121 नरमुंड पर स्थापित है श्मशान काली का यह मंदिर, तांत्रिक,अघोरी का हुआ करता था 'महाविद्यालय'

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Published : Oct 14, 2021, 7:56 PM IST

samshan kali temple in munger

बिहार के मुंगेर में 121 नरमुंड पर स्थापित श्मशान महाकाली का मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र है. 18वीं सदी में यह श्मशान काली मंदिर, तांत्रिकों का महाविद्यालय हुआ करता था, जहां वे सिद्धि प्राप्त करते थे. पढ़ें पूरी खबर..

मुंगेर: वैदिक सभ्यता से सनातन संस्कृति में अपने महत्व बनाए रखने का केंद्र मुंगेर आध्यात्मिक केंद्रों का महत्वपूर्ण स्थल रहा है. मुंगेर की धरती से आध्यात्मिक चिंतन का विकास हुआ है. मुंगेर में शक्तियों का अनंत श्रोत रहा है. इसी कड़ी में शक्ति का एक स्रोत श्मशान काली (Shamshan Kali Temple In Munger) भी है. नवरात्र (Sharad Navaratri 2021)के मौके पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ ही अघोरी तांत्रिक भी पहुंचते हैं.

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18वीं दशक में चंडी स्थान स्थित श्मशान काली भारतवर्ष के तांत्रिकों का महाविद्यालय रहा है. श्मशान काली स्थापित प्रतिमा का पांव नरमुंड पर है. बताया जाता है तांत्रिकों को यहां गहन पूजा के बाद माता रानी से शक्ति स्वरूप सिद्धि की प्राप्ति होती आई है. योग विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी सत्यानंद सरस्वती, गीतांजलि के लेखक रविंद्र नाथ टैगोर सहित अनेकों विद्वान और तांत्रिकों को मां काली के दरबार से सिद्धि की प्राप्ति हुई है.

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"माता का मंदिर 200 साल पुराना है. माता के बेदी की स्थापना 121 नरमुंड पर विराजमान है. श्मशान पूजा होती है. पहले अघोरी करते थे अब हमलोग करते हैं. शराब, मूर्गा सब चढ़ाते हैं. नवरात्र के मौके पर तांत्रिक भी आते हैं. पूजा करते हैं और चले जाते हैं."- रवीश कुमार स्थानीय

मंदिर के तांत्रिक रवीश कुमार बताते हैं की मां काली की स्थापना पौराणिक विधि और तांत्रिक विधि से हुई है. मां 108 नर मुंडो पर स्थापित है. एक समय माता के दरबार में दिन के समय आने में भी भय का अनुभव होता था. सिद्धिदात्री मां काली मनोकामना पूर्ण स्थल है. लोग चंडिका स्थान में पूजा अर्चना के बाद श्मशान काली स्थान आया करते हैं.

"पहले श्मसान घाट होता था, श्मसान काली के नाम से बहुत सिद्ध स्थान है. दूर दूर से लोग यहां आते हैं."- शिवम सिंह, साधक

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70 साल पूर्व चंडिका स्थान के निकट किसी की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार हुआ करता था. बताया जाता है कि यहां से तंत्र विद्या सिद्धि प्राप्ति के बाद पूरे भारतवर्ष में तांत्रिक गरीब और दुखियों की मदद किया करते थे. अथर्व वेद के अनुसार यहां पूजा किया जाता है, लेकिन बदलते समय के अनुसार अब यहां तांत्रिक देखने को नहीं मिलता है. स्थानीय लोगों की मानें तो यहां दुर्गा पूजा में प्रथम पूजा से लेकर नवमी पूजा तक तांत्रिक अघोरी साधना किया करते थे.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भयानक अंधकार और श्मशान की देवी को श्मशान काली के नाम से जाना जाता है. मुख्य रुप से इन काली माता का मंदिर श्मशान पर ही स्थित होता है. इसलिए इनकी पूजा भी यहीं की जाती है. खास बात ये कि इनकी पूजा मुख्य रुप से तांत्रिक और अघोर पंथ के लोगों द्वारा अधिक की जाती है.

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