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पटना: पं. राजकुमार शुक्ल की पुण्यतिथि के मौके पर गांधी संग्रहालय में कार्यक्रम का आयोजन

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Published : May 20, 2019, 2:37 PM IST

राजकुमार शुक्ल की मूर्ति

चंपारण सत्याग्रह के प्रणेता पंडित राजकुमार शुक्ल की आज पुण्यतिथि है. उनकी याद में राजधानी के गांधी संग्रहालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

पटना: चंपारण सत्याग्रह के प्रणेता और सत्याग्रह के लिए जमीन तैयार करने वाले पंडित राजकुमार शुक्ल की सोमवार को पुण्यतिथि है. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर राजधानी पटना के गांधी संग्रहालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

चंपारण सत्याग्रह में अहम योगदान
राजकुमार शुक्ल का चंपारण सत्याग्रह में अहम योगदान रहा है. पंडित शुल्क का जन्म 23 अगस्त 1875 को बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित बेतिया जिला के चनपटिया के सरवरिया गांव में हुआ था. भोजपुरी भाषा के कोसी लिपि के जानकार पंडित शुक्ल चंपारण में तीन कठिया प्रथा को लेकर काफी व्यथित थे. इसके लिए पंडित शुक्ल ने सभी किसानों को संगठित कर आंदोलन शुरू कर दिया था.

महात्मा गांधी को मनाया
बाद में किसानों की मदद के लिए राजकुमार शुक्ला प्रयासरत रहे. इसी बीच लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी से उनकी मुलाकात हुई. इसके बाद कई दूसरे मौकों पर भी उनकी मुलाकात होती रही और पंडित शुक्ल उन्हें चंपारण आने के लिए मनाने की कोशिश करते रहे.

पटना से संवाददाता शशि तुलस्यान की रिपोर्ट

चंपारण आंदोलन के लिए शुक्ल ने तैयार की जमीन
कोलकाता में पंडित शुक्ल से मुलाकात के बाद महात्मा गांधी, शुक्ल के साथ बांकीपुर पहुंचे और फिर मुजफ्फरपुर में 15 अप्रैल को 1917 को चंपारण की धरती पर कदम रखा. महात्मा गांधी के आंदोलन के लिए शुक्ल ने जमीन तैयार की थी, जिसके बाद चंपारण की धरती से गांधी ने सत्याग्रह का आगाज किया.

20 मई 1929 को दुनिया को कहा अलविदा

गांधी को चंपारण लाने और सत्याग्रह आंदोलन को सफल बनाने में पंडित शुक्ल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. आंदोलन में अपनी जमीन को जायदाद सब कुछ न्यौछावर करने वाले शुक्ल की बाकी के दिन गरीबी में गुजरे. 20 मई 1929 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. लोगों ने चंदा इकट्ठा कर उनका अंतिम संस्कार किया, उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी.

Intro: पुण्यतिथि पर विशेष:--
पंडित राजकुमार शुक्ल कि है आज पुण्यतिथि


पंडित राजकुमार शुक्ला की कहने पर बिहार आए थे बापू


Body:चंपारण सत्याग्रह के प्रणेता और सत्याग्रह के लिए जमीन तैयार करने वाले पंडित राजकुमार शुक्ला की आज पुण्यतिथि है और आज के मौके पर राजधानी पटना के गांधी संग्रहालय में पुण्यतिथि का आयोजन किया गया, आपको बता दें कि राजकुमार शुक्ल का चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, पंडित शुल्क का जन्म 23 अगस्त 1875 को बिहार के पश्चिम चंपारण बेतिया जिला के चनपटिया के सरवरिया गांव के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, भोजपुरी भाषा के कोसी लिपि के जानकार पंडित राजकुमार शुक्ल चंपारण में तीन कठिया प्रथा को लेकर काफी व्यथित थे, इसका हल खोजने के लिए वह काफी प्रयासरत रहते थे, गांव के आसपास में उन दिनों नील की खेती धड़ल्ले से हो रही थी अंग्रेजों ने नील की खेती को लेकर काफी यातनाएं कर रहे थे, पंडित शुक्ल ने सभी किसानों को संगठित कर आंदोलन शुरू कर दिया था, जिसको लेकर नील की खेती बंद कर दी गई, जिसके बाद अंग्रेजों ने किसानों पर मुकदमा दायर कर जेल में बंद कर दिया, किसानों पर चलाए गए मुकदमे की पैरवी के लिए राजकुमार शुक्ला ने दूसरे शहर में जाकर वकीलों से मिलते रहे और किसानों को न्याय दिलाने का प्रयास करते रहे ,इसी बिच लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी से मुलाकात हुई और किसानों की दर्द को बताया उसी समय से शुक्ल की जीवन का एकमात्र लक्ष्य रह गया महात्मा गांधी को चंपारण लाना और इस क्रम और रात दिन जुट गये।
10 अप्रैल 1914 को बांकीपुर में बिहार प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन और 13 अप्रैल 1915 को छपरा में हुए कांग्रेस सम्मेलन में पंडित शुक्ल ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया सम्मेलन में पंडित शुक्ल ने चंपारण के किसानों की स्थिति और अंग्रेजों के अत्याचार की कहानी प्रमुखता से रखें और इसी अधिवेशन में आए हुए महात्मा गांधी ने किसानों के दर्द को समझा और आने का आश्वासन दिया।


Conclusion:कोलकाता में पंडित शुक्ल से मुलाकात के बाद गांधी शुक्ल के साथ बांकीपुर पहुंचे और फिर मुजफ्फरपुर में 15 अप्रैल को 1917 को चंपारण की धरती पर कदम रखा, गांधी, चंपारण पहुंचकर कोर्ट में उपस्थित होने वाले बयान दिए जो चंपारण सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुआ, गांधी के आंदोलन के लिए शुक्ल ने जमीन तैयार की है जिसके बाद गांधी को प्रतिबंधित सफलता मिली, बाद में गांधी विश्व के बड़े नेता बन कर उभरे, गांधी को चंपारण लाने और सत्याग्रह आंदोलन को सफल बनाने में पंडित शुक्ल की महत्वपूर्ण भूमिका रही, आंदोलन में अपनी जमीन को जायदाद सब कुछ न्योछावर करने वाले शुक्ला की बाकी के दिन गरीबी मे गुजरी,और अपना काम पूरा करने के बाद शुक्ल 20 मई 1929 को दुनिया छोड़ विदा हो गए
लोगों ने चंदा इकट्ठा का पंडित राजकुमार का अंतिम संस्कार किया,उनकी बेटी देवपती नी मुखाग्नि दी

पटना से शशि तुलस्यान कि खास रिपोर्ट
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