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चकराता के 12 गांवों में चुनाव बहिष्कार, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में भी ग्रामीणों ने नहीं दिया वोट - Election Boycott Rudraprayag

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 19, 2024, 6:48 PM IST

ELECTION BOYCOTT RUDRAPRAYAG
चकराता के 12 गांवों में चुनाव बहिष्कार

Voting Boycott in Uttarakhand उत्तराखंड के कोने-कोने से चुनाव बहिष्कार की खबरें आ रही है. चकराता विधानसभा क्षेत्र में तो 12 गांवों के लोगों ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार कर दिया. वहीं, बागेश्वर के मतयोली और रुद्रप्रयाग के इशाला व रिंगेड़ के ग्रामीण वोट देने नहीं गए. ऐसे में मतदान कर्मियों ने ग्रामीणों से वोट करने की अपील की, लेकिन ग्रामीण नहीं माने.

विकासनगर/बागेश्वर/रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर वोटिंग हुई, लेकिन कई जगहों पर लोगों की नाराजगी की वजह से वोट ही नहीं पड़े. ग्रामीणों ने पूरी तरह से वोटिंग का बहिष्कार कर दिया. बागेश्वर में सड़क और पुल की मांग को लेकर मतयोली में ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया. जिस कारण बूथ पर 5 बजे तक किसी भी ग्रामीण ने मतदान नहीं किया. वहीं, चुनाव बहिष्कार की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने उन्हें मानने का काफी प्रयास किया. फिलहाल, प्रशासन ग्रामीणों को मनाने में जुट गया है, लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अडिग हैं. उधर, रुद्रप्रयाग के इशाला और रिंगेड़ के ग्रामीण वोट देने नहीं गए. वहीं, टिहरी संसदीय सीट के चकराता के 12 गांवों में चुनाव का बहिष्कार किया.

चकराता विधानसभा क्षेत्र के 12 गांव में चुनाव बहिष्कार: टिहरी संसदीय क्षेत्र के चकराता विधानसभा क्षेत्र के 12 गांवों के लोगों ने चुनाव बहिष्कार कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि वो अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है, लेकिन तमाम नेता और विभागीय अधिकारी सड़क का निर्माण नहीं कर पाए हैं. इसलिए वो चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं.

चकराता के प्राथमिक विद्यालय मिण्डाल बूथ संख्या 82 के पीठासीन अधिकारी रतनदीप श्रीवास्तव का कहना है कि अभी तक इस बूथ पर एक भी मत नहीं पड़ा है. वो लोगों से बातचीत कर लोकतंत्र में भागीदारी कर वोट डालने के लिए समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण मान नहीं रहे हैं. बता दें 12 गांवों के 5 बूथों पर 3 हजार से ज्यादा मतदाताओं को मतदान करना था, लेकिन चुनाव बहिष्कार के चलते सन्नाटा पसरा हुआ है.

मतयोली के ग्रामीणों ने 'सड़क नहीं तो वोट नहीं' के नारे को किया बुलंद: बागेश्वर विधानसभा के मतयोली में सुबह से मतदान की प्रक्रिया सुचारू हो चुकी थी, लेकिन गांव के किसी भी मतदाता ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया. मतदाताओं ने मतदान के बहिष्कार की घोषणा आज भी जारी रही. ग्रामीण सड़क न बनने से नाराज थे. इस दौरान ग्रामीणों ने 'सड़क नहीं तो वोट नहीं' के नारे लगाए.

बता दें कि मतयोली मतदान केंद्र में 505 वोटर हैं, जिसमें किसी भी ग्रामीण ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया. ग्रामीणों का आरोप था कि सड़क के नाम पर जनप्रतिनिधियों ने हमेशा उन्हें गुमराह किया. इधर, चुनाव बहिष्कार को देख जिला निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर नाराज मतदाताओं को मनाने के लिए पीडब्ल्यूडी और वन विभाग के अधिकारियों को मौके पर जाने के निर्देश दिए गए. उनकी ओर से मतदाताओं को काफी मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया.

रुद्रप्रयाग के इशाला और रिंगेड़ के ग्रामीण नहीं गए वोट देने: रुद्रप्रयाग में भी सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर दो गांवों के ग्रामीणों ने पूरी तरह से चुनाव बहिष्कार किया. केदारनाथ विधानसभा के अंतर्गत गिरीया के ग्रामीणों का भी चुनाव बहिष्कार था, लेकिन यहां कुछ लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. जबकि, ज्यादातर ग्रामीण वोट देने नहीं गए और चुनाव बहिष्कार पर अड़िग रहे.

बता दें कि लंबे समय से केदारनाथ विधानसभा के गिरीया, इशाला के साथ ही रुद्रप्रयाग विधानसभा के रिंगेड़ तोक के ग्रामीण सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हो पाई है. रिंगेड़ के ग्रामीणों ने गुरुवार रात के समय बैठक की और शुक्रवार को मतदान नहीं किया. ग्रामीण दीपक सिंह रावत ने बताया कि 3 सालों से रिंगेड़ गांव के लिए एक किमी सड़क कटिंग का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. ठेकेदार तीन सौ मीटर सड़क काटने के बाद भाग गया है, जिस कारण ग्रामीणों को आज भी मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ रहा है.

उन्होंने बताया कि गांव में 40 परिवार निवास करते हैं, जिनमें 65 के करीब वोटर हैं. किसी भी मतदाता ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया. वहीं, दूसरी ओर केदारनाथ विधानसभा के इशाला में 289 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया. जबकि, पिलोंजी-गिरीया सड़क का निर्माण न होने पर गिरीया के ग्रामीणों ने पहले तो चुनाव बहिष्कार की बात कही, लेकिन दोपहर बाद यहां 459 वोटरों में 18 ने ही मत का प्रयोग किया.

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