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गिरिराज का दावा- मनरेगा में फंड की कोई कमी नहीं, लेकिन वित्तीय अनुशासन का पालन करें राज्य

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Published : Nov 10, 2021, 11:24 AM IST

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मनरेगा में धन की कमी नहीं है. राज्य सरकारें वित्तीय अनुशासन का पालन करें ताकि धन राशि जारी करने में सहूलियत हो. वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं करने पर मनरेगा का भुगतान करने में दिक्कत होगी.

Giriraj Singh
Giriraj Singh

नयी दिल्ली: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने कहा कि मनरेगा (MGNREGA) में फंड की कमी न थी, ना है और ना भविष्य में होगी. तमिलनाडु और उड़ीसा जैसी राज्य सरकारों से पूछना चाहता हूं कि कोई राज्य वित्तीय अनुशासन के बगैर कोई शासन व्यवस्था चला सकता है क्या?

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उन्होंने कहा कि मार्च में वित्तीय वर्ष का अंत होता है. उसके बाद 6 महीने मनरेगा का जो टर्म्स कंडीशन होता है. उसके अनुसार हम राज्यों को पेमेंट करते हैं लेकिन मनरेगा का नियम यह भी है कि 30 सितंबर के बाद जब भी राज्यों के द्वारा कोई मांग की जाएगी तो उसमें ऑडिट रिपोर्ट होना जरूरी है. यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (UC) होना चाहिए. इन दोनों राज्यों ने न ऑडिट रिपोर्ट भेजा ना यूसी. सोशल ऑडिट में सामने आया है कि फंड में 250 करोड़ की अनियमितता थी. पूरे देश के राज्यों को एडवाइजरी दे रहा हूं कि वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं करेंगे तो मनरेगा का पेमेंट करने में हमें दिक्कत होगी.

देखें रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, उड़ीसा जैसे राज्यों को धन राशि की पहला हिस्सा अप्रैल में जारी किया था. दूसरा हिस्सा तभी जारी किया जाएगा जब राज्य पिछले वित्त वर्ष का ऑडिट रिपोर्ट देंगे. इन राज्यों ने ऐसा नहीं किया था. कुछ राज्यों ने वित्तीय नियमों एवं विनियमों का पालन किये बिना ही कार्यक्रम के तहत केंद्र से धनराशि मांगी.

बता दें कि उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने पीएम मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखी थी. मांग की थी कि समय रहते मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन का आवंटन किया जाए. केंद्र के पास उड़ीसा का 1088 करोड़ रुपया बकाया है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने तत्काल धनराशि जारी करने की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु को जारी 3524.69 करोड़ रुपए की पूरी राशि का उपयोग 15 सितंबर तक कर लिया गया है. तब से केंद्र सरकार द्वारा फंड जारी नहीं किया गया. इसके चलते मजदूरों का 1178.12 करोड़ रुपये का वेतन बकाया हो गया है.

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ऐसी खबरें आई थीं कि चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 21 राज्यों के पास मनरेगा का फंड खत्म हो गया है. जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 5 महीने बाकी हैं. 2021-22 में मनरेगा के लिए 73000 निर्धारित किया गया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि फंड खत्म होगा तो अनुपूरक बजटीय आवंटन उपलब्ध होगा. पिछले साल कोरोना की पहली लहर एवं लॉकडाउन के दौरान कई लोगों को मनरेगा ने सहारा दिया था. केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 61500 करोड़ के प्रारंभिक आवंटन को संशोधित कर 1.11 लाख करोड़ कर दिया था. इसके तहत 11 करोड़ लोगों काे सहारा मिला था.

मनरेगा में फंड की कमी की जो बात सामने आई थी, इस पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार मनरेगा कार्यक्रम के उचित कार्यान्वयन के लिए मजदूरी और सामग्री भुगतान के लिए धनराशि जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है. चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 222 करोड़ से अधिक व्यक्ति दिवस (Person-days) सृजित हुए हैं. 2021 में 6 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. पिछली बजट की तुलना में वर्तमान में 18% से अधिक धनराशि जारी किया गया है. राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को इस वित्तीय वर्ष में 63793 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. वर्तमान में 8931 का रुपये की धनराशि उपलब्ध है.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा देश में ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार व आजीविका प्रदान करती है. इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष में 100 दिन रोजगार प्रदान करना है. यह दुनिया की एकमात्र ऐसी योजना है जो रोजगार की गारंटी देती है. नौकरी नहीं मिलने की स्थिती में लाभार्थी बेरोजगारी भत्ते का दावा कर सकते हैं.

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