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Flood In Bihar: बरसात के मौसम में भारत से नेपाल आना-जाना महंगा! इतनी रकम लेकर नाविक कराते हैं नदी पार

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 4:02 PM IST

Updated : Aug 30, 2023, 9:35 PM IST

हर साल बिहार में बाढ़ आती है. नेपाल से पानी छोड़ने और कोसी नदी में उफान के कारण उत्तर बिहार में बाढ़ अपने साथ भारी तबाही लाती है. बाढ़ के कारण सीमावर्ती जिलों के लिए नेपाल आना-जाना न केवल मुश्किल हो जाता है बल्कि महंगा भी हो जाता है, क्योंकि कई ग्रामीण इलाके से नेपाल के गांवों के बीच न तो अच्छी सड़कें हैं और न ही पुल है. जिस वजह से बरसात में उनको नाव से आवागमन करना पड़ता है. इसके लिए अच्छी खासी रकम भी चुकानी पड़ती है.

20 रुपये देकर सीतामढ़ी से नेपाल आना जाना
20 रुपये देकर सीतामढ़ी से नेपाल आना जाना

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सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी में बाढ़ के कारण जिंदगी आसान नहीं रहती है. दरअसल, बरसात के मौसम में नेपाल से भारत और भारत से नेपाल जाने वाले दोनों देशों के नागरिकों को यहां पैसे चुकाने पड़ते हैं. यहां नेपाल के लोग भारत आने के लिए नाव का इस्तेमाल करते हैं. वहीं भारत के लोगों को अगर नेपाल जाना पड़ता है तो उसी रास्ते में उन्हें भी नाव का ही सहारा लेना पड़ता है. जिले के मेजरगंज के बसबिट्टा के पास नो मैंस लैंड को लोग नाव से पार करते हैं. यह इलाका बाढ़ के पानी से भरा हुआ है. हर साल बरसात में यहां की यही स्थिति है.

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नाव के सहारे लोग जाते हैं नेपाल: नेपाल के बलरा और सरलाही गांव के लोग नाव के जरिए ही भारतीय बाजार में आकर अपनी जरूरत के सामान की खरीदारी करते हैं, फिर नाव से ही वापस अपने घर लौट जाते हैं. हालांकि लोगों को इस दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साल के तकरीबन तीन महीने खासकर बरसात के मौसम में नाव ही उनका एकमात्र सहारा है.

स्थानीय लोग करते हैं नाव की व्यवस्था: 'भारत और नेपाल में बेटी और रोटी का संबंध' है. भारत की बेटियों की शादी नेपाल में और वहां की लड़कियों की शादी यहां होती है. नेपाल जाने के लिए किसी तरह के पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है. लिहाजा बिना किसी रोकटोक से आते-जाते रहते हैं. बरसात के दिनों में स्थानीय लोग नाव की व्यवस्था करते हैं, जिससे नेपाल के लोग भारत में जरूरी सामानों की खरीदारी करने आते हैं और भारतीय लोग नाव के सहारे अपने रिश्तेदारों से मिलने नेपाल जाते हैं. हालांकि उन्हें नाव पर सवारी करने के एवज में शुल्क भी देना पड़ता है.

एक बार पार करने के लिए देने पड़ते हैं ₹20: स्थानीय लोग बताते हैं कि नाव से इस पार से उस पार जाने के एवज में नाविक को प्रति व्यक्ति 20 रुपये देने पड़ते हैं. जिसको कभी-कभार जाना पड़े, उनके लिए तो यह बहुत बड़ी रकम नहीं है लेकिन जिसको रोज आना-जाना पड़ता है, उसके लिए रोजाना के 40 रुपये पूरे बरसात में देना बहुत मुश्किल हो जाता है. ऊपर से अगर परिवार समेत जाना पड़े तो फिर परेशानी और बढ़ जाती है.

क्या कहना है स्थानीय लोगों का?: भारत की बेटी और नेपाल की बहू कामिनी सिंह रक्षाबंधन के मौके पर सीतामढ़ी अपने मायके आई है. उसे भी नाव से ही उस पार से इस पार आना पड़ा है. वह कहती है कि भारतीय सीमा में अपने रिश्तेदार के यहां आने पर नाव का इस्तेमाल करने पर 20 रुपये शुल्क देना पड़ता है. दोनों देश के नेता चुनाव के समय वादा तो करते हैं लेकिन चुनाव के बाद उसे पूरा नहीं करते हैं. नेताओं की उदासीनता के कारण ही हमें पैसे चुकाना पड़ता है. सरकार से आग्रह है कि यहां पर पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाए.

"मेरा मायका भारत में है और शादी नेपाल में हुई है. अक्सर भारत-नेपाल आना-जाना होता है. 20-20 रुपये देकर नाव से पार करना पड़ता है. बार-बार 20 रुपये देना हमलोगों के लिए बहुत मुश्किल हो रहा है. दोनों देश की सरकार मिलकर अगर यहां पर पुल बनवा दे तो जनता को सुविधा होगी. चुनाव के वक्त तो नेता हाथ जोड़कर वोट मांगने आते हैं लेकिन जीत के बाद जनता का दुख नहीं देखते हैं."- कामिनी सिंह, स्थानीय महिला

Last Updated :Aug 30, 2023, 9:35 PM IST
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