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BJP विधायक बचौल के बयान पर हम ने जतायी कड़ी नाराजगी, कहा- MLA पर केस दर्ज कर जेल भेजे सरकार

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Published : Nov 24, 2021, 11:01 AM IST

बीजेपी विधायक बचौल के बयान पर हम ने जतायी कड़ी नाराजगी
बीजेपी विधायक बचौल के बयान पर हम ने जतायी कड़ी नाराजगी

बिहार में शराबबंदी पर (Liquor Ban in Bihar) बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है. उनके बयान पर अब बिहार में सियासी बयानबाजी शुरू हो चुकी है. अब मांझी की पार्टी ने नीतीश सरकार से उनपर कार्रवाई की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना : सूबे में शराबबंदी पर (Liquor Ban in Bihar) बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल का बयान सामने आने पर राजनीति तेज हो गई. एक तरफ जहां जेडीयू ने उनके बयान पर कड़ी नाराजगी जतायी है. साथ ही ये भी कहा है कि इनकों भी संभलकर रहना होगा कहीं इन पर ना कार्रवाई हो जाए. अब हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) यानी मांझी की पार्टी ने भी हरिभूषण ठाकुर बचौल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

बता दें कि शराबबंदी पर बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ''शराबबंदी कानून की वापसी होना चाहिए. जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.''

बीजेपी विधायक बचौल के बयान पर हम ने जतायी नाराजगी

बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल के बयान पर कड़ी नाराजगी जताते हुए हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने ने कहा है कि बीजेपी बिधायक बचौल का शराब माफिया से कनेक्शन है. इसीलिए ऐसा बयान दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इनपर कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही प्राथमिकी दर्ज करा उन्हें जेल भेजना चाहिए.

'जो विधायक सदन के अंदर शराबबंदी की शपथ लेते हैं, आज वही अपने बयान से पलट रहे हैं. जरूर कहीं ना कहीं शराब माफिया से इनकी मिलीभगत है. मद्य निषेध विभाग में जब से केके पाठक जैसे अधिकारी आये हैं, शराबबंदी का मुहिम तेज हुई है. शराब माफिया किसी न किसी बहाने शराब पर हो रहे छापेमारी रुकवाना चाहते हैं. ऐसा नहीं होगा जो भी लोग इस तरह का बयान देते हैं, सरकार को उसपर कार्रवाई करनी चाहिए.' :- दानिश रिजवान, हम प्रवक्ता

बीजेपी विधायक बचौल ने ये भी कहा था कि जिस तरह से इस कानून में इंजीनियर और डॉक्टर पकड़े जा रहे हैं. पुलिस वाले खुलेआम शादी विवाह में जाकर छापेमारी कर रहे हैं. इससे बिहार के बारे में गलत संदेश अन्य राज्यों में जा रहा है. कहीं न कहीं मुख्यमंत्री को उसके बारे में विचार करना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.



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