ETV Bharat / state

लातेहार के ग्रामीण करते हैं बिना हल-बैल की खेती, महुआ से होती है भरपूर आमदनी - Mahua cultivation in Latehar

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 5, 2024, 1:28 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 5:47 PM IST

MAHUA CULTIVATION IN LATEHAR
MAHUA CULTIVATION IN LATEHAR

Mahua cultivation. झारखंड से अक्सर लोग रोजगार के लिए पलायन करते हैं, लेकिन प्रकृति ने कुछ ऐसे संसाधनों से भी नवाजा है, जिसकी वजह से लोग वापस अपने घर को लौटते हैं. कुछ ऐसा ही है लातेहार में. यहां के ग्रामीण बाहर कहीं भी रहते हैं, लेकिन दो महीने के लिए जरूर आ जाते हैं. वजह है महुआ. जिससे इन ग्रामीणों को रोजगार तो मिलता ही है, आमदनी भी बेशुमार होती है.

लातेहार में महुआ से बेहतर आमदनी

लातेहारः महुआ का सीजन आते ही लातेहार में बहार आ जाती है. ग्रामीणों को अपने गांव और आसपास के जंगल में ही ऐसा रोजगार मिल जाता है, जिससे उन्हें काफी अच्छी आमदनी होती है. अप्रैल का पूरा महीना महुआ के सहारे ग्रामीणों के लिए आमदनी का महीना साबित होता है.

दरअसल झारखंड का लातेहार जिला महुआ के उत्पादन के दृष्टिकोण से पूरे देश में अग्रणी माना जाता है. यहां प्रत्येक सीजन में कम से कम 100 करोड़ रुपए मूल्य के महुआ का उत्पादन होता है. इसमें सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामीणों को पूंजी के नाम पर एक पैसा भी नहीं लगाना पड़ता है. अर्थात बिना पूंजी लगाए ही सिर्फ थोड़ी सी मेहनत कर ग्रामीण खूब अच्छी आमदनी कर लेते हैं.

ग्रामीणों की भाषा में बात करें तो महुआ की खेती बिना हल-बैल की खेती है. जिसमें ना तो कोई पूंजी लगानी पड़ती है और ना ही इसमें नुकसान की कोई संभावना होती है. स्थानीय ग्रामीण संतोष प्रसाद की माने तो महुआ का फसल ग्रामीण इलाके के लिए आर्थिक रीढ़ के समान होता है. उन्होंने बताया कि महुआ के पेड़ से गिरने वाले महुआ को चुनकर किसान उसे सुखाते हैं और उसे बेचकर अच्छी आमदनी करते हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में महुआ 40 से लेकर ₹50 प्रति किलो की दर से बाजार में बिक्री हो रही है.

खाने के साथ-साथ शराब बनाने में भी किया जाता है उपयोग

महुआ का उपयोग मुख्य रूप से ग्रामीणों द्वारा खाने के साथ-साथ शराब बनाने के लिए किया जाता है. बंगाल और ओडिशा में महुआ की मांग सबसे अधिक होती है. ग्रामीण जिसे महुआ व्यापारियों के पास बेचते हैं वह महुआ बंगाल, ओडिशा समेत अन्य राज्यों में बिक्री किए जाते हैं. हालांकि स्थानीय स्तर पर इसका उपयोग सिर्फ खाने या शराब बनाने में ही किया जाता है. ग्रामीण नंदलाल प्रसाद ने बताया कि महुआ का उपयोग स्थानीय लोग खाने के साथ-साथ शराब बनाने में भी करते हैं. उन्होंने बताया कि महुआ ग्रामीण क्षेत्र के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन है.

गांव में लौट आई है रौनक

इधर महुआ का सीजन आने के बाद गांव में रौनक लौट आई है. काम की तलाश में जो ग्रामीण पलायन कर बाहर चले जाते हैं, वह भी अप्रैल महीने में लौट कर अपने घर आ जाते हैं. स्थानीय ग्रामीण अरुण प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि यह स्वाभाविक है कि जब गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे तो कोई भी ग्रामीण बाहर काम करने नहीं जाएगा. महुआ का सीजन आने के बाद गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाते हैं. इसी कारण जो लोग काम की तलाश में बाहर गए होते हैं वह भी दो माह की छुट्टी लेकर वापस गांव लौट आते हैं और महुआ चुनकर अच्छी आमदनी करते हैं.

वहीं स्थानीय व्यवसायी सह चैंबर ऑफ कॉमर्स लातेहार के प्रवक्ता निर्दोष गुप्ता बताते हैं कि लातेहार जिले में महुआ ही एकमात्र ऐसी फसल है जिससे ग्रामीणों को काफी अच्छी आमदनी होती है. इसीलिए ग्रामीणों को महुआ के सीजन का इंतजार बेसब्री से होता है. उन्होंने बताया कि महुआ के फसल को स्टॉक भी करने का प्रचलन इन दोनों ग्रामीणों में काफी अधिक बढ़ा है. स्टॉक किया गया महुआ ग्रामीणों के लिए बैंक बैलेंस के समान होता है.

गांव से लेकर जंगल तक है महुआ की भरमार, जंगल की भी होती है सुरक्षा

लातेहार जिले में महुआ के पेड़ की संख्या काफी अधिक है. लातेहार का बड़ा भूभाग जंगली इलाका है, इसलिए जंगल के भाग में भी बड़ी संख्या में महुआ के पेड़ हैं. जंगल में स्थित महुआ के पेड़ के फसल पर उन्हीं ग्रामीणों का अधिकार होता है जो जंगल की सुरक्षा में भागीदारी निभाते हैं. कभी-कभी विवाद होने पर वन विभाग को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ता है. हालांकि ऐसी नौबत काफी कम आती है, क्योंकि ग्रामीण आपसी सामंजस्य से ही जंगल में स्थित पेड़ों का बंटवारा कर लेते हैं और अपने हिस्से में आए पेड़ से ही महुआ चुनते हैं.

पारंपरिक व्यवहार को बदलकर वैल्यू एडिशन करने से बढ़ेगी आमदनी

इधर इस संबंध में लातेहार वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार ने बताया कि वन उत्पाद का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को उसमें वैल्यू एडिशन करने की आवश्यकता है. महुआ के फसल के पारंपरिक उपयोग से ग्रामीणों को जितना लाभ होता है यदि उसमें कुछ वैल्यू एडिशन कर दिया जाए तो उनकी आमदनी दोगुनी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि महुआ का तेल निकालकर उसकी बिक्री करने से ग्रामीणों को काफी अच्छी आमदनी हो सकेगी.

ये भी पढ़ेंः

औषधीय गुणों से भरी ग्रामीणों के जीवन की 'डोरी', जानिए, क्या है वो

Last Updated :Apr 5, 2024, 5:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.