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बिहार प्रभारी को लेकर संशय के कारण कार्यक्रमों पर रोक, क्या UP चुनाव के कारण रिस्क नहीं लेना चाहती BJP?

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Published : Nov 13, 2021, 7:54 PM IST

बिहार प्रभारी
बिहार प्रभारी

भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) और हरीश द्विवेदी (Harish Dwivedi) में से बिहार बीजेपी (Bihar BJP) के प्रभारी कौन हैं, इसको लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति (Confusion situation) बनी हुई है. इस वजह से पार्टी के कार्यक्रमों पर भी एक तरीके रोक लगी है. जानकार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) को लेकर पार्टी ने अभी इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. पढ़ें खास रिपोर्ट

पटना: बिहार बीजेपी (Bihar BJP) इन दिनों उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. संगठन महामंत्री के रूप में भीखू भाई दलसानिया (Bhikhubhai Dalsaniya) कार्यभार संभाल चुके हैं, प्रदेश प्रभारी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. इससे पार्टी के नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ता भी कन्फ्यूजन (Confusion situation) में हैं. दरअसल, केंद्र की सरकार में मंत्री बनने के बाद भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) बिहार दौरे पर नहीं आए हैं. इस बीच उनकी जगह अचानक से प्रभारी के तौर पर हरीश द्विवेदी (Harish Dwivedi) को जिम्मेदारी सौंप दी गई, लेकिन 2 दिन बाद ही हरीश ने ट्विटर से बिहार प्रभारी बनाए जाने वाले पोस्ट को हटा लिया. जबकि बिहार के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें प्रभारी बनाए जाने पर बधाई भी दे दी थी.

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बिहार बीजेपी में लंबे समय से अगड़ी और पिछड़ी की लड़ाई चल रही है. पिछड़ी जाति से आने वाले नेताओं का मानना है कि बिहार में अगर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की राजनीति को चुनौती देनी है तो पार्टी में भी पिछड़ी जाति से आने वाले नेताओं को आगे रखना होगा. दूसरी तरफ अगड़ी जाति से आने वाले नेताओं का मानना है कि बीजेपी के पक्ष में अगड़ी जाति मजबूती से खड़ी है और वही पार्टी का आधार वोट बैंक है. ऐसे में अगड़ी जाति के नेताओं को आगे किया जाना चाहिए. इसी तर्क को आधार बनाकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार बीजेपी के संगठन महामंत्री ने हरीश द्विवेदी को बिहार प्रभारी बनाया था.

देखें रिपोर्ट

बिहार बीजेपी अपने भविष्य के कार्यक्रमों की रूपरेखा भी एक साल के लिए तैयार कर ली थी, लेकिन पिछले कुछ समय से कार्यक्रमों पर एक तरीके से ब्रेक लगा दी गई है. बिहार प्रभारी के तौर पर पिछले 3 महीने से ना तो भूपेंद्र यादव का ही बिहार दौरा हुआ है ना ही हरीश द्विवेदी बिहार पहुंचे हैं.

बिहार प्रभारी को लेकर बीजेपी के कार्यकर्ता कन्फ्यूजन (Confusion situation regarding state in-charge of BJP in Bihar) में हैं और पार्टी में भी काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है. कुछ नेता यह मानते हैं कि फिलहाल कोई भी प्रभारी नहीं है तो कुछ नेता मानते हैं कि भूपेंद्र यादव ही प्रभारी हैं. कन्फ्यूजन को लेकर पार्टी के कार्यक्रमों को भी गति नहीं मिल पा रही है. प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि बीजेपी संगठन आधारित पार्टी है. केंद्र से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन है और व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय की जाती है. भूपेंद्र यादव केंद्र में मंत्री बन चुके हैं. जल्द ही बिहार प्रभारी को लेकर फैसला ले लिया जाएगा.

"भाजपा संगठन आधारित पार्टी है. केंद्र से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन है और व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय की जाती है. भूपेंद्र यादव केंद्र में मंत्री बन चुके हैं. जल्द ही बिहार प्रभारी को लेकर फैसला ले लिया जाएगा"- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी


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वहीं, बीजेपी नेता अरविंद सिंह ने कहा कि बीजेपी के बिहार प्रभारी आज की तारीख में वही हैं, जो पहले थे. उन्होंने कहा कि हम लोग भूपेंद्र यादव को ही प्रभारी मान रहे हैं.

"भाजपा के बिहार प्रभारी आज की तारीख में वही हैं, जो पहले थे. हम लोग भूपेंद्र यादव को ही प्रभारी मान रहे हैं"- अरविंद सिंह, नेता, बीजेपी

बीजेपी के प्रभारी पर जारी कन्फ्यूजन पर आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि बीजेपी कोई भी फैसला जाति के आधार पर ही करती है. बिहार बीजेपी के नेता आज की तारीख में यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि आखिर उनका प्रभारी कौन है.

"भाजपा कोई भी फैसला जाति के आधार पर ही करती है. बिहार भाजपा के नेता आज की तारीख में यह बताने की स्थिति में नहीं है, उनका प्रभारी कौन है"- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी

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वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) को लेकर बीजेपी बिहार प्रभारी के मामले में आगे नहीं बढ़ना चाहती है. पार्टी के सामने दोहरी चुनौती है. अगर पिछड़ी जाति को आगे किया जाएगा तो अगड़ी जाति के लोगों में नाराजगी होगी और अगर अगड़ी जाति के नेता को प्रभारी बनाया जाएगा तो पिछड़ी जाति के लोग नाराज होंगे. ऐसे में पार्टी उत्तर प्रदेश चुनाव तक इसको टालना चाहती है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है और पार्टी बिहार प्रभारी के नियुक्ति को लेकर किसी विवाद और पचड़े में पड़ना नहीं चाहती है. इसलिए पार्टी ने इस मसले को ठंडे बस्ते में रखने का फैसला लिया है.

"भाजपा के समक्ष दोहरी चुनौती है. अगर पिछड़ी जाति को आगे किया जाएगा तो अगड़ी जाति के लोगों में नाराजगी होगी और अगर अगड़ी जाति के नेता को प्रभारी बनाया जाएगा तो पिछड़ी जाति के लोग नाराज होंगे. ऐसे में उत्तर प्रदेश चुनाव तक पार्टी बिहार प्रभारी के नियुक्ति को लेकर किसी विवाद और पचड़े में पड़ना नहीं चाहती है"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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