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मुश्किल में 'Khakee: The Bihar Chapter' वाले IPS अधिकारी, जानिये क्या है मामला

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Published : Dec 9, 2022, 9:41 PM IST

बिहार कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा एक बार फिर चर्चा में हैं. ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स को मदद पहुंचाने के आरोपों में विशेष निगरानी विभाग ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज (FIR against Amit Lodha) किया है. बता दें कि OTT प्लेटफार्म पर धूम मचाने वाली वेब सीरीज 'Khakee: The Bihar Chapter' अमित लोढ़ा की किताब 'बिहार डायरीज' पर बनायी गयी है. इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ है. पढ़िये पूरी खबर...

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पटना: बिहार के एक और आईपीएस अधिकारी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के बाद गया के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा (IPS Amit Lodha) पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसयूवी) ने एफआइआर दर्ज करायी है. उन पर सरकारी सेवा में रहते हुए व्यावसायिक गतिविधियां चलाने का आरोप लगा है. सूत्रों की मानें तो उनको निलंबित भी किया जा सकता है.

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क्या है मामलाः इन दिनों OTT प्लेटफार्म पर 'Khakee: The Bihar Chapter' दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है. इसके लेखक बिहार कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा (Amit Lodha) हैं. उनकी किताब 'बिहार डायरीज' (Amit Lodhas book Bihar Diaries) पर वेब सीरीज बनायी गयी है. अपने पद पर तैनाती के दौरान उनके कैरेक्टर पर बनी इस सीरीज को लेकर विवाद खड़ा हुआ है. लोढ़ा के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सरकारी सेवक होने के बावजूद ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के साथ व्यावसायिक समझौते किये. इससे उनको कुल 49.62 लाख रुपये से अधिक की कमाई हुई.

एक रुपए में हुआ था करार: आपको बता दें कि आईपीएस अमित लोढ़ा पर आरोप है कि उन्होंने मगध रेंज के आईजी रहते हुए फ्राइडे स्टोरी टेलर्स लिमिटेड और अन्य के साथ सांठगांठ कर अकूत चल और अचल संपत्ति अर्जित की, जो कि उनकी आय के वैध स्रोत से कहीं अधिक है. 2 नवंबर 2018 को अमित लोढ़ा और फ्राइडे स्टोरी टेलर्स के बीच महज एक रुपए में करार हुआ था. लेकिन, लोढ़ा के बैंक खाते में फ्राइडे स्टोरी टेलर्स की ओर से 12372 रुपए प्राप्त हुए. उन पर लोक सेवक रहते हुए कारोबार करने और अपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है.

निगरानी विभाग की एफआईआर में क्या है: विशेष निगरानी इकाई के द्वारा प्राथमिकी में कई तरह के आरोप आईपीएस अधिकारी पर लगाए गए. एफआईआर में अमित लोढ़ा को स्थापित कहानीकार नहीं बताया गया और ना ही उन्हें किताब लिखने के लिए अधिकृत किया गया था. किताब लिखने की उन्हें इजाजत नहीं दी गई थी. फिर भी उसे नजर अंदाज कर अमित लोढ़ा ने 'बिहार डायरीज' लिखी. इसका उपयोग वेब सीरीज के लिए हुआ. उन्होंने यह काम आर्थिक लाभ के लिए किया जो अवैध है.

ऐसे हुआ रॉयल्टी के नाम पर खेल: आईपीएस अमित लोढ़ा ने लोक सेवक होने के बावजूद निजी कारोबारी हितों के लिए एक प्रोडक्शन हाउस के साथ करार किया. जिसमें 49 लाख 62 हजार 372 रुपय अर्जित किए, जो उचित नहीं है. आरोप है कि आईपीएस अमित लोढ़ा ने अपनी पत्नी को भी प्रोडक्शन हाउस में शामिल किया. प्रोडक्शन हाउस में 7 मार्च 2019 से 13 सितंबर 2019 के बीच कौमुदी लोढ़ा के खाते में 38.25 लाख रुपए ट्रांसफर किये गये. उनके इस आचरण को भ्रष्टाचार और निजी स्वार्थ व लाभ के लिए की गयी वित्तीय अनियमितता माना गया है. विशेष निगरानी इकाई के पुलिस अधीक्षक ने विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी है.

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अब क्या करेंगे अमित लोढ़ा: स्पेशल विजिलेंस यूनिट के मुताबिक, मगध क्षेत्र के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा पर आरोप है कि उन्होंने किताब लिखने और वेब सीरीज के लिए पुलिस मुख्यालय और राज्य सरकार से इजाजत नहीं ली थी, जिसके कारण उन पर लोकसेवा अधिनियम के उल्लंघन का आरोप है. ऐसे में उनको निलंबित किया जा सकता है.


क्या कहते हैं कानून के जानकारः पटना हाई कोर्ट के वकील आलोक चौबे ने बताया कि कानून के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी पद पर तैनात रहने के दौरान किसी भी तरह के दूसरे संस्थान से बिजनेस कर पैसे नहीं कमा सकते हैं. स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने अमित लोढ़ा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में धारा 168 लगाया है, जिसमें कोई भी सरकारी कर्मचारी पद पर रहते हुए किसी भी ट्रेड के माध्यम से पैसे नहीं कमा सकने का आरोप लगाया है. इसके अलावा उनके ऊपर प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत कुछ धाराएं लगाई गईं हैं.


'पूर्व आईजी पर लगे आरोपों की जांच प्राधिकृत एजेंसियों ने की. बिहार पुलिस मुख्यालय और वरीय प्राधिकार ने इस जांच प्रतिवेदन की समीक्षा की. इसके बाद निगरानी विभाग के दिशा-निर्देश पर अमित लोढ़ा के विरुद्ध जांच तथा सत्यापन के दौरान पाये गये तथ्यों व साक्ष्यों के आलोक में एफआइआर दर्ज करने की कार्रवाई की गयी'- एनएच खान, अपर पुलिस महानिदेशक, एसयूवी

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पूर्व डीजीपी अभयानंद से भी हुई थी पूछताछः आईजी अमित लोढ़ा पर हुई प्राथमिकी को लेकर बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने बताया कि कानून के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने पद पर रहते हुए किसी दूसरे व्यवसाय से पैसे अर्जित नहीं कर सकता है. उन्होंने अपने ऊपर भी लगे आरोप का हवाला देते हुए कहा कि जब हम भी सुपर थर्टी नामक संस्थान चलाया करते थे तब हमसे भी पूछताछ हुई थी. उन्होंने बताया कि ड्यूटी के बाद बच्चों को पढ़ाते थे और वह भी निःशुल्क जिस आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई थी.


विवादों से है पुराना नाता: गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार और मगध रेंज के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा के बीच पुराना विवाद है. इनके विवाद की वजह से ही सरकार ने दोनों अधिकारियों को वहां से हटाकर मुख्यालय में प्रतिनियुक्त कर दिया था. इसके बाद दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच हुई. इसमें शराब केस में आदित्य कुमार पर केस दर्ज किया गया. आदित्य पर डीजीपी को फर्जी कॉल कराने के भी आरोप हैं. अब अमित लोढ़ा पर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार में मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.


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