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मां काली के प्राचीन मंदिर में कन्याओं का कराया गया भोज, माता की कृपा से लोगों को मिलती है सुख समृद्धि

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Published : Oct 14, 2021, 9:35 PM IST

कन्याओं का कराया गया भोज
कन्याओं का कराया गया भोज

दानापुर में स्थित मां काली के प्राचीन मंदिर के भक्तों ने बताया की यह मंदिर 1947 में स्थापित की गई थी. उस समय से आज तक शारदीय नवरात्र के समय नवमी के दिन नौ कन्याओं का भंडारा कराया जाता है. माता की कृपा से ही हम लोगों के इलाके में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

पटना: राजधानी पटना के दानापुर के आनंद बाजार में 1947 से मां काली की प्रतिमा (Statue of Maa Kali in Patna) को बैठाया जा रहा है. इस मौके पर 9 कन्या कुमारी को सोलह श्रृंगार कर माता के रूप में पूजा की जाती है. दानापुर के प्राचीन दुर्गा और काली के मंदिरों (Ancient Durga Temple of Danapur) में माता के रूप मैं बैठी कन्याओं की पूजा की गई.

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सोलह श्रृंगार में माता के रूप में बैठी सभी कुंआरी कन्याओं को माता के चरणों में भंडारा कराया गया. दानापुर काली मंदिर में 75 सालों से ऐसी परंपरा चली आ रही है. बताया जाता है कि कन्या पूजन का नवरात्रि में बहुत ही महत्व माना गया है. शारदीय नवरात्रि में इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन पड़े.

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नौ दिनों त​क चलने वाले इस पर्व की समाप्ति कन्या पूजन के साथ होती है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है. इन दोनों दिन लोग अपने घरों में कन्या पूजन करते हैं. कन्या पूजन के लिए लोग अपने घरों में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन करने के लिए बुलाते हैं.

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कन्या पूजन में आमतौर पर काले चने, हलवा, पूरी-खीर बनाई जाती है. माना जाता है कि ये कन्याएं माता की ही रूप होती हैं. इसलिए उन्हें तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है. कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोकर, साफ आसान में बैठा कर, माथे पर तिलक लगा कर भोजन परोसा जाता है.

साथ ही इस दिन एक बालक को भी आमंत्रित किया जाता है. जिसे बटुक भैरव का स्वरुप माना जाता है. कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा और कहीं-कहीं चूड़ियां और बिंदी भी दी जाती है. कन्याओं को भोजन कराने के बाद उनके पैर छूकर कर आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान पूर्वक विदा किया जाता है.

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बताते चलें कि शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं. नवमी के दिन माता की पूजा (Durga Puja) आराधना करने का अलग ही महत्व है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु वर्ष में दो बार 9 दिन की उपासना करते हैं. पहला चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है, वहीं दूसरा अश्विन माह में किया जाता है. जिसको शारदीय नवरात्र कहा जाता है.

इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत सात अक्टूबर को हुई. वहीं नवरात्र की समाप्ति 15 अक्टूबर को हो रही है. इस बार के शारदीय नवरात्र में मां का आगमन घोड़ा पर हुआ, जबकि उनकी विदायी गज यानि हाथी पर होगी. बता दें कि बहुत सारे भक्त नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं.

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