राष्ट्रीय दल बनने से महज एक कदम दूर JDU.. 3 राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा हासिल.. चौथे पर नजर

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Published : Mar 15, 2022, 6:34 AM IST

JDU aims to become national party
राष्ट्रीय दल बनने से महज एक कदम दूर JDU.. 3 राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा हासिल चौथे पर नजर ()

जनता दल यूनाइटेड राष्ट्रीय पार्टी बनने से महज एक कदम दूर (JDU aims to become national party) है. इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने तैयारी पुख्ता कर ली है. नीतीश ब्रिगेड हर हाल में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए कमर कस चुकी है. मणिपुर विधानसभा के नतीजे से जेडीयू खासी उत्साहित है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना: भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस समेत सात पार्टियों को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल है. जनता दल यूनाइटेड भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा (National party status) हासिल करने से बस एक कदम दूर है. तीन राज्यों में जेडीयू के अच्छे प्रदर्शन से इस क्षेत्रिय पार्टी के राष्ट्रीय पार्टी बनने की उम्मीद और बढ़ गई है. इसी साल होने वाले विधान सभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर जेडीयू राष्ट्रीय पार्टी बनने का संकल्प पूरा करना चाहती है.

देखें रिपोर्ट

राष्ट्रीय पार्टी बनने से एक कदम दूर जदयू: जनता दल यूनाइटेड देश की राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की ओर बढ़ चुकी है. जेडीयू को आने वाले दिनों में राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल सकता है. फिलहाल जनता दल यूनाइटेड को तीन राज्यों में राज्य स्तरीय दल का दर्जा मिला हुआ है. आपको बता दें कि जनता दल यूनाइटेड का गठन 1999 में हुआ था. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जेडीयू राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही है. ऐसे में जेडीयू की नजर देश के छोटे राज्यों पर है. छोटे राज्यों में राज्य स्तरीय दल का दर्जा हासिल कर पार्टी राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करना चाहती है.

बिहार में बेमिसाल नीतीश कुमार: जनता दल यूनाइटेड का गठन 1999 में हुआ था. तब से नीतीश की पार्टी प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन कर रही है. 2004 से लगातार जेडीयू बिहार की सत्ता पर काबिज है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को लगभग 16% से ज्यादा वोट मिले और पार्टी के खाते में 43 सीटें गईं. इस हिसाब से जनता दल यूनाइटेड ने अपने जमीनी आधार को मजबूत रखा और पार्टी का प्रसार राष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने की कोशिश जारी रखी.

अरुणाचल में भी खूब चला 'तीर': 2019 में अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू ने 15 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और पार्टी को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कुल मिलाकर 9.88 प्रतिशत वोट जदयू को मिला. हालांकि बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन सरकार चला रही जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश में तगड़ा झटका बीजेपी ने तब दिया जब उसके 6 विधायकों ने JDU छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया. बहरहाल जेडीयू अरुणाचल में भी 6 फीसदी से ज्यादा वोट लाकर नेशनल पार्टी बनने का दूसरा सोपान पूरा किया.

मणिपुर में JDU का शानदार प्रदर्शन: अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी जेडीयू ने शुरू कर दी है. नागालैंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और जदयू वहां मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश करेगी. फिलहाल जदयू को तीन राज्यों में राज्य स्तरीय दल का दर्जा हासिल हो चुका है. हालिया मणिपुर विधानसभा चुनाव (Manipur assembly election results) में जदयू ने बेहतर परफॉर्म किया है. कुल 60 विधानसभा सीटों वाले राज्य में जदयू ने कुल 41 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमें 6 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी. कुल मिलाकर 10.77% वोट जदयू को मिले. जबकि मणिपुर में पार्टी के पांच उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे. वहीं 17 उम्मीदवारों को 10% से कम मत मिले. इस तरह मणिपुर में जेडीयू ने 6 फीसदी से ज्यादा मत प्राप्त कर राष्ट्रीय पार्टी बनने के तीसरे सोपान को पार कर लिया.

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जेडीयू का अगला लकी राज्य कौन ? अब सवाल यही है कि तीन राज्यों में जेडीयू ने अपने मानक पूरे कर लिए हैं. लेकिन, चौथा राज्य वो कौन सा होगा जहां जेडीयू अपना परचम लहराकर मानकों के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी कहलाने का हकदार हो जाएगी? माना तो यही जा रहा है कि 2023 में होने वाले मेघालय और नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव नीतीश ब्रिगेड के टॉप टारगेट पर है. ये बात समझने वाली है क्योंकि, भारत में स्वतंत्रता के बाद अलग-अलग इलाकों में क्षेत्रीय समस्या और क्षेत्रीय मुद्दों के आधार पर क्षेत्रीय दलों का गठन हुआ. दो दलों को अगर छोड़ दें तो ज्यादातर दलों का अस्तित्व स्वतंत्रता के बाद आया है. शिरोमणि अकाली दल और जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे कुछ पार्टी आजाद होने से पहले गठित हो गई थीं.

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राष्ट्रीय पार्टी बनने की जरूरी शर्त: आंकड़ों के लिहाज से अगर बात करें तो चुनाव आयोग के मुताबिक भारत में कुल मिलाकर 2293 राजनीतिक दल हैं. सभी पार्टियां चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं. जिसमें 7 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल हैं और देश में राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दलों की संख्या 59 है. आइए जानते हैं वह कौन सी शर्तें हैं जिस आधार पर क्षेत्रीय दलों को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलता है-

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'नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी लगातार आगे बढ़ रही है. 3 राज्यों में हम मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं और अब आने वाले विधानसभा चुनाव में हम एक और राज्य में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के बाद राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल कर लेंगे. फिलहाल जदयू को मणिपुर अरुणाचल प्रदेश और बिहार में राज्य स्तरीय दल का दर्जा हासिल है'- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता ने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी नीतीश के नेतृत्व में बेहतर कर रही है. तीन बाधा उन्होंने पार कर ली है. बाकी उनकी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने से बस एक कदम दूर है. उनकी नजर अगले विधानसभा चुनाव में है जहां वो उम्दा प्रदर्शन कर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लेंगे. वहीं बीजेपी ने कहा कि अगर जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त होता है तो उनका गठबंधन (NDA) और मजबूत होगा.

'जदयू को अगर राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलता है तो इससे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) मजबूत होगी. भाजपा के लिए चिंता की कोई बात नहीं है भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है- विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता

राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि जदयू राष्ट्रीय दल बनने की ओर बढ़ चुकी है. पार्टी की नजर आने वाले विधानसभा चुनाव पर होगी. छोटे राज्य उनके टारगेट पर होंगे. जदयू को अगर राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है तो वैसे स्थिति में जो वर्तमान में राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त राजनीतिक दल हैं उन्हें चुनौती मिलेगी और देश में नए राजनीतिक समीकरण के आगाज भी हो सकते हैं.

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'नीतीश की पार्टी जेडीयू राष्ट्रीय दल बनने की ओर कदम बढ़ा चुकी है. पार्टी की नजर आने वाले विधानसभा चुनाव पर है. छोटे छोटे राज्यों को जेडीयू टारगेट पर रख रही है. अगर ये सफल होते हैं तो वर्तमान में दूसरे दलों को बड़ी चुनौती मिलेगी. देश में नए समीकरण का आगाज होगा'- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

खास बात ये कि बिहार में आरजेडी सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी है, राष्ट्रीय जनता दल भी एक बार राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर चुकी है. लेकिन अपने राष्ट्रीय जनाधार को बरकरार नहीं रख पाई. लालू यादव के जेल जाने के बाद से पार्टी का आकार सिकुड़ता जा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आरजेडी बिहार में नंबर वन पार्टी बनकर उभरी है. तो वहीं जेडीयू अब बिहार के बाहर पांव जमाकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने जा रही है. देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश ब्रिगेड कब तक इस लक्ष्य को पूरा करती है.

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