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन जदयू की भूमिका भी अहम है. बिहार के एक विधायक का वोट वैल्यू 173 है. इस हिसाब से देखें तो विधायकों का वोट वैल्यू 42,039 है. वहीं, राज्यसभा और लोकसभा के सांसद का वोट वैल्यू 700 है. बिहार में 56 सांसद हैं, इसलिए आपसे सांसदों का वोट वैल्यू 39,200 है. बिहार में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 81,230 वोट हैं. वोट के लिहाज से एनडीए की स्थिति मजबूत दिख रही है. जदयू, बीजेपी, हम और रालोजपा का वोट मिला दें, तो कुल मिलाकर 55,398 वोट होते हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन की बात करें तो, महागठबंधन के पास कुल मिलाकर 24,130 वोट है और इसमें अगर एआईएमआईएम के 5 विधायकों का वोट जोड़ दिया जाए तो विपक्ष के पास वोटों की संख्या 24,968 हो जाती है.

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