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13 फरवरी : विश्व रेडियो दिवस

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 12, 2024, 5:35 PM IST

World Radio Day : रेडियो- तकनीक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सेंसरशिप के कई बदलावों को देख चुका है. अपनी शताब्दी-लंबी यात्रा पूरी करने के बाद रेडियो आज भी विश्वसनीय माध्यमों में से एक है. पढ़ें पूरी खबर..

World Radio Day
विश्व रेडियो दिवस

हैदराबाद : आज के समय उपलब्ध रेडियो पर क्लियर क्रिस्टल आवाज हम सुन सकते हैं. बड़े से रेडियो से आज हमारे मोबाइल सेट पर रेडियो उपलब्ध है. वर्तमान स्वरूप में पहुंचने में रेडियो को कई दशक लग गये. आज भी रेडियो लगातार विकसित हो रहा है. लगातार कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में अपडेट होने से यह पूरी तरह से बदल चुका है. मोबाइल आने के बाद रेडियो का एक युग समाप्त हो गया. वहीं पोडकास्ट ने रेडियो को डिजिटल फार्मेट में काफी लोकप्रिय हो रहा है.

विश्व रेडियो दिवस का इतिहास
तकनीकी के दुनिया में काफी तेज गति से लगातार प्रगति जारी है. इसी बीच परंपरागत रेडियो का प्रचलन काफी कम हुआ है, लेकिन दुनिया में मीडिया के सबसे भरोसेमंद व व्यापक रूप से उपयोग में आना वाला इलेक्ट्रानिक उपकरण है. यह आज अपनी सेवा की दूसरी शताब्दी में पहुंच चुका है.

विश्व रेडियो दिवस की घोषणा 2011 में यूनेस्को के सदस्यों देशों ने किया था. इसके बाद 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में अपनाने का निर्णय लिया गया और 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस बन गया. प्रौद्योगिकी, विज्ञान, संचार के साधन और प्रोग्रामिंग ऑडियो तत्वों की प्रणाली के रूप में रेडियो की जड़ें 1800 के दशक में हैं. इस कारण कहा जा सकता है कि यह माध्यम पहले से ही अपनी दूसरी शताब्दी में प्रवेश कर चुका है.

विश्व रेडियो दिवस पर, हम न केवल रेडियो के इतिहास का जश्न मनाते हैं, बल्कि हमारे समाज में, अभी और आने वाले वर्षों में इसकी केंद्रीय भूमिका का भी जश्न मनाते हैं. -ऑड्रे अजोले, महानिदेशक , यूनेस्को

विश्व रेडियो दिवस 2024: ऑडियो
विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए यूनेस्को ने कई ऑडियो फाइलें जारी की हैं जिनका उपयोग विश्व रेडियो दिवस के प्रसारण और कार्यक्रमों की योजना बनाने में मुफ्त किया जा सकता है. इन कंटेंट पर कोई कॉपीराइट प्रतिबंध नहीं है.

विश्व रेडियो दिवस 2024 की थीम : रेडियो के उल्लेखनीय अतीत, प्रासंगिक वर्तमान और गतिशील भविष्य के वादे पर व्यापक प्रकाश डालती है.

संयुक्त राष्ट्र रेडियो क्लासिक्स
संयुक्त राष्ट्र के समृद्ध ऑडियो विज़ुअल लाइब्रेरी है. लाइब्रेरी में ऑड्रे हेपबर्न, किर्क डगलस और बिंग क्रॉस्बी सहित कई अन्य प्रमुख लोगों से जुड़े डाक्यूमेंट्री, नाटक सहित अन्य फार्मेट में ऑनलाइन संग्रह उपलब्ध हैं. यह फ्री में उपलब्ध है. इसमें भारत सहित दुनिया की अन्य महान हस्तियों से जुड़े लोगों और ऐतिहासिक क्षणों से जुड़ा एक डिजिटल दस्तावेज है.

रेडियो की विकास यात्रा

  1. हंस क्रिस्चियन ओर्स्टेड ने सबसे पहले 1820 में यह घोषणा की थी कि एक तार के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है, जिसके माध्यम से करंट प्रवाहित होता है.
  2. 1830 में अंग्रेजी भौतिक विज्ञानी माइकल फैराडे ने ओर्स्टेड के सिद्धांत की पुष्टि की.
  3. 1864 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रायोगिक भौतिकी के प्रोफेसर जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने एक सैद्धांतिक पेपर प्रकाशित किया था.
  4. 1880 के दशक के अंत में जर्मन भौतिक विज्ञानी हेनरिक हर्ट्ज ने मैक्सवेल के सिद्धांत का परीक्षण किया. इस विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न करने में सफल रहे. उनके परीक्षण ने गति के बारे में मैक्सवेल की भविष्यवाणी को सच साबित किया.
  5. इसके कुछ ही समय बाद एक इतालवी वैज्ञानिक गुग्लिल्मो मार्कोनी दुनिया के सामने विद्युत चुम्बकीय तरंगें लेकर आए.
  6. सितंबर 1899 में मार्कोनी ने समुद्र में एक जहाज से न्यूयॉर्क में एक भूमि-आधारित स्टेशन तक अमेरिका के नौका दौड़ के परिणामों को टेलीग्राफ कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया.
  7. 1901 के अंत तक मार्कोनी ने अपनी खुद की वाणिज्यिक वायरलेस कंपनी की स्थापना की और पहला ट्रान्साटलांटिक सिग्नल प्रसारित किया.
  8. 24 दिसंबर 1906 को कनाडा में जन्मे भौतिक विज्ञानी रेजिनाल्ड फेसेन्डेन ने ब्रेंट रॉक मैसाचुसेट्स में अपने स्टेशन से मानव आवाज और संगीत का पहला लंबी दूरी का प्रसारण कर दिखाया. उनका संकेत नॉरफॉक, वर्जीनिया तक रिसीव हुआ था.
  9. 1907 में अमेरिकी आविष्कारक ली डे फॉरेस्ट ने अपना पेटेंटेड ऑडियोन सिग्नल डिटेक्टर पेश किया - जिसने रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल को बढ़ाने की अनुमति दी.
  10. 1918 में अमेरिकी आविष्कारक, एडविन आर्मस्ट्रांग ने सुपरहेटरोडाइन सर्किट विकसित किया. वहीं 1933 में पता लगाया कि एफएम प्रसारण कैसे उत्पादित किया जा सकता है.
  11. एफएम ने एएम की तुलना में अधिक स्पष्ट प्रसारण संकेत प्रदान किया, लेकिन आरसीए के शीर्ष कार्यकारी, डेविड सरनॉफ टेलीविजन के विकास पर जोर दे रहे थे.
  12. रेडियो की सार्वजनिक मांग बढ़ने के बाद 1910 में मनोरंजन प्रसारण शुरू हुआ. और इसमें डी फॉरेस्ट का अपना कार्यक्रम भी शामिल था, जिसे उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में मेट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस से प्रसारित हुआ था.
  13. 1920 में पहला वाणिज्यिक रेडियो स्टेशन, केडीकेए बन गया.
  14. वैश्विक स्तर पर 1920-1950 के दशक को रेडियो का स्वर्ण युग माना जाता है. आजादी के बाद भारत में कई चरणों में इसका विस्तार हुआ.
  15. 1950 के दशक में टीवी, 1960 के दशक में स्टीरियोफोनिक फिर 1990 के दशके के बाद सुलभ इंटरनेट-मोबाइल का प्रचलन बढ़ा. सस्ते मोबाइल और इंटरनेट ने रेडियो के युग को समाप्त ही कर दिया.

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हैदराबाद : आज के समय उपलब्ध रेडियो पर क्लियर क्रिस्टल आवाज हम सुन सकते हैं. बड़े से रेडियो से आज हमारे मोबाइल सेट पर रेडियो उपलब्ध है. वर्तमान स्वरूप में पहुंचने में रेडियो को कई दशक लग गये. आज भी रेडियो लगातार विकसित हो रहा है. लगातार कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में अपडेट होने से यह पूरी तरह से बदल चुका है. मोबाइल आने के बाद रेडियो का एक युग समाप्त हो गया. वहीं पोडकास्ट ने रेडियो को डिजिटल फार्मेट में काफी लोकप्रिय हो रहा है.

विश्व रेडियो दिवस का इतिहास
तकनीकी के दुनिया में काफी तेज गति से लगातार प्रगति जारी है. इसी बीच परंपरागत रेडियो का प्रचलन काफी कम हुआ है, लेकिन दुनिया में मीडिया के सबसे भरोसेमंद व व्यापक रूप से उपयोग में आना वाला इलेक्ट्रानिक उपकरण है. यह आज अपनी सेवा की दूसरी शताब्दी में पहुंच चुका है.

विश्व रेडियो दिवस की घोषणा 2011 में यूनेस्को के सदस्यों देशों ने किया था. इसके बाद 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में अपनाने का निर्णय लिया गया और 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस बन गया. प्रौद्योगिकी, विज्ञान, संचार के साधन और प्रोग्रामिंग ऑडियो तत्वों की प्रणाली के रूप में रेडियो की जड़ें 1800 के दशक में हैं. इस कारण कहा जा सकता है कि यह माध्यम पहले से ही अपनी दूसरी शताब्दी में प्रवेश कर चुका है.

विश्व रेडियो दिवस पर, हम न केवल रेडियो के इतिहास का जश्न मनाते हैं, बल्कि हमारे समाज में, अभी और आने वाले वर्षों में इसकी केंद्रीय भूमिका का भी जश्न मनाते हैं. -ऑड्रे अजोले, महानिदेशक , यूनेस्को

विश्व रेडियो दिवस 2024: ऑडियो
विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए यूनेस्को ने कई ऑडियो फाइलें जारी की हैं जिनका उपयोग विश्व रेडियो दिवस के प्रसारण और कार्यक्रमों की योजना बनाने में मुफ्त किया जा सकता है. इन कंटेंट पर कोई कॉपीराइट प्रतिबंध नहीं है.

विश्व रेडियो दिवस 2024 की थीम : रेडियो के उल्लेखनीय अतीत, प्रासंगिक वर्तमान और गतिशील भविष्य के वादे पर व्यापक प्रकाश डालती है.

संयुक्त राष्ट्र रेडियो क्लासिक्स
संयुक्त राष्ट्र के समृद्ध ऑडियो विज़ुअल लाइब्रेरी है. लाइब्रेरी में ऑड्रे हेपबर्न, किर्क डगलस और बिंग क्रॉस्बी सहित कई अन्य प्रमुख लोगों से जुड़े डाक्यूमेंट्री, नाटक सहित अन्य फार्मेट में ऑनलाइन संग्रह उपलब्ध हैं. यह फ्री में उपलब्ध है. इसमें भारत सहित दुनिया की अन्य महान हस्तियों से जुड़े लोगों और ऐतिहासिक क्षणों से जुड़ा एक डिजिटल दस्तावेज है.

रेडियो की विकास यात्रा

  1. हंस क्रिस्चियन ओर्स्टेड ने सबसे पहले 1820 में यह घोषणा की थी कि एक तार के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है, जिसके माध्यम से करंट प्रवाहित होता है.
  2. 1830 में अंग्रेजी भौतिक विज्ञानी माइकल फैराडे ने ओर्स्टेड के सिद्धांत की पुष्टि की.
  3. 1864 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रायोगिक भौतिकी के प्रोफेसर जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने एक सैद्धांतिक पेपर प्रकाशित किया था.
  4. 1880 के दशक के अंत में जर्मन भौतिक विज्ञानी हेनरिक हर्ट्ज ने मैक्सवेल के सिद्धांत का परीक्षण किया. इस विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न करने में सफल रहे. उनके परीक्षण ने गति के बारे में मैक्सवेल की भविष्यवाणी को सच साबित किया.
  5. इसके कुछ ही समय बाद एक इतालवी वैज्ञानिक गुग्लिल्मो मार्कोनी दुनिया के सामने विद्युत चुम्बकीय तरंगें लेकर आए.
  6. सितंबर 1899 में मार्कोनी ने समुद्र में एक जहाज से न्यूयॉर्क में एक भूमि-आधारित स्टेशन तक अमेरिका के नौका दौड़ के परिणामों को टेलीग्राफ कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया.
  7. 1901 के अंत तक मार्कोनी ने अपनी खुद की वाणिज्यिक वायरलेस कंपनी की स्थापना की और पहला ट्रान्साटलांटिक सिग्नल प्रसारित किया.
  8. 24 दिसंबर 1906 को कनाडा में जन्मे भौतिक विज्ञानी रेजिनाल्ड फेसेन्डेन ने ब्रेंट रॉक मैसाचुसेट्स में अपने स्टेशन से मानव आवाज और संगीत का पहला लंबी दूरी का प्रसारण कर दिखाया. उनका संकेत नॉरफॉक, वर्जीनिया तक रिसीव हुआ था.
  9. 1907 में अमेरिकी आविष्कारक ली डे फॉरेस्ट ने अपना पेटेंटेड ऑडियोन सिग्नल डिटेक्टर पेश किया - जिसने रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल को बढ़ाने की अनुमति दी.
  10. 1918 में अमेरिकी आविष्कारक, एडविन आर्मस्ट्रांग ने सुपरहेटरोडाइन सर्किट विकसित किया. वहीं 1933 में पता लगाया कि एफएम प्रसारण कैसे उत्पादित किया जा सकता है.
  11. एफएम ने एएम की तुलना में अधिक स्पष्ट प्रसारण संकेत प्रदान किया, लेकिन आरसीए के शीर्ष कार्यकारी, डेविड सरनॉफ टेलीविजन के विकास पर जोर दे रहे थे.
  12. रेडियो की सार्वजनिक मांग बढ़ने के बाद 1910 में मनोरंजन प्रसारण शुरू हुआ. और इसमें डी फॉरेस्ट का अपना कार्यक्रम भी शामिल था, जिसे उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में मेट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस से प्रसारित हुआ था.
  13. 1920 में पहला वाणिज्यिक रेडियो स्टेशन, केडीकेए बन गया.
  14. वैश्विक स्तर पर 1920-1950 के दशक को रेडियो का स्वर्ण युग माना जाता है. आजादी के बाद भारत में कई चरणों में इसका विस्तार हुआ.
  15. 1950 के दशक में टीवी, 1960 के दशक में स्टीरियोफोनिक फिर 1990 के दशके के बाद सुलभ इंटरनेट-मोबाइल का प्रचलन बढ़ा. सस्ते मोबाइल और इंटरनेट ने रेडियो के युग को समाप्त ही कर दिया.

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