मुजफ्फरपुर: भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) के एक पत्र से खुलासा हुआ है कि अभी भी पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में भारत के 83 सैनिक कैद हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) में अधिवक्ता एसके झा (Advocate SK Jha) की ओर से दायर याचिका पर विदेश मंत्रालय ने ये जवाब दिया है.
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दरअसल मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक याचिका दायर की थी. आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विदेश मंत्रालय से इस बारे में जवाब मांगा था. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान मामलों की अवर सचिव नेहा सिंह (Under Secretary Neha Singh) ने 9 अगस्त को एक पत्र जारी कर इसको लेकर अपना जवाब भेजा है.
पत्र में कहा गया है, 'अबतक कुल 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद है. भारत सरकार लापता हुए 83 भारतीय सैनिकों की शीघ्र रिहाई और उनकी देश वापसी का मामला राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान सरकार के साथ बार-बार उठा रही है.'
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विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी में इस बात का भी उल्लेख है कि इसमें 1971 के युद्ध-बंदी भी शामिल हैं. जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे पाकिस्तान की हिरासत में हैं. हालांकि पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में किसी भी भारतीय रक्षाकर्मी के होने की बात को स्वीकार नहीं किया है. सरकार को इस मामले की जानकारी है और ये लगातार पाकिस्तान सरकार के साथ इस मामले को उठाती रहती हैं.
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई थी. जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के नाम से एक नए संप्रभु राष्ट्र के रूप में उदय हुआ था. इस युद्ध के बाद भारत सरकार ने अपने 54 वीर सैनिकों और अधिकारियों को Missing in Action या फिर Killed in Action घोषित किया था, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इनमें से बहुत सारे सैनिक आज भी जिंदा हैं और पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में कैद हैं. इसी को लेकर एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष 9 जून 2021 को एक याचिका दायर की थी.
वहीं, इस मामले के संबंध में मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि भारत सरकार को बिना किसी देरी के ठोस निर्णय लेने की जरूरत है, जिससे भारतीय सैनिकों की वतन वापसी संभव हो सके.