CBI.. ED ने पटना में डाला डेरा, रडार पर तेजस्वी समेत JDU के बड़े नेता

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Published : Aug 14, 2022, 7:50 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 8:00 PM IST

CM Nitish Kumar और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

बिहार में कई नेता Investigating Agencies की रडार पर हैं. सरकार बदलने के साथ ही जांच एजेंसियों को लेकर सियासत शुरू हो गई है. महागठबंधन नेता जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता को लेकर हमलावर हैं. सरकार में शामिल नेताओं का इसको लेकर माइंड गेम जारी है तो जांच एजेंसियों ने राजधानी पटना में डेरा डाल रखा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

पटना: बिहार में महागठबंध की सरकार (Mahagathbandhan Government In Bihar) बनने के बाद भी बिहार में सियासी बवाल जारी है. अभी नई सरकार, राज्य में प्रशासन चुस्त-दुरुस्त कर विकास की राह पर बढ़ना चाह रही है, इसी बीच जांच एजेंसियों की रडार पर कई नेता (Many Leaders In Bihar On Radar Of Investigating Agencies) आ चुके हैं. हालांकि बिहार सरकार में शामिल नेता इसे बदले की भावना बता रहे हैं. तो वहीं, बीजेपी के नेता इसे कानूनी कार्रवाई मान रहे हैं. गौरतलब है कि सृजन घोटाले की जद में कई बड़े नेता हैं. हाल के कुछ वर्षों में बिहार में कई बड़े घोटाले हुए जो देश के सुर्खियों में रहे. चारा घोटाला मामले में तो लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं को सजा मिल चुकी है, लेकिन अभी भी कई घोटाले हैं, जिसके आरोपी खुले घूम रहे हैं. मिसाल के तौर पर धान क्रय घोटाला, सृजन घोटाला और बालिका सुधार गृह घोटाले ने बिहार की खूब फजीहत कराई थी. जिसमें बिहार के तत्कालीन सुशासन बाबू यानी सीएम नीतीश कुमार पर भी आंच आई है.

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चारा घोटाले में लालू को हुई है सजा : सृजन और बालिका सुधार गृह घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है तो धान क्रय घोटाले की जांच से सीबीआई ने मना कर दिया था और आर्थिक अपराध इकाई घोटाले की जांच कर रही है. मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह और सृजन घोटाले की जांच की आंच बिहार के कई बड़े नेताओं पर पड़ सकती है. सरकार में बैठे कई अधिकारी और कद्दावर नेता इसके जद में हैं और सीबीआई कभी भी बड़ी कार्रवाई कर सकती है. सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने कोर्ट के आदेश पर एसआईटी गठित किया हुआ है और जांच में तेजी लाई गई है. 3500 करोड़ से अधिक के घोटाले में कई बड़े नेताओं पर तलवार लटक सकती है.

सृजन घोटाला मामले में CBI जांच तेज : भागलपुर स्टेट सृजन महिला सहयोग समिति एक गैर सरकारी संगठन है. जिसके खाते में 2004 से 2014 के बीच कथित तौर पर करोड़ों रुपए सरकारी धन हस्तांतरित किए गए, संगठन का मुख्य कार्यालय बिहार के भागलपुर स्थित सबौर ब्लॉक में था. एनजीओ की संस्थापक मनोरमा देवी की मौत के बाद 2017 में मामले का खुलासा हुआ और 10.32 करोड़ रुपए का सरकारी चेक बाउंस हो गया जिससे घोटाले का पर्दाफाश हुआ. सृजन घोटाला मामले में संस्था के तत्कालीन सचिव रजनी प्रिया और उसके पति अमित कुमार सीबीआई के पकड़ से बाहर हैं. इनकी गिरफ्तारी के बाद कई राज खुलने की संभावना है. फिलहाल सीबीआई कुछ बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार करने की तैयारी में है, अधिकारियों के गवाही के बाद नेताओं तक सीबीआई पहुंचेगी.

सृजन घोटाला में CBI कर सकती है कड़ी कार्रवाई : सूत्रों की मानें तो सरकार के आंखों के तारे अधिकारियों को सीबीआई गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है. 4 सरकारी कर्मचारियों समेत 16 लोगों के खिलाफ सीबीआई वारंट हासिल कर चुकी है और कुर्की की तैयारी की जा रही है. जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने से पहले वारंट की स्थिति का ही जिक्र सीबीआई को करना जरूरी है. स्लीपर घोटाला मामले की जांच शुरू होने की संभावना है और बिहार के कद्दावर नेता जद में हैं. सीबीआई स्लीपर घोटाला मामले की जांच कर रही है. स्लीपर घोटाले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन डाला गया है, अगर सुप्रीम कोर्ट अनुमति दे देती है तो सीबीआई मामले की जांच फिर से शुरू कर सकती है. स्लीपर घोटाले में आरोप सीएम नीतीश कुमार पर हैं.

सीएम नीतीश कुमार पर स्लीपर घोटाले में आरोप : आपको बता दें कि साल 2001 से साल 2004 के बीच बड़े पैमाने पर नई रेल लाइन बिछाने और गेज परिवर्तन के वजह से देश के अलग-अलग रेलवे जोन से करोड़ों की संख्या में रेल मंत्रालय को कंक्रीट स्लीपर की मांग प्राप्त हो रही थी. टेन्डर संख्या csi145 /2000 द्वारा 90 लाख का टेंडर संख्या csi152/2002 के द्वारा एक सौ सात लाख कंक्रीट स्लीपर की आपूर्ति के लिए टेंडर जारी किया गया, दोनों ओपन टेंडर थे. टेंडर में नए और पुराने दोनों तरह के निर्माणकर्ता और आपूर्तिकर्ताओं ने टेंडर जमा किए थे, लेकिन आरोप यह है कि दयानंद सहाय और उनके निकट संबंधी धीरेंद्र अग्रवाल के स्वामित्व वाले फार्म में सरसों दया इंजीनियरिंग वर्क्स गया को लाभ पहुंचाने के लिए मंत्रिमंडल या सक्षम प्राधिकार की सहमति या स्वीकृति के अपने स्तर से अनधिकृत एवं अनियमित तरीके से खुले रूप में टेंडर को सीमित टेंडर के रूप में बदल दिया गया.

स्लीपर घोटाले की आंच सीएम नीतीश कुमार पर : दया इंजीनियरिंग वर्क्स गया ने प्रति स्लीपर ₹565 के दर से टेंडर डाला था. वहीं नए निर्माणकर्ताओं ने उसी गुणवत्ता के कंक्रीट स्लीपर के दर ₹429 प्रति स्लीपर बताया था. इस तरह से गुणवत्ता एक कंक्रीट स्लीपर दर से प्रति कंक्रीट ₹136 का अंतर था. 152 ऑब्लिक 2000 टेंडर में में सर्च दया इंजीनियरिंग वर्क्स गया और उसके एसोसिएट आपूर्तिकर्ताओं को ₹715 प्रति कंक्रीट स्लीपर की मांग की. वहीं नए आपूर्तिकर्ताओं ने ₹591 प्रति कंक्रीट स्लीपर की मांग की. इस तरीके से ₹124 का अंतर पाया गया. उच्चतम और निम्नतम मूल्य में इतना अंतर होने के बावजूद तत्कालीन रेल मिनिस्टर ने आदेश दिया और रेल को 320 करोड़ से अधिक की क्षति हुई. उस वक्त रेल मंत्री नीतीश कुमार थे.

ED के निशाने पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव : इधर तेजस्वी यादव यादव पर भी ईडी ने शिकंजा कसा हुआ है. आईआरसीटीसी घोटाला मामले में लालू यादव के करीबी भोला यादव गिरफ्तार किए जा चुके हैं. तेजस्वी यादव पर आरोप लगे हैं कि आईआरसीटीसी के टेंडर में तेजस्वी यादव को बड़ा फायदा हुआ है. आईआरसीटीसी के जरिए रांची और पूरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देखरेख का काम सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को दिया गया था. विनय और विजय कोचर इस कंपनी के मालिक थे. होटल की ओर से इसके बदले में लालू यादव को पटना में 3 एकड़ जमीन दी गई थी. तेजस्वी यादव पर आईआरसीटीसी घोटाला मामले में सीबीआई ने अंतिम प्रपत्र दाखिल किया हुआ है. और कभी भी उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

बालिका सुधार गृह घोटाला नीतीश कुमार के कार्यकाल में हुआ था : मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह घोटाला नीतीश कुमार के कार्यकाल में हुआ था. साल 2018 में घोटाले का खुलासा हुआ था. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट में बच्चियों के साथ यौन शोषण और दुर्व्यवहार की बात सामने आई थी. मामले में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को सजा हो चुकी है. लेकिन कई सफेदपोश नेता कार्रवाई की जद से बाहर हैं. सीबीआई इस मामले में भी बड़ी कार्रवाई कर सकती है और पहले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है. पिछले एक पखवाड़े से सीबीआई और ईडी की टीम राजधानी पटना में है. जानकारी के मुताबिक 50 की संख्या में सीबीआई और ईडी के अतिरिक्त अधिकारी तैनात हैं. सीबीआई के डीजी भी पटना में थे लेकिन अब वह दिल्ली लौट चुके हैं.

जांच एजेंसियों के रडार पर कई नेता : जांच एजेंसियों के रडार पर JDU और राजद के कई नेता हैं. वहीं इसको लेकर जदयू और राजद नेता हमलावर है. बिहार में कुछ घंटे में सरकार बदल गई थी, नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और वह महागठबंधन के साथ हो गए और शपथ ग्रहण हुआ. जिसके बाद से ही राजद और जदयू के नेता सीबीआई और ईडी को लेकर हमलावर हो गए. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि- 'हमें सीबीआई और ईडी से डर नहीं लगता है, हमने कोई काली कमाई नहीं की है.

'हम सीबीआई और ईडी से नहीं डरते हैं. दोनों एजेंसी सरकार के इशारे पर काम करती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे जांच एजेंसियों के लिए आयोग बनाने की हिदायत दी है. एजेंसियों को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए.' - एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'ईमानदार लोगों को जांच एजेंसियों से डरने की कोई जरूरत नहीं है जो गलत करते हैं, वही डरते हैं और एजेंसियां गलत करने वालों के खिलाफ ही कार्रवाई करती है.' - नवल किशोर यादव, भाजपा के वरिष्ठ नेता

'सीबीआई और ईडी किसी गलत लोगों पर कार्रवाई नहीं करती है. एजेंसियां पहले जांच करती हैं, उसके बाद कार्रवाई की जाती है. कुछ लोग भले ही जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हो लेकिन एजेंसियां लोगों के दबाव में नहीं आती. आने वाले दिनों में जांच एजेंसियों की तत्परता दिखी और मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो कई बड़े नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है. सरकार के सेहत पर भी फर्क पड़ना तय है. जांच एजेंसियों के रडार पर नीतीश सरकार के बड़े ओहदे पर बैठे अधिकारी हैं. अधिकारियों के जरिए जांच एजेंसी सफेदपोश लोगों तक पहुंचेगी.' - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

Last Updated :Aug 14, 2022, 8:00 PM IST
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