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Shardiya Navratra 2023: ..इसलिए वेश्यालयों के आंगन की मिट्टी से बनायी जाती है मां दुर्गा की प्रतिमा, जानें कारण

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 21, 2023, 6:25 PM IST

Updated : Oct 21, 2023, 11:06 PM IST

हर साल नवरात्र के मौके पर धूमधाम से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है. मां दुर्गा की प्रतिमा को बनाने में जिस जगह की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, उसमें वेश्यालय (Goddess Durga idol made from brothel clay) भी शामिल है. समाज वेश्या को पाप की दृष्टि से देखती है फिर वेश्यालय की मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनायी जाती है, जानें क्यों...

Shardiya Navratra Etv Bharat
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देखें यह विशेष रिपोर्ट.

पटनाः 2002 की फिल्म देवदास में माधुरी दीक्षित 'चंद्रमुखी' वेश्या का किरदार निभाती है. एश्वर्या राय 'पारो' चंद्रमुखी के घर दुर्गा पूजा के लिए आंगन की मिट्टी मांगने जाती है. चंद्रमुखी बड़े ही खुशी के साथ पारो को अपनी आंगन की मिट्टी देती है. सीन यहीं पर समाप्त हो जाता है, लेकिन फिल्म में यह नहीं बताया जाता है कि आखिर वेश्या, जिसे समाज एक पाप समझती है, उस आंगन की मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा क्यों बनायी जाती है? इसके कई रहस्य हैं, जिससे लोग अनजान हैं. आइए जानें हैं इसके बारे में खास रहस्य..

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इस मिट्टी से बनती है प्रतिमाः मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में कई जगहों की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर, कंसार (जहां अनाज भुना जाता है) की मिट्टी, राज दरबार की मिट्टी, इसके साथ वेश्यालय की मिट्टी को महत्व दिया जाता है. लोग उस वक्त आश्चर्य में पड़ जाते हैं कि आखिर वेश्यालय की मिट्टी इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं.

पटना के प्रसिद्ध डाक बंगला पूजा समिति के आचार्य पुरुषोत्तम ने इसके बारे में खास जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आखिर वेश्यालय की मिट्टी से प्रतिमा क्यों बनायी जाती है. उन्होंने बताया कि कोई वेश्यालय में अंदर जाता है तो दरवाजे पर या फिर उसके आंगन में ही पूण्य रह जाता है. इसलिए वहां की मिट्टी पवित्र मानी जाती है.

ईटीवी भारत GFX.
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महिषासुर से जुड़ी है कहानीः इसके अलावा कई मान्यताएं है. मान्यता के अनुसार मां दुर्गा को महिषासुरमर्दनी भी कहा जाता है. राक्षस प्रवृत्ति का महिषासुर ने मां दुर्गा का बहुत अपमान किया था. उसने मां के सम्मान को ठेस पहुंचाई थी. मां दुर्गा को जब क्रोध आया तो उन्होंने महिषासुर का संहार किया था. एक यह भी वजह है कि तमाम अपमान, अभद्र व्यवहार को लेकर महिलाएं वेश्यावृत्ति करती हैं और उनके समाज में एक निम्न स्थान होता है. ऐसे में उस घर की मिट्टी को शुभ माना जाता है.

क्या कहता है सनातन धर्म? सनातन धर्म के अनुसार, जो इस धरती पर जन्म लिया, वह सभी भगवान के संतान हैं. वेश्या जो अपनी जिंदगी चुनती है, उसे सबसे बड़ा अपराध माना जाता है. सनातन धर्म में उसकी मुक्ति का भी यह एक साधन है. उसके बुरे कर्मों की मुक्ति के लिए उनके घर की मिट्टी का उपयोग मां दुर्गा की प्रतिमा में बनाने में किया जाता है ताकि मन्त्रोचार से उनके पाप को दूर किया जा सके.

हर समाज को पूजा में शामिल होने का अधिकारः मान्यता के मुताबिक सनातन धर्म में पूजा-पाठ में हर उस व्यक्ति की भूमिका होनी चाहिए, समाज में रहता है. चाहे वह पाप कर्म करता हो या फिर उसका स्थान सबसे निम्न हों. वेश्याओं को सामाजिक रूप से अलग कर दिया जाता है. लेकिन, मां दुर्गा की पूजा में कन्या की पूजा होती है. ऐसे में उन्हें भी इस पूजा में शामिल होने का अधिकार है जो हर किसी को होता है, लेकिन सार्वजनिक रूप में किसी के साथ पूजा में खड़ी नहीं हो सकती हैं, इसलिए वहां की मिट्टी से मां की प्रतिमा बनाकर वेश्या को समाज से जोड़ा जाता है.

ईटीवी भारत GFX.
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मां ने साधू को दिया था सपनाः इस को लेकर एक अलग ही मान्यता है. बताया जाता है कि एक ऋषि अपने आश्रम के सामने मां दुर्गा के नौ रूप की मूर्ति को स्थापित किए थे, लेकिन, प्राण प्रतिष्ठा होने से पहले रात में मां दुर्गा सपने में आईं. उन्होंने कहा कि 'मेरी पूजा तभी सफल होगी जब लोग घमंड छोड़कर इंसानियत और बलिदान के साथ पूजा करेंगे'. ऋषि ने पूछा, 'इसके लिए क्या करना होगा' तो मां ने वेश्यालय की मिट्टी से प्रतिमा बनाने के लिए कहा.

मां दुर्गा ने ऋषि को कहा था कि 'मेरी प्रतिमा में तवायफ के आंगन की मिट्टी लगाकर बनाओ तब मेरी प्राण प्रतिष्ठा संपूर्ण मानी जाएगी'. मां ने कहा कि 'जिन लोगों को समाज में उपेक्षित कर दिया जाता है, उन्हें पापी समझा जाता है, लेकिन, वह अपनी मर्जी से पाप नहीं करते हैं. उनका शोषण किया जाता है. वह भी मेरे आशीर्वाद के हकदार हैं.' अगले दिन ऋषि ने वेश्यालय से मिट्टी मंगाकर मां की प्रतिमा को पुनः स्थापित किया. तब से मान्यता है कि वेश्यायलयों की मिट्टी से मां की प्रतिमा बनायी जाती है.

नोटः यह सारी जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. ईटीवी भारत किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

Last Updated :Oct 21, 2023, 11:06 PM IST
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