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बिहार पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल, जानें किन-किन केस में लगे 'दाग'

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Published : Feb 16, 2021, 5:02 PM IST

बिहार पुलिस का विवादों से पुराना नाता रहा है. कई मामलों में पुलिस का निलंबन भी हुआ है. कुछ ताजा मामले भी सामने आए हैं.

विवादों में पुलिस
विवादों में पुलिस

पटना: बिहार पुलिस इन दिनों लगातार विवादों में है. कभी फोन पर अपराधी से बातचीत को लेकर तो कभी पीड़ित युवक के मर जाने की बात कह कर. कुछ ऐसा ही मामला मोतिहारी, मुजफ्फरपुर में सामने आया है.

पुलिस पर लगातार लग रहे गंभीर आरोप
मोतिहारी जिले के कोनोवा चैनपुर थाना प्रभारी ने एक ऐसे आरोपी से फोन पर बात की, जिसपर एक नाबालिग लड़की के गैंगरेप और हत्या कर उसे जलाने का आरोप है. वहीं मुजफ्फरपुर बोचहा थाना के SHO पर एक दुष्कर्म पीड़िता ने पहले FIR नहीं लेने और फिर FIR के बाद उसे मर जाने की बात कहने का आरोप लगाया है.

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पटना से औरंगाबाद तक की पुलिस से सवाल ही सवाल
30 जनवरी 2021 को अवैध रूप से गिरफ्तार कर 3 दिन तक हिरासत में रखे जाने को लेकर राजधानी पटना के खगौल थाना के भूषण नामक व्यक्ति की पत्नी रश्मि कुमारी की ओर से पटना हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की गई है. दो दिन पहले औरंगाबाद जिले के अंबा थानाध्यक्ष वीरेंद्र पासवान के खिलाफ पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार लगाते हुए एसपी से कंप्लेन किया है कि उनके परिवार को थानाध्यक्ष द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा, तो 23 मार्च को देव थाना क्षेत्र के भलुआडी खुद्र स्थित शहीद चौक पर सामूहिक तौर पर आत्मदाह कर लेंगे.

पुलिस मुख्यालय ने गंभीरता से लिया मामला
इन दोनों मामलों को पुलिस मुख्यालय ने बेहद गंभीरता से लिया है. एडीजी पुलिस मुख्यालय जितेंद्र कुमार की मानें तो इन दोनों मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के अलावा कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. किसी भी हालत में ऐसे अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. फिलहाल मोतिहारी के कोनवा चैनपुर थाना के एसएचओ के तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और आगे की जांच की जा रही है. वहीं इस मामले में संलिप्त दो अपराधियों को भी गिरफ्तार किया गया.

पटना पुलिस
पटना पुलिस

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2019 में सैकड़ों पुलिस पर हुई कार्रवाई
विवादों से बिहार पुलिस का पुराना नाता रहा है. साल 2019 में भी 641 से से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है. इनमें से कुछ पुलिसकर्मी पर अपराधियों के साथ सांठगांठ शराब व्यवसाय बालू व्यवसाय में संलिप्ता की वजह से इनपर कार्रवाई की गई है. हालांकि बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि जो भी व्यक्ति पुलिस में काम करेगा उसके साथ विवाद होगा. पूर्व डीजीपी अभयानंद का मानना है कि जब किसी सबऑर्डिनेट लेवल के पुलिस अधिकारी पर एलिगेशन लगता है तो सीनियर लेवल के आईपीएस अधिकारी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. सब ऑर्डिनेट पुलिसकर्मी और जनता के बीच अंडरस्टैंडिंग की काफी कमी होती है.

पूर्व डीजीपी अभयानंद के मुताबिक सीनियर आईपीएस ऑफिसर को तालमेल बिठाकर नीचे के पुलिस अधिकारी और जनता के बीच दोनों को सुनकर उनके बीच के विश्वास को जगाना पड़ेगा. पुलिसकर्मी और जनता की बातों को समझ कर विश्वास में लेना पड़ेगा. अन्यथा विवाद बढ़ भी सकता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

किसी को नहीं पच रहा पुलिस का दिया तर्क
विवादों में बिहार पुलिस का रहना आम बात हो गया है. इन दिनों इंडिगो के स्टेशन मास्टर रूपेश सिंह हत्याकांड मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए अपराधी ऋतुराज के बाद पुलिस द्वारा जो हत्या का तर्क दिया जा रहा है. वह ना रुपेश के परिवार के सदस्यों को पच रहा है. और ना ही ऋतुराज के परिवार वालों को पच रहा है. अपराधी ऋतुराज जो इस मामले में गिरफ्तार हुआ है, उसके परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि जबरदस्ती पुलिस द्वारा उसे फंसाया गया है. साथ ही थाने में ऋतुराज की पत्नी के साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया है.

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अनुसंधान में जो आया वही सही
इस मामले में बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की मानें तो पटना पुलिस द्वारा इस अनुसंधान में जो कुछ भी सामने आया है. वही सही है. इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कहना है. बिहार के डीजीपी रूपेश सिंह हत्याकांड मामले को कॉम्प्लिकेटेड केस मानते हैं. उनका मानना है कि हमारे लाइफ में भी और हमारे पूर्व के अधिकारियों के भी ड्यूटी के दौरान कई तरह के कॉम्प्लिकेटेड केस आते रहे हैं. हालांकि पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की मानें तो अपराधी ऋतुराज के परिवार के लोग जो आरोप लगा रहे हैं. वह बेबुनियाद है. अब तक उनके अनुसार ऐसा कोई भी अपराधी या उनके परिवार के सदस्य नहीं मिले हैं जो कभी कहे हो कि उनका बेटा या परिवार का सदस्य दोषी है.

विवादों से बिहार पुलिस का चोली दामन का साथ है. अब देखना यह होगा कि जिस तरह से बिहार पुलिस के कारनामे लगातार उजागर होते रहते हैं. उससे बिहार पुलिस की साख कितना बच पाती है. सवाल यह उठता है कि अब कितनी जग-हंसाई करवाएगी बिहार पुलिस? क्या बिहार पुलिस अपनी छवि बदल पाएगी? आम इंसान जहां थाने जाने में डरते हैं, इन दिनों आम लोगों का पुलिस पर विश्वास उठता जा रहा है.

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