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पटना गायघाट शेल्टर होम केस की याचिकाकर्ता का बयान, मामले को दबाने की कोशिश हुई नाकाम

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Published : Aug 28, 2022, 4:01 PM IST

पटना गायघाट शेल्टर होम केस में एसआईटी गठित की ओर से सुपरिटेंडेंट वंदना गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद मामले की याचिकाकर्ता सह वकील मीनू गुप्ता ने कार्रवाई पर प्रसन्नता जाहिर की है. याचिकाकर्ता ने कहा मामले को दबाने की हर कोशिश नाकाम हुई. पढ़ें पूरी खबर..

गायघाट शेल्टर होम केस
गायघाट शेल्टर होम केस

पटनाः राजधानी पटना गायघाट शेल्टर होम केस (Gaighat Shelter Home Case Patna) में रिमांड होम की सुपरिटेंडेंट वंदना गुप्ता (Superintendent Bandana Gupta Arrested) को गिरफ्तार कर लिया गया है. वंदना गुप्ता को पूछताछ के लिए एसआईटी की टीम ने शनिवार को पटना के महिला थाना लाया था और पूछताछ के दौरान एसआईटी ने पुख्ता सबूत के आधार पर वंदना गुप्ता को गिरफ्तार कर ली गई थी. मामले की याचिकाकर्ता मीनू गुप्ता (Advocate Meenu Gupta ) ने बताया कि आखिरकार लंबी लड़ाई के बाद मामले की आरोपी को गिरफ्तार होने से पीड़ित लड़कियों को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.

पढ़ें-पटना गायघाट शेल्टर होम केस की जांच के लिए SIT का गठन, ASP काम्या मिश्रा करेंगी नेतृत्व

"जांच के दौरान भी एसआईटी की टीम इस केस में पीड़िता के साथ सहयोग नहीं कर रही थीं. लगातार गठित एसआईटी की मुखिया काम्या मिश्रा इस मामले में दोषी वंदना गुप्ता को क्लीन चिट देने में लगी हुई थी. समाज कल्याण विभाग की ओर से जांच के लिए गठित विशेष टीम ने भी जांच में लीपापोती कर रिमांड होम संचालिका वंदना गुप्ता को क्लीन चिट दे दिया और पीड़िता को ही मामले में दोषी ठहरा दिया गया. 3 फरवरी को पटना हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेकर समाज कल्याण विभाग को फटकार लगाया. इसके बाद विभाग ने 4 फरवरी को पीड़िता का बयान पर केस दर्ज कर जांच शुरू की गई थी."- मीनू गुप्ता,याचिकाकर्ता सह वकील

संचालिका वंदना गुप्ता पर गंभीर आरोप : पटना के गायघाट बालिका गृह कांड में लड़कियों को नशीला पदार्थ देकर उनसे दुष्कर्म का मामला सामने आया था. रिमांड होम से भागी एक युवती ने शेल्टर होम संचालिका वंदना गुप्ता पर लड़कियों का शारीरिक और मानसिक शोषण करने का गंभीर आरोप लगाया था. युवती ने बताया था कि वहां गंदा काम होता है, बच्चियों को नशे का इंजेक्शन देकर अवैध धंधा करने के लिए विवश किया जाता था.

पहले दी गयी थी क्लीन चिट: आरोप के बाद बिहार में एक बार फिर से खलबली मच गई. राजनीतिक दल से लेकर सामाजिक संस्थाओं तक ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. फिर आनन-फानन में समाज कल्याण विभाग ने जांच के लिए एक टीम गठित कर दी, जिसने लीपापोती कर अधीक्षिका वंदना गुप्ता को क्लीन चिट दे दिया था. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में आरोपी युवती को ही गलत ठहरा दिया था. कहा गया कि उसकी व्‍यवहार ठीक नहीं है. उसने पति पर भी गंभीर आरोप लगाए थे, जिसे बाद में वापस ले लिया. जांच टीम के अनुसार झूठ बोलना, अन्य बालिकाओं को उकसाना, रिमांड होम के कमियों की शिकायत करना, साथ ही गृह कर्मियों को धमकी देना उसके स्वभाव में शामिल पाया गया. जांच रिपोर्ट में लड़की को झगड़ालू भी बताया गया था.

पटना हाईकोर्ट ने स्वत: लिया संज्ञान: मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने 3 फरवरी को स्वत: संज्ञान लिया. कोर्ट में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन भी दाखिल की गई. हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर को सिर्फ सीसीटीवी कैमरे देखकर ही लड़की के आरोपों को नकारने पर कड़ी फटकार लगायी. साथ ही संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा. हाईकोर्ट की फटकार के बाद समाज कल्याण विभाग ने जांच में तेजी लायी. समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने 4 फरवरी को ऑफिस में पीड़िता को बयान के लिए बुलाया. जहां महिला विकास मंच की टीम भी मौजूद थी. लगभग 2 से 3 घंटे तक पीड़िता से 11 सवाल पूछे गये, जवाब भी नोट किया गया था.

एसआईटी का किया गया था गठन: हाईकोर्ट द्वारा इस पूरे मामले पर संज्ञान लिए जाने के बाद आनन-फानन में महिला थाने की पुलिस ने वंदना गुप्ता मामले को लेकर एफआईआर दर्ज किया था. इसके बाद एएसपी काम्या मिश्रा (ASP Kamya Mishra) के नेतृत्व में एक एसआईटी टीम का गठन किया गया था. इसमें आठ दूसरे पुलिस पदाधिकारी भी शामिल किए गए. इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग सिटी एसपी पूर्वी द्वारा किया जा रहा है.

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