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IGIMS पटना में लिवर ट्रांसप्लांट OPD की शुरुआत, एक ही स्थान पर मिलेंगी सभी सुविधाएं

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Published : Sep 12, 2021, 10:12 AM IST

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आईजीआईएमएस पटना में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट के ओपीडी की शुरुआत की गयी है. इससे मरीजों को अलग-अलग विभागों में भटकना नहीं पड़ेगा. एक ही स्थान पूरी व्यवस्था उपलब्ध होगी. पढ़ें पूरी खबर.

पटना: आईजीआईएमएस (IGIMS) में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट (Surgical Gastroenterology and Liver Transplant) के ओपीडी का शनिवार को शुभारंभ किया गया. इस मौके पर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल, डॉ. साकेत कुमार समेत कई वरिष्ठ चिकित्सक मौजूद रहे. डॉक्टर मनीष मंडल ने जानकारी दी कि कई मरीज अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए विभिन्न विभागों में भटकते रहते हैं. लिवर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में प्रदेश में आईजीआईएमएस का बड़ा नाम है. लिवर ट्रांसप्लांट के लिए आने वाले मरीजों की संख्या अस्पताल में बढ़ रही है.

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उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश के आंकड़ों को देखें तो 10 वर्ष पिछले वित्तीय वर्ष में लिवर प्रत्यारोपण के लिए पंजीकृत कराए गए जिसमें ब्रेन डेथ मरीज से लिवर लेकर लिवर प्रत्यारोपण कराना चाह रहे थे. इस साल अप्रैल से अब तक 5 लोग इसके लिए पंजीकृत हुए हैं. डॉक्टर मनीष मंडल ने कहा कि आईजीआईएमएस के आंकड़ों को देखें तो लगभग एक सौ से अधिक मरीजों को लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत होती है. जब उन्हें पता चलता है कि संस्थान में लगभग 10 लाख रुपये में तथा बिहार के बाहर लगभग 20 से 25 लाख रुपए में लिवर ट्रांसप्लांट हो पाएगा तो पैसे की कमी के वजह से मरीज इलाज छोड़ देते हैं.

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डॉक्टर मनीष मंडल ने कहा कि ऐसे मरीजों को संस्थान के ओपीडी के कमरा नंबर 24 में लिवर प्रत्यारोपण क्लिनिक द्वारा हर शनिवार को सुबह 10:00 से 12:00 के बीच देखा जाएगा ताकि अन्य मरीजों को अलग-अलग विभागों में भटकना ना पड़े. इस स्पेशल ओपीडी विभाग में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, हेपेटोलॉजिस्ट के साथ प्रत्यारोपण कोऑर्डिनेटर विस्तृत देखरेख के साथ उचित जांच व सलाह उपलब्ध करायेंगे. इसके साथ ही इलाज में प्रत्यारोपण कोऑर्डिनेटर मरीज को हर संभव मदद और जांच में सहयोग करेंगे.

कंप्यूटर के माध्यम से इसका डाटा तैयार करेंगे कि हर मरीज के इलाज की पूरी जानकारी संस्थान में उपलब्ध रहे. डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि सरकार से आग्रह किया जाएगा कि लिवर ट्रांसप्लांट में अन्य प्रत्यारोपण की तरह 10 लाख अनुदान देने की व्यवस्था की जाए ताकि ऐसे मरीज का लिवर प्रत्यारोपण कर जान बचाई जा सके और बिहार के मरीज को बाहर नहीं जाना पड़े.

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