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जानिए पटना एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर अनिल कुमार से, OMICRON शब्द में ही कैसे छिपा है बचाव का तरीका

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Published : Dec 18, 2021, 10:34 PM IST

पटना एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अनिल कुमार ने ओमीक्रोन से बचाव की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि इसके नाम में ही संक्रमण से बचने का तरीका छिपा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

ओमीक्रोन से ऐसे करें बचाव
ओमीक्रोन से ऐसे करें बचाव

पटना: कोरोना का बदलता म्यूटेंट स्वास्थ्य जगत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. जब से ओमीक्रोन ने दस्तक दी है, दुनिया भर में चिंताएं बढ़ गई हैं. क्योंकि विशेषज्ञ बता रहे हैं कि यह वेरिएंट कोरोना के दूसरे अन्य म्यूटेंट (OMICRON In India) से काफी अधिक संक्रामक है. ऐसे में ओमीक्रोन से बचाव का नायाब तरीका ढूंढा है पटना एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अनिल कुमार (Senior Doctor Anil Kumar) ने. डॉक्टर अनिल कुमार के मुताबिक ओमीक्रोन नाम में ही बचाव का राज (How To Prevent Omicron) छिपा हुआ है.

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क्यों ओमीक्रोन है वेरिएंट ऑफ कंसर्नः पटना एम्स के ट्रामा डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार ने ओमीक्रोन को लेकर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि 'इस वेरिएंट को चिकित्सा जगत वेरिएंट ऑफ कंसर्न कह रहा है. क्योंकि इसके संक्रमण फैलने का दर काफी अधिक है. वेरिएंट ऑफ कंसर्न उस वेरिएंट को कहते हैं, जो वायरस के वैक्सीनेशन को मात देने की क्षमता रखता है. इसके खिलाफ शरीर का इम्यून सिस्टम भी ज्यादा काम नहीं करता. लंग्स से वायरस चिपक जाता है और यह वायरस काफी अधिक फैलता है. ओमीक्रोन को लेकर सबसे बड़ी बात यह है कि संक्रमण तेजी से फैलता है.'

OMICRON के नाम में ही बचाव का राज, देखें वीडियो...

डेल्टा और ओमीक्रोन में कितना अंतरः डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि 24 नवंबर 2021 को साउथ अफ्रीका में ओमीक्रोन का पहला केस डिटेक्ट किया गया. इतने दिनों में ही दुनिया भर में काफी अधिक लोग इस वेरिएंट से संक्रमित हो चुके हैं. अभी तक कोरोना का सबसे घातक और खतरनाक वेरिएंट डेल्टा था, जिसमें वायरस के मूल रूप से उसके स्पाइक प्रोटीन में 9 म्यूटेशन हुए थे. वहीं ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन पाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि यह डेल्टा से कई मायनों में अलग है. डेल्टा वेरिएंट में बुखार तेज आता है, स्वाद और गंध चला जाता है, खांसी की शिकायत रहती है. वहीं ओमीक्रोन में बुखार हल्की रहती है, स्वाद और गंध नहीं जाता, गले में दर्द रहती है. डेल्टा में ऑक्सीजन सैचुरेशन अचानक काफी नीचे चला जाता था. वह इस वेरिएंट में नहीं है. इसमें अधिक ऑक्सीजन सैचुरेशन नहीं गिरता है. डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट जहां छह से आठ लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, वहीं ओमीक्रोन का RO (r-not factor) अधिक है. यह 12 से 18 लोगों को संक्रमण फैलाने की क्षमता रखता है.

वैक्सीन के बूस्टर डोज की आवश्यकता क्यों हैः डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि ऐसे में बूस्टर डोज की आवश्यकता हो जाती है. क्योंकि कोरोना का कोई भी वेरिएंट हो, उसके खिलाफ इम्यूनाइजेशन सबसे कारगर तरीका है. इम्यूनाइजेशन की अपनी विशेषता है. किसी बीमारी का शरीर में जब इम्यूनाइजेशन होता है, तब शरीर में एक समय पर एंटीबॉडी लेवल वीक पड़ जाती है. फिर एंटीबॉडी लेवल घटना शुरू होती है. लेवल जीरो के पास आ जाता है. ऐसे में जिस समय एंटीबॉडी लेवल काफी नीचे घट जाता है, उस पीरियड में बूस्टर डोज की आवश्यकता पड़ती है.

ओमीक्रोन से बचाव कैसे संभव हैः डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि OMICRON नाम में ही इस संक्रमण का इलाज छुपा हुआ है. O का मतलब है ओबेडिएंट बनें, कोरोना गाइडलाइन को फॉलो करें. M का मतलब है मास्क पहनें. I का मतलब है इम्यूनाइजेशन. इसके लिए सरकार और लोगों को जागरूक बनना होगा. C का मतलब है, चेस्ट फिजियोथैरेपी यानी कि इसके तहत हमें अपने फेफड़ों को मजबूत करने के लिए व्यायाम करने हैं. जैसे कि अनुलोम विलोम, डीप ब्रीदिंग, गुब्बारे में मुंह से हवा भरना और उसे छोड़ना इत्यादि. C से CALM रहना, यानी कि घबराना नहीं है. R का मतलब है रनिंग यानी कि सुबह-सुबह व्यायाम करें, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत और दुरुस्त रहें. O का मतलब ऑक्सीजन से है और इसका तात्पर्य यह है कि अपना फेफड़ा खराब नहीं करें, इसके लिए स्मोकिंग को 'ना' करें, पॉल्यूशन को 'ना' करें, अधिक से अधिक प्लांटेशन करें. N का मतलब न्यूट्रिशनल डाइट से है यानी कि पोषण युक्त भोजन करें. शरीर को जो हानि पहुंचाए ऐसे भोजन नहीं करें.

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