'जहरीली शराब से मौत पर चौकीदार-थानेदार ही जिम्मेदार क्यों, बड़े अफसरों पर क्यों नहीं होता एक्शन'
Updated on: Aug 6, 2022, 7:16 PM IST

'जहरीली शराब से मौत पर चौकीदार-थानेदार ही जिम्मेदार क्यों, बड़े अफसरों पर क्यों नहीं होता एक्शन'
Updated on: Aug 6, 2022, 7:16 PM IST
बिहार में शरारबंदी कानून लागू होने के कई साल बाद भी सफल नहीं हो रहा है. शराब से लोगों की मौत (Bihar Hooch Tragedy) हो या असफलता पर आमतौर पर थानेदार और चौकीदारों पर कार्रवाई की जाती है. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने कहा है कि शराबबंदी के असफलता के लिए सबसे जिले के डीएम और एसपी पर कार्रवाई की नीति लागू हो तभी यह जमीन पर सफल होगा. पढ़ें पूरी खबर..
पटनाः 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रुप से लागू नहीं हो पा रहा है. इस कारण से जहरीली शराब से लगातार बिहार के विभिन्न जिलों में लोगों की मौत हो रही है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी कैसे हो सकता है. इनके ऊपर के अधिकारी की लापरवाही से जिलों में शराब पहुंच रहा है और बन रहा है ऐसे में सिर्फ एक अदना सा कर्मचारी चौकीदार या थाना प्रभारी पर ही कार्रवाई क्यों. बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास (Former IPS Amitabh Das) ने कहा कि शराबबंदी फेल होने पर जिले के डीएम-एसपी पर कार्रवाई हो तो शराबबंदी कानून जमीनी स्तर पर सफल हो सकता है.
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हर बार थानाध्यक्ष और चौकीदार पर होती है कार्रवाईः विगत 2 दिन पहले सारण जिले में हुई जहरीली शराब से मौत मामले में वहां के डीएम-एसपी के द्वारा संबंधित थानेदार और थाने का सबसे छोटा कर्मचारी जिसे बार-बार शराबबंदी मामले में निशाना बनाया जाता है और उस पर ही कार्रवाई की गई है. यानी कि जहरीली शराब से मौत मामले में कहीं ना कहीं चौकीदार और थाना प्रभारी को दोषी मानकर उस पर कार्रवाई की जाती है. इसके पहले भी बिहार के विभिन्न जिले सिवान, गोपालगंज, नवादा सहित अन्य जिलों में जहरीली शराब से मौत के बाद वहां के चौकीदार और थाना प्रभारी निलंबित किया जा चुका है, जिसको लेकर चौकीदार संघ की ओर से पहले आपत्ति भी जताई जा चुकी है.
"जहरीली शराब से हो रही मौत के बाद से सरकार छोटी मछली जैसे चौकीदार या थाना अध्यक्ष पर कार्रवाई कर अपना पीठ थप-थपाने में जुटी है. अक्सर देखने को मिलता है कि सरकारी तंत्र में अगर कोई कांड हो जाता है तो बलि का बकरा ढूंढा जाता है. बलि का बकरा वैसे लोगों को बनाया जाता है, जिनका पॉलिटिकल कनेक्शन नहीं हो. वैसे ही लोगों को शिकार बनाया जाता है. ठीक उसी प्रकार इस मामले में भी कहीं ना कहीं चौकीदार और थाना अध्यक्ष पर ही सिर्फ कार्रवाई की गई है. जबकि जिले की जिम्मेदारी एसपी और डीएम के पास होते हैं. आखिर क्यों नहीं बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई हो रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार यह तय करे कि जिस जिले में जहरीली शराब से मौतें होंगी उस जिले के डीएम एसपी पर कार्रवाई होगी तो कहीं ना कहीं शराबबंदी कानून सफल होने में सफलता हासिल मिल सकती है''.- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी
थानाध्यक्ष को सस्पेंड करने को सरकार मानती है बड़ी कार्रवाईः आपको बता दें कि 26 अक्टूबर को सिवान के गुठनी थाना क्षेत्र के बेलौर-बेलौरी में जहरीली शराब से अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. इस मामले में जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. एसपी अभिनव कुमार ने गुठनी के थानेदार राजेश कुमार सिंह और स्थानीय चौकीदार भृगुनाथ राम को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया था. 9 महीने पहले बिहार के दो जिलों में तीन दिनों में जहरीली शराब से 35 लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में 18 गोपालगंज के रहने वाले थे. इनमें 3 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. पश्चिम चंपारण में 17 मौतें हुई थी. मामले में गोपालगंज SP आनंद कुमार ने महम्मदपुर थानाध्यक्ष शशि रंजन कुमार और एक चौकीदार को सस्पेंड किया था, वहीं पश्चिम चंपारण के नौतन थानेदार और चौकीदार को भी सस्पेंड किया गया था.
नवादा में 15 लोगों की मौत पर सिर्फ गांव का चौकीदार हुआ निलंबितः यही नहीं सरकार ने नवादा में जहरीली शराब से 15 लोगों की मौत के मामले में इंसाफ कर दिया था. जिस गांव में जहरीली शराब से इतनी मौत हुई, वहां के चौकीदार को निलंबित कर दिया गया था. वैसे, घटना के पांच दिन बाद सरकार ने ये माना कि जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई. लेकिन इसका कसूरवार सिर्फ एक चौकीदार निकला.
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