नीतीश सरकार के एक साल: रिपोर्ट कार्ड की जगह शराबबंदी वाले बिहार में 'मौत' पर समीक्षा करेंगे CM

author img

By

Published : Nov 15, 2021, 9:21 PM IST

Updated : Nov 15, 2021, 10:06 PM IST

पटना

नवंबर 2021 तक बिहार में जहरीली शराब के 14 मामले आ चुके हैं. अगर इनमें मरने वालों की बात करें तो 66 लोग पहले मरे थे, गोपालगंज और बेतिया में जिन 20 लोगों की मौत हुई है, अगर उसे जोड़ दिया जाए तो मौत का आंकड़ा करीब 85 हो जाता है.

पटना: बिहार में नीतीश सरकार 16 नवंबर यानी मंगलवार को एक साल का कार्यकाल पूरा कर रही है. पिछले एक साल का कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है. चाहे बाढ़ की विभिषिका हो, नक्सलवाद का क्रूर चेहरा हो या फिर बिहार में पूर्ण शराबबंदी का मामला हो सभी मुद्दों पर सरकार को कसौटी का सामना करना पड़ा है. शायद यही कारण है कि हर साल अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखने वाले नीतीश कुमार को शराबबंदी पर समीक्षा करने की जरूरत आन पड़ी है.

ये भी पढ़ें- "बिहार में 'हिडन सोर्स ऑफ फंड कलेक्शन' का जरिया बनी शराबबंदी"

बिहार में 'अ'पूर्ण शराबबंदी!
बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) है. इसके बाद भी राज्य में लगातार जहरीली शराब (Poisonous Liquor Case) के मामले सामने आ रहे हैं. जहरीली शराब से मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते तीन से चार दिनों में राज्य में 40 से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. इन मौतों के बाद पूर्ण शराबबंदी कानून और बिहार पुलिस पर लगातार सवालिया निशान लग रहे हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून के बाद से अब तक करीब 125 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है. साल 2021 में लगभग 90 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. हालांकि, शराब के जुड़े मामलों की पुष्टि नहीं हो पा रही है.

ईटीवी भारत gfx
ईटीवी भारत gfx

जहरीली शराब पीने के कारण 40 से अधिक मौतों के बाद बिहार में जारी शराबबंदी को लेकर मंगलवार को समीक्षा बैठक होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बैठक में एक-एक बिंदु की समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद से कुछ लोग मेरा विरोधी हो गए हैं और मेरे खिलाफ हमेशा बोलते रहते हैं.

''शराबबंदी को लेकर एक-एक रिपोर्ट लेंगे. कितने मामले आए और कितने का निष्पादन हुआ उसके बारे में जानेंगे. कहीं कुछ कमी रह गई है तो उसको लेकर चर्चा करेंगे. शराबबंदी महिलाओं की मांग पर हमने 2016 में लागू किया था. उस समय सभी दल के नेताओं ने समर्थन दिया था, लेकिन अब कई तरह के आरोप लगा रहे हैं. इस पर पहले भी समीक्षा की है, लेकिन यह विस्तृत समीक्षा होगी और जागरूकता अभियान को लेकर भी चर्चा की जाएगी. एक-एक चीज पर बात होगी. बिहार में शराबबंदी लागू रहेगी.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

ईटीवी भारत gfx
ईटीवी भारत gfx

दरअसल, बीते कुछ दिनों में शराब पीने से मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और बेतिया में करीब 40 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से होने की बात कही जा रही है. हाल के इन मामलों में हो हंगामे के बीच पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू भी कर दी है. स्थानीय थानाध्यक्ष और चौकीदार को निलंबित करते हुए कई लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है.

ये भी पढ़ें- जान पर भारी 'जाम'! बिहार में नहीं थम रहा जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला

नीतीश कुमार ने राजगीर में पुलिस के इधर-उधर करने की बात कही तो 28 अक्टूबर 2021 को मुजफ्फरपुर जिले में 8 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई. 28 अक्टूबर 2021 तक बिहार में शराब के कुल 13 मामले सामने आए, जो जहरीली शराब के थे. जिसमें कुल 66 लोगों की जान चली गई थी. 28 अक्टूबर 2021 तक कुल 66 लोगों की मौत हो गई थी. जिस बेतिया में पिछले दिनों 8 लोगों की मौत हुई. जुलाई 2021 में लोरिया के देवला गांव में 16 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन, बेतिया में यह मामला अभी ठंडे बस्ते में गया ही नहीं था कि फिर 8 लोगों की मौत हो गयी.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में 2016 से अब तक शराबबंदी रोकने में विफल पाये पाए गए करीबन 700 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है. तीन लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून के तहत जेल भी भेजा जा चुका है. राज्य के बाहर के बड़े शराब तस्करों की अन्य राज्यों से गिरफ्तारी भी की गई है. इसके बावजूद बिहार में अवैध शराब का व्यवसाय फल-फूल रहा है.

नवंबर 2021 तक बिहार में जहरीली शराब के 14 मामले आ चुके हैं. अगर इनमें मरने वालों की बात करें तो 66 लोग पहले मरे थे, गोपालगंज और बेतिया में जिन 20 लोगों की मौत हुई है, अगर उसे जोड़ दिया जाए तो मौत का आंकड़ा करीब 85 हो जाता है.

कहने के लिए तो बिहार में 2016 से ही शराबबंदी है. नीतीश कुमार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी कर दी थी, लेकिन शराब बंद कहां है ये कहा नहीं जा सकता है. क्योंकि जहां भी आपको शराब की जरूरत है, बिहार में एक संगठित अपराध गिरोह इस पर काम कर रहा है. इसका व्यापार लगभग 5000 करोड़ से ऊपर का है. ऐसे में सरकार के तमाम लोग इतने पैसे में तो अपना इमान बेचने को तैयार ही रहते हैं. नीतीश और उनकी सरकार पर आरोप इसलिए भी लग रहा है कि जिन 20 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वह इसी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है. अगर प्रशासन पूरे तौर पर सजग होता तो बिहार के लिए रोशनी का पर्व काली दिवाली नहीं बनती.

ये भी पढ़ें- 'लाल आतंक' की वो काली रात.. जब नक्सलियों ने एक ही परिवार के 4 लोगों को फांसी पर लटका दिया

कानून व्यवस्था पर विपक्ष का हल्ला बोल
बिहार में लगातार बढ़ते अपराध की बात की जाए तो बिहार में कानून व्यवस्था की हालत भी किसी से छिपी नहीं है. बेखौफ बदमाश आए दिन पुलिस को चुनौती देने में लगए हुए हैं. यही कारण है कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने राज्य में शराबबंदी और लगातार बढ़ते अपराध को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बिहार में अपराधियों का नहीं, बल्कि गैंग्स ऑफ नीतीश कुमार का आतंक राज चल रहा है. मुख्यमंत्री को खुद किसी बात की जानकारी नहीं होती और सवाल दूसरों पर उठाते हैं.

देखें वीडियो

''नीतीश कुमार ही बिहार में अपराधियों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं. पिछले 11 माह में बिहार में 500 से अधिक व्यापारियों की हत्या हुई है और सरकार सिर्फ फिजूल के तर्क देने में लगी हुई है. राज्य में अब कोई भी सुरक्षित नहीं है, चाहे वह पत्रकार हो या फिर कोई सामाजिक कार्यकर्ता हो. जो सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनके भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं, उन्हें अपराधियों द्वारा मरवा दिया जा रहा है.''- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

बिहार में 'लाल आतंक' क्रूर चेहरा
बिहार के कई जिलों में संवेदनशील और अति संवेदनशील इलाकों में नक्सलियों का आतंक आब भी देखने को मिल रहा है. ताजा मामला बिहार के गया (Gaya) जिले का है जहां एक बार फिर लाल आतंक का क्रूर चेहरा देखने को मिला है. जहां नक्सलियों (Naxalites) ने दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम देते हुए एक ही परिवार के चार लोगों को फांसी के फंदे से लटकाकर मौत के घाट उतार दिया. नक्सलियों ने सभी के शवों को घर के बाहर फंदे से लटकाकर घर को बम से उड़ा दिया.

नक्सलियों ने इस क्रूर वारदात को अंजाम देने के बाद एक पर्चा भी छोड़ा. जिसमें लिखा था 'विश्वासघातियों को सूली पर चढ़ा दिया है. गद्दारों और विश्वासघातियों को ऐसी ही सजा दी जाएगी. हमारे चार साथियों को षडयंत्र के तहत जहर देकर मरवाया गया था, इसी का यह बदला है. वे एनकाउंटर में नहीं मारे गए थे.' नक्सलियों ने इसे अपने 4 साथियों अमरेश कुमार, सीता कुमार, शिवपूजन कुमार और उदय कुमार की शहादत का बदला बताया है.

दरअसल, एक साल पहले गया जिले के डुमरिया थाना क्षेत्र के मोनबार गांव में पुलिस ने एनकाउंटर में 4 नक्सलियों को मार गिराया था. उक्त घटना को नक्सलियों के अन्य नेताओं ने फर्जी बताया था. नक्सली नेताओं का कहना था कि जिस घर में नक्सली ठहरे थे, उस घर के लोग पुलिस से मिलकर पहले खाने में जहर देकर मार दिया और फिर पुलिस को बुलाकर झूठा एनकाउंटर करवाया. इसी के विरोध में बीती रात की घटना को अंजाम दिया गया है.

ये भी पढ़ें- डिजास्टर इंडेक्स में बिहार देश में दूसरे स्थान पर लेकिन फंड एलोकेशन में उपेक्षा

बिहार में बाढ़ की विभिषिका
बिहार में इस साल जून महीने से ही बाढ़ (Flood In Bihar) ने जमकर तबाही मचाई. बाढ़ के कारण इस बार भी लाखों की आबादी प्रभावित हुई और हजारों करोड़ की सरकारी एवं निजी संपत्ति को नुकसान हुआ. बिहार सरकार (Bihar Government) की ओर से सितंबर में ही केंद्र सरकार (Central Government) से 3763.85 करोड़ (Bihar Flood Relief Fund) मदद की मांग की गई थी. बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने आयी केंद्रीय टीम के सामने मुख्य सचिव के स्तर पर बैठक में प्रारंभिक आंकलन पेश किया गया था. बाद में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से प्रेजेंटेशन भी दिया गया था.

ईटीवी भारत gfx
ईटीवी भारत gfx

बारिश के कारण पांच बार सूबे में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हुए. 31 जिले के 294 प्रखंड में 79.3 लाख की आबादी इस बार बाढ़ से प्रभावित हुई. 6.64 लाख हेक्टेयर फसल को भी क्षति पहुंची. सितंबर में केंद्र सरकार को मदद के लिए बिहार सरकार ने 3763.85 करोड़ की राशि का प्रतिवेदन दिया था, उसमें से जल संसाधन विभाग ने 1469.99 करोड़ की मांग की, तो वहीं आपदा प्रबंधन विभाग 1168 .59 करोड़, कृषि विभाग 661.16 करोड़, पथ निर्माण विभाग 203.145 करोड़, ग्रामीण कार्य विभाग ने 234.74 करोड़, ऊर्जा विभाग ने 14.3 7 करोड़, पीएचईडी ने 7.86 करोड़ और पशुपालन विभाग ने 4.04 करोड़ का प्रतिवेदन दिया.

बिहार में पिछले 40 साल से बाढ़ की समस्या बरकरार है. राज्य सरकार के मुताबिक करीब 70 हजार वर्ग किलोमीटर इलाका हर साल बाढ़ में डूब जाता है. फरक्का बराज इसका मुख्य कारण है. इसके बनने के बाद बिहार में नदी का कटाव बढ़ा. सहायक नदियों से लाई गई सिल्ट और गंगा में घटता जल प्रवाह इस परेशानी को और बढ़ा रहा है.

गौरतलब है कि साल 2020 में बिहार के 12 जिले बुरी तरह बाढ़ की चपेट में रहे और 23 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए.वहीं साल 2013 के जुलाई महीने में आई बाढ़ में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. बाढ़ का असर राज्य के 20 जिलों पड़ा था और लगभग 50 लाख लोग प्रभावित हुए थे. वहीं बात साल 2011 की करें तो 25 जिलों बाढ़ से प्रभावित हुए थे. 71.43 लाख लोगों के जनजीवन पर असर पड़ा था. बाढ़ से 249 लोगों ने जान गंवाई थी. 2008 में बाढ़ का मंजर और भी भयावह था. 18 जिले बाढ़ की चपेट में आए. इसकी वजह से करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 258 लोगों की जान गई.

ऐसे में अब सबकी नजर मंगलवार को होने वाली बैठक पर है. बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या कुछ एक्शन लेते हैं.

Last Updated :Nov 15, 2021, 10:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.