शिमला: देशभर में आज करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है. आज के दिन निर्जला व्रत रखकर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र सुखी जीवन की कामना करती हैं. दिनभर भूखे प्यासे रहकर रात को चांद का दीदार होने पर ही व्रत पूरा माना जाता है और चांद दिखने पर पूजा-पाठ करने के बाद ही करवा चौथ का व्रत खोलने का विधान है. ऐसे में व्रत रखने वाली महिलाओं को आज चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है.
चांद निकलने के बाद व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं छलनी से पति का चेहरा और चंद्रमा का दीदार करती हैं. चांद को अर्घ्य देकर उसकी पूजा की जाती है. इसके बाद ही करवा चौथ का व्रत पूरा माना जाता है. चांद दिखने के बाद ही सुहागिनें व्रत खोलती हैं.
करवा चौथ के दिन ऐसा लगता है कि चांद भी व्रत रखने वाली महिलाओं की परीक्षा ले रहा हो. कई बार करवा चौथ के दिन चांद का दीदार लंबा भी हो जाता है. आईए जानते हैं कि हिमाचल और देश के विभिन्न शहरों में कब कब चांद का दीदार होगा.
हिमाचल के विभिन्न शहरों में चांद निकलने का समय
शहर | चांद निकलने का समय |
शिमला | 7 बजकर 47 मिनट |
सुंदरनगर | 7 बजकर 47 मिनट |
केलंग | 7 बजकर 42 मिनट |
चंबा | 7 बजकर 47 मिनट |
कुल्लू | 7 बजकर 45 मिनट |
कल्पा | 7 बजकर 41 मिनट |
धर्मशाला | 7 बजकर 47 मिनट |
मंडी | 7 बजकर 46 मिनट |
ऊना | 7 बजकर 46 मिनट |
सोलन | 7 बजकर 48 मिनट |
नाहन | 7 बजकर 48 मिनट |
देश के विभिन्न शहरों में चांद निकलने का समय
शहर | चांद निकलने का समय |
दिल्ली | 7 बजकर 42 मिनट |
चेन्नई | 8 बजकर 20 मिनट |
हैदराबाद | 8 बजकर 17 मिनट |
कोलकाता | 7 बजकर 24 मिनट |
अहमदाबाद | 8 बजकर 28 मिनट |
पुणे | 9 बजकर 33 मिनट |
चंडीगढ़ | 7 बजकर 50 मिनट |
लखनऊ | 7 बजकर 44 मिनट |
नोएडा | 7 बजकर 55 मिनट |
जयपुर | 7 बजकर 5 मिनट |
पटना | 7 बजकर 30 मिनट |
विशाखापट्टनम | 7 बजकर 57 मिनट |
श्रीनगर | 7 बजकर 48 मिनट |
धार्मिक मामलों के जानकार के अनुसार "करवा चौथ का व्रत कठोर होता है. सूर्योदय के बाद रात में चांद दिखने तक उपवास रखना होता है. इस दौरान व्रती कुछ भी खाना तो दूर, पानी की एक बूंद भी नहीं पीया जाता है." करवा चौथ, जिसे करक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है, वैवाहिक बंधन की मजबूती का प्रतीक है. इसका पता महाभारत की कहानी से लगाया जा सकता है, जब सावित्री ने अपने पति की आत्मा के लिए मृत्यु के देवता, भगवान यम से प्रार्थना की थी. महाकाव्य में एक और अध्याय पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी के बारे में है, जिन्होंने अर्जुन द्वारा कुछ दिनों के लिए प्रार्थना और ध्यान करने के लिए नीलगिरी की यात्रा करने के बाद अपने भाई कृष्ण से सहायता मांगी थी. उन्होंने उसे देवी पार्वती की तरह अपने पति शिव की सुरक्षा के लिए सख्ती से उपवास करने का निर्देश दिया. द्रौपदी ने इसका पालन किया और अर्जुन जल्द ही सुरक्षित घर लौट आए.
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