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यंग इंडिया तय करेगा 2024 चुनाव का एजेंडा, 28 फरवरी 2024 को जंतर-मंतर पर रैली का किया आह्वान

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 13, 2024, 4:41 PM IST

यंग इंडिया तय करेगा 2024 चुनाव का एजेंडा
यंग इंडिया तय करेगा 2024 चुनाव का एजेंडा

Young India press meet : दिल्ली के रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में सोमवार को 'यंग इंडिया रेफरेंडम' का नतीजा जारी किया गया. ये रेफरेंडम देश भर के 50 से अधिक विश्वविद्यालयों में 7 से 9 फरवरी के बीच मतदान के माध्यम से आयोजित किया गया था.

नई दिल्ली: दिल्ली के रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में देशव्यापी 'यंग इंडिया रेफरेंडम' के नतीजे जारी किए गए. 'यंग इंडिया रेफरेंडम' का उद्देश्य छात्रों और युवाओं की शिक्षा और रोजगार और उससे जुड़ी उनकी चिंताओं को उजागर करने के लिए उनका मत जानना था. 'यंग इंडिया रेफरेंडम' बीते 7 से 9 फरवरी के बीच देश भर के 50 से अधिक विश्वविद्यालयों में मतदान के माध्यम से आयोजित किया गया था.साथ ही संगठन ने 28 फरवरी 2024 को जंतर मंतर पर रैली करने की घोषणा की है.

छात्र और युवाओं ने इस मतदान के मार्फ़त अपना मैंडेट देते हुए केंद्र सरकार को दो टूक जवाब दिया हैं. जो पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रहने के बावजूद भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार तक सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है. जिसके ऊपर एक 10 सूत्रीय चार्जशीट जारी किया गया है. जिसमें सरकार पर बड़े पैमाने पर फीस वृद्धि और बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न करने, छात्र विरोधी, एफवाईयूपी लागू करने, सामाजिक न्याय से समझौता करते हुए अल्पसंख्यकों और वैज्ञानिक मनोवृति पर हमला करने का आरोप लगाया गया. साथ ही विभिन्न प्रगतिशील छात्र संगठनों द्वारा एक यंग इंडिया चार्टर' भी जारी किया गया.

मोदी सरकार के 10 साल, यंग इंडिया के 10 सवाल' और जुमला नहीं जवाब दो, दस साल का हिसाब दो जैसे नारे के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी आरा, पटना विश्वविद्यालय, मणिपाल विश्वविद्यालय, सहित देश के कई अन्य कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों सहित छात्रावास एवं छात्र इलाकों में 'यंग इंडिया रेफरेंडम' आयोजित किया गया.

अखिल भारतीय जनमत संग्रह का उद्देश्य 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर छात्रों और युवाओं की राय जानना था. जनमत संग्रह एक अखिल भारतीय हस्ताक्षर अभियान के बाद आयोजित किया गया था. जिसके माध्यम से छात्रों और नौकरी चाहने वालों ने मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से उनके दस वर्ष के शासन पूरे होने पर दस सवाल पूछा हैं.

छात्रों ने यंग इंडिया जनमत संग्रह पर उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया व्यक्त की और सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार के पक्ष में मतदान किया. उन्होंने वार्षिक शुल्क वृद्धि, जरूरतमंद छात्रों के लिए छात्रावास और छात्रवृत्ति के प्रावधान और मोदी के हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने के वादे से संबंधित सवालों पर मतदान किया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिक्षक और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. लक्ष्मण यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा हमारे परिसरों को जेलों में तब्दील किया जा रहा है. मैं एक पूर्व प्रोफेसर हूं क्योंकि विश्वविद्यालय अब अपने परिसर के अंदर लोकतांत्रिक विचारधारा वाले लोगों को नहीं रखना चाहता है और यह योजना अब यूनिवर्सल बनाया जा रहा है.

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महिला और नागरिकता अधिकार कार्यकर्ता नताशा नरवाल ने कहा कि शिक्षा का एक मुक्तिगामी उद्देश्य है. छात्रों को आलोचनात्मक सोच सीखनी चाहिए और सामाजिक अन्याय पर सवाल उठाना शुरू करना चाहिए. हालांकि, मौजूदा शासक ने सक्रिय रूप से सार्वजनिक शिक्षा के इस पहलू को नष्ट करने की कोशिश की है."साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में आंदोलन के छात्र कार्यकर्ता अपूर्वा ने भी प्रेस को संबोधित करते हुए कहा,"लोकतांत्रिक भारत के लिए युवा भारत का आह्वान सरकार को जवाबदेह ठहराने से शुरू होता है. हमें नौकरियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नहीं" .
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