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चुनाव में जमानत जब्त होने का क्या मतलब है, इसके पीछे का क्या है गणित ? एक क्लिक में जानें सब कुछ - Forfeiture of Security Deposit

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 15, 2024, 5:38 PM IST

Updated : May 15, 2024, 6:05 PM IST

Security Deposit in Elections: भारत में कोई भी चुनाव हो प्रत्याशियों की जीत और हार मतदान पर ही निर्भर करता है. चाहे ग्राम प्रधान, विधानसभा और लोकसभा चुनाव जिसकी सबसे ज्यादा वोट उसकी जीत सुनिश्चित होती है. लेकिन इसके अलावा चुनाव में हम सब किसी भी प्रत्याशी की जमानत जब्त होने की बात जरुर सुनते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि जमानत राशि क्या होती है और कैसे किसी कैंडिडेट की चुनाव में कैसे जमानत जब्त हो जाती है. पढ़िए पूरी खबर...

चुनाव में जमानत जब्त होने से जुड़े नियम
चुनाव में जमानत जब्त होने से जुड़े नियम (FILE)

शिमला: देश में ग्राम प्रधान से लेकर लोकसभा चुनाव तक में आपने कई बार एक कहावत जरूर सुनी होगी. "इनकी तो जमानत भी जब्त हो गई". क्या आप जानते हैं कि चुनाव में जमानत जब्त होने का क्या मतलब है ? देश की चुनावी प्रक्रिया में इससे जुड़े क्या नियम कायदे हैं ? आज इसी जमानत जब्त को लेकर आपको पूरी जानकारी देते हैं. ताकि इस बार जब 4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आए तो आप भी ये आसानी से समझ पाएं कि किन-किन कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हुई है.

चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों को जमा करनी होती है जमानत राशि

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां ग्राम प्रधान से लेकर मेयर और सांसद से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव वोटिंग से होता है. हर साल देश के किसी ना किसी कोने में कोई ना कोई चुनाव होता रहता है. ऐसे में किसी भी चुनाव को लड़ने के इच्छुक शख्स को चुनाव आयोग में जमानत के तौर पर एक निश्चित राशि जमा करनी होती है. फिर चाहे वो किसी पार्टी से संबंधित प्रत्याशी हो या फिर आजाद उम्मीदवार. ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जमानत के तौर पर अलग-अलग राशि तय है. जो चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति को चुकानी होती है.

चुनाव में कब होती है किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त ?
चुनाव में कब होती है किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त ? (FILE)

किस चुनाव के लिए कितनी जमानत राशि ?

लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए जमानत राशि का जिक्र रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में किया गया है. जबकि राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जमानत राशि का प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में जिक्र है. इसके अलावा लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जनरल कैटेगरी और SC/ST वर्ग के प्रत्याशियों के लिए अलग-अलग जमानत राशि तय की गई. जबकि, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के इलेक्शन में सभी कैटेगरी के कैंडिडेट के लिए एक तय राशि होती है.

विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखने वाले किसी दल या निर्दलीय उम्मीदवार को 10 हजार रुपये जमानत के तौर चुनाव आयोग में जमा करनी होती है. जबकि विधायकी लड़ने वाले एससी/एसटी वर्ग के कैंडिडेट को केवल 5 हजार चुनाव में जमानत राशि के तौर पर जमा करनी होती है. वहीं, लोकसभा चुनाव में सामान्य वर्ग प्रत्याशी को 25 हजार राशि जमानत के तौर पर चुनाव आयोग में जमा करनी होती है. जबकि एससी/एसटी वर्ग के कैंडिडेट को सिर्फ 12,500 रुपये जमा करने होते हैं. इसी तरह ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक जमानत की राशि तय है.

चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को जमानत के रूप में जमा करानी होती है एक तय राशि
चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को जमानत के रूप में जमा करानी होती है एक तय राशि (FILE)

कब होती है किसी प्रत्याशी की जमानत जब्त ?

किसी भी चुनाव में प्रत्याशियों की जमानत जब्त न हो इसके लिए उसे इलेक्शन में डाले गए कुल वैलिड वोटों की संख्या में से कम से कम 1/6 वोट से अधिक हासिल करने होते हैं. अगर कोई प्रत्याशी कुल वोटों की संख्या में से 1/6 से कम वोट हासिल करता है तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है और उसके द्वारा जमा की जमानत राशि को चुनाव आयोग जब्त कर लेता है. उदाहरण के तौर पर अगर चुनाव में एक लोकसभा सीट पर कुल एक लाख वोट पड़े हों. एक लाख वोट का 1/6 हिस्सा मतलब 16,666 वोट. यानी जो प्रत्याशी इस संख्या से कम प्राप्त करता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी और जो 25 हजार रुपये उसने जमानत के रूप में चुनाव आयोग को जमा करवाई थी वो उसे वापस नहीं मिलेंगे.

चुनाव आयोग
चुनाव आयोग (File)

जमानत राशि किस कंडीशन में लौटाई जाती है ?

  1. चुनाव में पड़े कुल वोटों की संख्या में से 1/6 से ज्यादा मत हासिल करने पर जमानत राशि लौटा दी जाती है.
  2. चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी को भी उसकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है, चाहे उसे 1/6 से कम ही वोट क्यों न मिले हो.
  3. वोटिंग से पहले अगर किसी उम्मीदवार की मौत हो जाए तो उसके परिजनों को जमानत राशि लौटा दी जाती है.
  4. नामांकन रद्द होने या फिर नामांकन वापस लेने की स्थिति में उम्मीदवार को जमानत राशि लौटा दी जाती है.

हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी दलीप नेगी का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए राशि निर्धारित की होती है. जिसे नामांकन पत्र दाखिल करते समय चुनाव आयोग में जमा करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई उम्मीदवार तय वोट नहीं ले पाता है तो ऐसे प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त हो जाती है.

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Last Updated :May 15, 2024, 6:05 PM IST
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