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...तो ये है कोविड प्रोटोकॉल के तहत चुनाव! ऐसे में तो कोरोना फिर पसारेगा पांव

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Published : Oct 20, 2021, 10:27 PM IST

बिहार पंचायत चुनाव के चौथे चरण का मतदान संपन्न हो गया है. कुल 58.65 प्रतिशत वोटिंग हुई है. इस बार भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर वोटिंग की है. लेकिन जिस तरह से लापरवाही बरती गयी वह नई समस्या को चुनौती है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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पटना: बिहार में पंचायत चुनाव के चौथे चरण का समापन (Fourth Phase Election) हो गया. लेकिन इस दौरान वो तमाम बातें और वादें धरी की धरी रह गयी जिसमें कहा गया था कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत चुनाव संपन्न कराया जाएगा. चुनाव आयोग ने जिले के तमाम बड़े अधिकारियों से बात की थी. निर्देश दिया गया था कि बिना मास्क लोग वोटिंग ना करें, सोशल डिस्टेंसिग का पालन हो. पर जो नजारा बूथों पर देखने को मिला वह तो यही कह रहा था कि ऐसा ही चलता रहा तो एक बार फिर से बिहार कोरोना की चपेट में आ जाएगा.

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सूबे में चल रहा पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) जिस तरीके से लापरवाही बरत रहा है. उससे एक बात तो तय है कि बिहार में कोरोना एक बार फिर दस्तक देगा. क्योंकि हर चीज की अनदेखी की जा रही है. सत्ता से लेकर प्रशासन तक आंखें मूंदे बैठा हुआ है. कोरोना गाइडलाइन (Corona Guidelines) जारी की गई है. नियम बनाए गए हैं. काम करने के लिए अधिकारी तैनात किए गए हैं. नियम का पालन हो इसके लिए भी अधिकारी तय किए गए हैं, लेकिन हद है कि जिन अधिकारियों के जिम्मे नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है वही लोग इसका मखौल उड़ा रहे हैं.

बिहार में चल रहे पंचायत चुनाव में जो लोग चुनावी ड्यूटी में हैं वे ना तो मास्क लगा रहे हैं और ना ही कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं. पुलिस अधिकारी भी कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं. आईपीएस अधिकारी तक कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं. बिहार में चल रहे पंचायत चुनाव में कोविड-19 के नियम की भारी अनदेखी हो रही है. बिहार निर्वाचन आयोग ने साफ निर्देश दिया था कि बिहार के पंचायत चुनाव कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार कराए जाएंगे.

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मतदान केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग रहेगी. सभी लोगों को मतदान करने के लिए मास्क लगाकर आना है. थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था मतदान केंद्रों पर होगी और सभी लोगों को सुरक्षित मतदान करना है. लेकिन तीन चरणों के समाप्त हुए मतगणना और मतदान के बाद जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें बिहार में चाहे प्रशासनिक अधिकारी हो मतदान अभिकर्ता या फिर मतदान करने वाले लोग. सभी ने कोरोना की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाकर रख दी है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों को कोविड-19 की गाइडलाइन का अनुपालन कराना है, उन्हें इस बात से कोई लेना-देना ही नहीं रह गया है कि इसका पालन हो रहा है या नहीं.

भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की चेतावनी जारी कर दी है कि कोरोनावायरस के लिए अगले 2 महीने काफी अहम हैं. बात त्योहारों की हो या फिर बदलते मौसम की. सतर्कता सबको बरतनी है. क्योंकि कोरोना अभी सिर्फ थोड़ा कम हुआ है. यह खत्म नहीं हुआ है. कोरोना ने बिहार में कहर बरपाया है. इसे बिहार को भूलना नहीं चाहिए. तस्वीरें आज भी गवाह हैं कि ऑक्सीजन के लिए किस तरीके से अस्पताल के बाहर अपने बेटे की जान बचाने के लिए बाप चिल्लाता रहा, लेकिन जान नहीं बची. जवान बेटे की लाश मां के कदमों में पड़ी रही, देखने कोई नहीं आया.

अस्पतालों में बेड नहीं थे. बिहार में ऑक्सीजन नहीं था. दवा के लिए त्राहिमाम मचा हुआ था. पूरा बिहार बंद था. अगर आप कुछ लेने के लिए निकले भी तो पुलिस की लाठी चल रही थी. जिन लोगों ने इस दर्द को झेला है और इस जिंदगी को जिया है वही लोग पंचायत चुनाव में उन तमाम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. बिहार के लोगों से ईटीवी भारत के तरफ से अपील है कि कोरोना खत्म नहीं हुआ है. पंचायत चुनाव में आप मतदान जरूर करें, क्योंकि बेहतर बिहार बनाने के लिए गांव की सरकार का मजबूती से जीतना जरूरी है. लेकिन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बनाये गए गाइडलाइन का पालन जरूर करें.

अगर आप ऐसा नहीं करेंगे और गलती से कोरोना ने फिर से कहर ढाया तो बिहार के हर घर में इस बात का दर्द जरूर होगा कि पंचायत के चुनाव में अगर कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन किया गया होता तो कोरोना नहीं फैलता. क्योंकि जिस राजनीति के लिए चेहरे पर खुशी लिए लोग लाइनों में लगे हैं थोड़ा उसके पहले की बात बता देते हैं. उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के बाद कोरोना ने पूरे उत्तर प्रदेश की व्यवस्था हिला दी थी. इसके बाद कोर्ट ने सवाल भी किया था कि पंचायत चुनाव को लेकर सरकार की तैयारी क्या थी.

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एक सवाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और गृह विभाग के प्रधान सचिव सहित तमाम वैसे नाम जो सरकार चलाने का दावा करते हैं साथ ही जिले के कलेक्टर और पुलिस कप्तान से भी है कि जब कोरोना गाइडलाइन के लिए बिहार निर्वाचन आयोग ने साफ तौर पर निर्देश जारी कर रखे हैं तो उसका अनुपालन कराने में लोग डर क्यों रहे हैं? इससे बच क्यों रहे हैं? आखिर क्या वजह है कि मास्क लगाने और दूसरी तैयारी से बचा जा रहा है?

सवाल एक बार फिर उठ रहा है कि अगर इसका अनुपालन नहीं किया गया तो बिहार एक बार फिर रोएगा. जिले के कप्तान और जिले के कलेक्टर इस बात का ध्यान जरूर रखें कि जिला आपकी जिम्मेदारी में है. जिले के लोगों का जीवन भी आपकी जिम्मेदारी के तहत है. इसलिए इसकी जवाबदेही तय करनी पड़ेगी कि लोग मास्क लगाकर मतदान करने आएं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंं. कोविड-19 के गाइडलाइन का अनुपालन हो. अगर इसके लिए थोड़ी कड़ाई करने की जरूरत हो तो उसे अमल में लाया जाए. क्योंकि अगर कोरोनावायरस से पैर फैला लिया तो बड़ा मुश्किल होगा बिहार में खुशी ला पाना.

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