पटनाः कहानी हर किसी को सुनना पसंद है. भाग दौड़ की जिंदगी में और राह चलते हुए आप वीडियो देखना संभव नहीं है लेकिन लोग अक्सर कहानी के लिए पॉडकास्ट सुनते हैं. कहानी कहने और सुनने वालों के लिए पॉडकास्ट एक बेहतरीन साधन बन गया है. कई लोग इसे अपना कैरियर भी बनाना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें कहानी को बेहतरीन बनाने आना जरूरी है.
ईटीवी भारत आपको World Storytelling Day के मौके पर उस शख्स से मुलाकात कराने जा रहा है जो एक खुद कहानी के मास्टर माने जाते हैं. अगर आप बिहार के रहने वाले हैं तो आरजे शशि का नाम जरूर सुना होगा. जो अपने कहानी के माध्यम से लोगों को मनोरंजन करते रहते हैं. इनका एक शो भी आता है जिसमें एक पति-पत्नी हमेशा लड़ते रहता है.
"कहानी कहना अपने आप में एक विशेष कला है. एक अच्छी कहानी कहने वाला अपनी कहानी के माध्यम से श्रोताओं के सामने पूरा दृश्य खड़ा कर देता है. सिनेमा के जैसा दृश्य श्रोता के दिमाग में घूमने लगता है. श्रोता कहानी के माध्यम से हर इमोशंस को फील करता है." -शशि, आरजे, रेडियो मिर्ची
स्टोरी टेलिंग एक कलाः स्टोरी टेलिंग की कला सीखने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि इमोशंस को समझें. किसी कहानी को यूं ही पढ़ लेंगे तो उसका कोई मतलब नहीं बनेगा लेकिन यदि हम पूरे भाव के साथ उसे पढ़ेंगे तो उसका असर श्रोता पर होगा. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहानी कहने की कला को बताया.
मिठाई का वर्णन इस तरीके से करेंः एक सामान्य आदमी किसी यात्रा पर है. रास्ते में रूकर मिठाई खाया. अगर वह इसके बारे में बताएगा तो सीधा कहेगा कि फलाना जगह मिठाई खाए काफी अच्छा था. लेकिन यही एक कहानीकार कहेगा तो वह मिठाई की मिठास और उसकी खुशबू का वर्णन करेगा. मिठाई एक रसगुल्ला है तो उसका करैक्टर बन जाता है. रसगुल्ला के सॉफ्टनेस को बताएगा. कैसे मुंह में जाते ही रसगुल्ला घुल गया. मुंह में रसगुल्ला टूटने के बाद किस-किस कोने में फंसा. कितने देर तक मुंह में रसगुल्ले की मिठास रही.
कहानी सुनने से आती है अच्छी नींदः आज के नए जेनरेशन के लोग कहानी सुनना पसंद नहीं करते हैं. इसको लेकर उन्होंने कहा कि अच्छी कहानी सुनने के बाद नींद भी अच्छी आती है. सपने में वह कहानी रिपीट करता है. कहानी आराम से सुनने वाली चीज है. इसलिए आराम से बारीकियों के साथ कहना होता है. कहानी कहने में वॉइस माड्यूलेशन का भी ध्यान रखा जाता है. कहानीकार एक खुशी के भाव को उत्साह से कहता है. एक दुख के भाव को धीरजता के साथ कहता है. कहानी में इमोशंस के अनुसार आवाज रहती है.
कहानी में इमैजिनेशन जरूरीः उन्होंने बताया कि बचपन में हम जब कहानी और कविता पढ़ते थे तो सवाल आता था कि कवि अथवा लेखक क्या कहना चाहता है? कवि का भाव क्या है. यह आदत अभी के समय खत्म होती जा रही है. कवि कहना क्या चाहता है वह अब लोग समझ नहीं रहे. किसी भाव से कविता को पढ़ दे रहे हैं. कहानी लिखने और कहने में आपके इमेजिनेशन में कहानी के अनुसार तस्वीर बन रहे हैं तो समझिए आप सही दिशा में है.
दादी-नानी की कहानी को याद करेंः आरजे शशि ने बताया कि कहानी कहना सीखने के लिए बहुत बड़ा इंटेलेक्चुअल होना जरूरी नहीं है. बचपन में दादी नानी जब कहानी कहती थी उनसे सीखिए. कैसे वह एक शेर की बात कहती थी तो आवाज कड़क होती थी. बकरी की बात कहती थी तो आवाज मध्यम और नरम होती थी. कहानी लिखने की भी बात करें तो प्रेमचंद की कहानी को पढ़िए की कैसे उनके कहानी में सभी दृश्य दिख जाते थे.
प्रेमचंद्र की पूस की रातः पूस की सर्द रात, गांव के कुत्ते और रात की सन्नाटे में कीरकीपट की वह किट किट आवाज, सन्नाटे में सर सर पछुआ हवा बह रही है. कुत्ते बहुत दूर से भौंक रहे हैं. यह सभी दृश्य पढ़ने के साथ ही दिमाग में चलने लगते थे. कहानी कहते समय कहानी के माहौल की बारीकियों को समझना जरूरी होता है. एक बार कोई एक अच्छी कहानी किसी को आप सुना देते हैं तो उसके स्मरण में आप बैठ जाते हैं. कहानी कहना वाकई एक बेहतरीन कला है.
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