ETV Bharat / bharat

बोधगया में महाकड़ाही: कालचक्र पूजा में रोज बनेगा 2 लाख 'फागलेप', 75 हजार लीटर चाय

author img

By

Published : Dec 23, 2022, 8:40 PM IST

Bodhgaya news बिहार के गया में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का प्रवचन होगा. जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इस बार बोधगया में कुछ खास होने वाला है. महाकड़ाही में एक साथ 40 हजार लोगों के लिए चाय बनेगी. साथ ही रोजाना 2 लाख फागलेप (ब्रेड) बनाया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

Mahakadai in Bodhgaya Etv Bharat
Mahakadai in Bodhgaya Etv Bharat

गयाः बिहार के बोधगया में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का आगमन (Arrival of Buddhist Guru Dalai Lama in Gaya) हो चुका है. दिसंबर माह के 29, 30 और 31 तारिख को बौद्ध धर्म गुरु का टीचिंग (प्रवचन) होगा. जिसमें दर्जनों देशों के 50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालु शामिल होंगे. इस बार श्रद्धालुओं को चाय पिलाने के लिए महाकड़ाही लाई गई है. जिसमें एक साथ 40 हजार लोगों के लिए चाय बनेगी यानी करीब 75 हजार लीटर चाय रोज बनेगी. इसके लिए तीन बड़ी कड़ाही और 2 हजार केतलियां लाई गई है. रोजाना 2 लाख फागलेप (ब्रेड) बनेगा. इसके मेगा किचन तैयार किया गया है.

बोधगया में चान बनाने के लिए लाया गया कड़ाही.
बोधगया में चान बनाने के लिए लाया गया कड़ाही.

यह भी पढ़ेंः बोधगया पहुंचे बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा, तिब्बती मंदिर में है उनका प्रवास

देश-विदेश से 50 हजार श्रद्धालु शामिल होंगेः दरअसल, बोधगया में प्रवचन के लिए बौद्ध धर्मगुरु के आगमन के बाद उनके टीचिंग की तैयारी चल रही है. जिसमें देश-विदेश से 50 हजारों बौद्ध श्रद्धालु शामिल होंगे. बोधगया में मंदिर प्रबंधन के द्वारा मेगा किचेन की व्यवस्था की गई है. जिसमें तीन बड़े-बड़े चूल्हे बनाए गए हैं. चूल्हे 30 फीट लंबाई और 10 फीट चौड़ाई. इस पर 50 से 60 हजार श्रद्धालुओं के लिए चाय बनेगी. महाकड़ाही में करीब 30 हजार लोगों को लिए एक बार में चाय बनायी जी सकती है.

रोज बनेगा 2 लाख 'फागलेप', 75 हजार लीटर चाय: टीचिंग कार्यक्रम में तीन से चार बार बौद्ध श्रद्धालुओं को चाय और फागलेप दिया जाएगा. इस तरह करीब 2 लाख फागलेप और दो लाख लोगों के लिए रोजाना चाय बनेगी. फागलेप को बनाने के लिए बोधगया के कई गांव के कारीगर लगातार सक्रिय भी रहते हैं. इसकी पूरी तैयारी की जा रही है. ताकि कार्यक्रम शुरू होते ही किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो.

बौद्ध लामा पहुंचाते हैं चाय व फागलेपः टीचिंग में शामिल बौद्ध श्रद्धालुओं को चाय और फागलेप देने के लिए बौद्ध लामा लगातार काम करते हैं. नमक का चाय में तिब्बती मक्खन ओर घी का भी प्रयोग होता है. जबकि चीनी का चाय सामान्य विधि से दूध डालकर बनाया जाता है. इसमें चाय की पत्ती का कम इस्तेमाल किया जाता है. श्रद्धालु चाय और फागलेप (ब्रेड) को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. जिसे कई चरणों में वितरित किया जाता है. चाय और ब्रेड बनने के बाद वे बौद्ध श्रद्धालुओं के पास दौड़-दौड़कर पहुंचाते हैं. फिर लौटने के बाद इस तरह का क्रम लगातार जारी रहता है. चाय और फागलेप (ब्रेड) पहुंचाने के लिए 300 से ज्यादा लामा रहेंगे. दर्जनभर लामा चाय बनाएंगे. वहीं फागलेप बनाने के लिए भी लामा रखे जाएंगे.

विदेशियों की पहली पसंद है फागलेपः विदेशियों की पहली पसंद फागलेप है. विशेष मौकों पर जब देश के अलावे विदेशों से बौद्ध श्रद्धालु और पर्यटक बोधगया पहुंचते हैं, तो फागलेप की डिमांड काफी बढ़ जाती है. यह बोधगया के कई घरों में भी बनाया जाता है. चाय और फागलेप बौद्ध श्रद्धालुओं-पर्यटकों की पहली पसंद होती है. इसका स्वाद ही इतना लजीज होता है.

तिब्बत का फेमस फागलेप (ब्रेड)
तिब्बत का फेमस फागलेप (ब्रेड)

काफी लजीज होता है फागलेपः आटा और मैदा व अन्य सामग्रियों को एक साथ गूंदकर बनाया जाता है. फागलेप को तिब्बती रसोइयों के साथ-साथ अब बोधगया के कई होटल से जुड़े कारोबारी और घरों में भी बनाया जाता है. बाजारों में यह खूब बिकता है. इसके बनाने की विधि और फिर जब बनकर यह तैयार हो जाता है तो उसका स्वाद इतना लजीज होता है. कोई भी विदेशी बौद्ध श्रद्धालु या पर्यटक इसे बिना खाए नहीं रह सकता.

1952 से बोधगया में बनना शुरु हुआ फागलेप: मूलतः फागलेप तिब्बती रसोइयों द्वारा बनाया जाता रहा है, लेकिन आजादी के बाद से बोधगया में फागलेप बनाने की शुरुआत हुई. माना जाता है कि 1952 से फागलेप बनाने की शुरुआत बोधगया में हुई. उसके बाद इसकी डिमांड ऐसी बढी कि पर्यटन नगरी बोधगया में हर चौक चौराहों और दर्जनों गांव के लोग फागलेप बनाते हैं, क्योंकि इसकी डिमांड ही इतनी है, कि बनाने वाले कम पड़ जाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.