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'लालू के विचारधारा ने बाढ़ पीड़ितों को बना दिया था मजाक, पानी में मछली पकड़ने जाते थे RJD सुप्रीमो'

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Published : Jul 15, 2021, 3:18 PM IST

JDU LEADER NEERAJ KUMAR
JDU LEADER NEERAJ KUMAR

जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू-राबड़ी के शासन काल की तुलना नीतीश सरकार ( Bihar CM Nitish Kumar ) कर गुरुवार को 10वां सवाल बाढ़ से संबंधित उठाया है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना: जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ( Neeraj Kumar ) लगातार अपने सवालों से लालू के विचारधारा ( RJD Chief Lalu Yadav ) पर निशाना साध रहे हैं. गुरुवार को जदयू प्रवक्ता ने दसवां सवाल बाढ़ से संबंधित उठाते हुए लालू-राबड़ी राज में बाढ़ पीड़ितों का क्या हाल होता था, उसकी तुलना नीतीश कुमार के शासन से की है और बाढ़ को लेकर नीतीश कुमार ने क्या कुछ उपाय किया है उसकी भी बखान की है.

'मुख्युमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ प्रभावितों के दर्द को बखूबी समझते हैं. यही कारण है कि बिहार में आपदा नीति बनाई गई और नीतीश कुमार का कहना है कि राज्य के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है.' - नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

वर्ष 1998 में जब बिहार के 28 जिलों में आए बाढ़ से 380 लोग अपनी जान गंवा चुके थे, उस वकते के तत्कालीन मुख्यमंत्री पटना में रैली कर रहे थे. वर्ष 2004 में आई बाढ़ आपदा के दौरान फिर से लालू बाढ़ से प्रभावित लोगों को बाढ़ के पानी में मछली पकड़ने की सलाह दे रहे थे.

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नीतीश कुमार के शासनकाल में बाढ़ जैसी आपदा से निपटने हेतु वर्ष 2020 में बाढ़ प्रभावित परिवारों को GR की राशि सीधे उनके खाता में PEMS के माध्यम से अंतरित किया गया, जिसके अंतर्गत कुल ₹1357.09 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया.

बाढ़ प्रभावितों के सहायतार्थ सामुदायिक रसोई के संचालन हेतु ₹61.40 करोड़ रुपये खर्च किये गए. मृतक अनुग्रह अनुदान हेतु ₹5.36 करोड़ रुपये व्यय हुए. वहीं मृत पशुओं हेतु ₹0.875 करोड़ रुपये तथा जनसंख्या निष्क्रमण हेतु ₹82.29 करोड़ रुपये जिलों को आवंटित की गई. लालूवाद के राजकुमार को पता है कि राजद शासनकाल में सामुदायिक रसोई, कृषि इनपुट अनुदान किसे कहते हैं?

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बाढ़ से प्रभावित किसान बधुओं की पीड़ा को समझते हुए बाढ़ से क्षतिग्रस्त फसलों हेतु कृषि इनपुट अनुदान के अंतर्गत कृषि विभाग को ₹945.92 करोड़ रुपये आवंटित की गई. जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2006 में स्थापित बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायक केंद्र (FMISC) से बाढ़ प्रबंधन में काफी मदद मिल रही है. इसके अंतर्गत बिहार कोसी बेसीन विकास परियोजना और नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है.

'बिहार कोसी बेसीन विकास परियोजना के अंतर्गत सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के रूप में पटना में गणितीय प्रतिमान केंद्र ( एमएमसी ) की स्थापना की गई है और सुपौल जिले के वीरपुर में 109.93 करोड़ रुपये की लागत से भौतिक प्रतिमान केंद्र ( पीएमसी ) की स्थापना का असैनिक कार्य प्रगति पर है.' - नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

नदियों के जलस्तर और जलश्राव का 72 घंटे पहले ही पता चलने के कारण जिला प्रशासन द्वारा भी केवल क्षेत्र की जनता को अलर्ट किया जाता है, बल्कि बड़ी आबादी को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है. मानसून अवधि के लिए 72 घंटे पूर्व बाढ़ चेतावनी निर्गत करने हेतु मॉडलिंग कार्य के लिए रीजनल नेटवर्क को पूर्णतः विकसित कर लिया गया है.

नीतीश कुमार ने बिहार के हर खेत को सिर्फ बरसात में नहीं, बल्कि पूरे साल भर हरा-भरा रखने का एक बड़ा सपना देखा है, जिसे साकार करने के लिए उन्होंने अपने 'सात निश्चय 2' में 'हर खेत तक सिंचाई का पानी'' पहुंचाने का संकल्प लिया है.

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'जल संसाधन विभाग वृहद एवं मध्यम सिंचाई, सिंचाई छमता का विकास, अधिषेष जल प्रबंधन, सुरक्षात्मकक प्रबंध, बाढ़ से सुरक्षा और जल निस्सरण की योजनाओं के साथ-साथ महत्वाकांक्षी 'जल-जीवन- हरियाली'' अभियान के तहत पेयजल के रूप में उपयोग के लिए नदी जल के बड़े स्तर पर स्थानांतरण की महत्वाकांक्षी 'गंगा जल उद्वह योजना'' का कार्यान्वयन सफलता पूर्वक कर रहा है.' - नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

गया में बिहार का पहला रबड़ डैम, भौतिकीय प्रतिमान केन्द्रं अन्य' महत्व पूर्ण योजनाओं पर काम चल रहा है, इतना ही नहीं नए तकनीक का फलाफल यह हुआ कि पटना में स्थापित गणितीय प्रतिमान केंद्र द्वारा बाढ़ 2020 के दौरान पहली बार मॉडल स्टडीड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए 90 फीसदी से अधिक सटीकता के साथ बिहार की प्रमुख नदियों के अगले तीन दिनों के जलस्तर का पूर्वानुमान उपलब्ध कराया गया, नवीनतम तकनीकी प्रयोग के रूप में ही कमला, महानंदा आदि नदियों के तटबंधों का ड्रोन से सर्वे भी कराया गया, जिससे वास्तविक स्थिति का आकलन करने में सहायता प्राप्त हुई है.

बाढ़ से सुरक्षा में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा. जल संसाधन विभाग ने तय किया है कि विगत दो वर्ष पहले बड़ी नदियों से ज्यादा छोटी नदियों ने भी तबाही मचाया है. तत्पश्चात छोटी नदियों को जोड़ने का राज्य सरकार अपने संसाधन से कार्य योजना बना रही है, जिससे बाढ़ प्रबंधन एवं सिचाई क्षमता का विकास होगा.

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