ETV Bharat / state

यहां खेली जाती है जूता मार होली; लाट साहब को भैंसा गाड़ी पर बैठाकर बरसाए जाते हैं जूते

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 8:32 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

शाहजहांपुर में होली मनाने की परंपरा बेहद अनोखी (Unique Holi of Shahjahanpur) है. हालांकि इसका ऐतिहासिक महत्व है. इस अनोखी परंपरा को देखने और इसमें शामिल होने के लिए बड़ी भीड़ उमड़ती है.

शाहजहांपुर की अनोखी होली की तैयारियां पूरी. देखें खबर

शाहजहांपुर : जिले में मनाई जाने वाली होली पूरे देश में सबसे अनोखी होती है. यहां जूता मार होली खेली जाती है. होली से पांच दिन पहले ही यहां मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया है. ताकि मस्जिद पर रंग न पड़े और कोई संप्रदायिक विवाद न हो. सुरक्षा के लिहाज से मुस्लिम धार्मिक स्थलों के बाहर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाती है. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के लिए ड्रोन कैमरों से जुलूस की निगरानी की जाती है. इस साल 450 सीसीटीवी कैमरों और वीडियोग्राफी से शरारती तत्वों पर नजर रखी जाएगी.

शाहजहांपुर में होली को लेकर 24 जुलूस निकलते हैं. जिनमें दो प्रमुख जुलूस शहर में निकलते हैं. पहला बड़े लाट साहब का जुलूस दूसरा छोटे लाट साहब का जुलूस. जिसमें एक शख्स को लाट साहब बनाकर भैंसा गाड़ी पर बैठाया जाता है और फिर उसे जूते और झाड़ू मार कर पूरे शहर में घुमाया जाता है. इस दौरान आम लोग लाट साहब पर जूते भी फेंकते हैं. जुलूस में बड़ी संख्या में लोगों का हुड़दंग होता है. जुलूस में पहले कई बार ऐसा हुआ कि जब मस्जिद में लोगों ने रंग डाल दिया और विवाद की स्थिति पैदा हो गई. इसके बाद से ही जुलूस के रास्ते में पड़ने वाली मस्जिदों को पूरी तरीके से होली के 5 दिन पहले से ढक दिया जाता है. इसी कड़ी में धार्मिक स्थलों को पूरी तरीके से त्रिपाल से ढका गया है. इसमें 45 मस्जिदें, तीन मदरसे, 10 मजारें और 6 कब्रिस्तान शामिल हैं. इसके अलावा बैरीकेडिंग और जाल भी लगाया गया है.


लाट साहब के जुलूस की परंपरा पुरानी : शाहजहांपुर में निकलने वाले लाट साहब के जुलूस की परंपरा बेहद ही पुरानी है. अंग्रेजों ने जो जुल्म हिन्दुस्तानियों पर किए बह दुख आज भी हर किसी के दिल में मौजूद है. यही कारण है कि यहां के लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते हैं. लाट साहब के इस जुलूस में अंग्रेज के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बिठाते हैं और उसे जूते और झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है. लाट साहब का पहला जुलूस थाना कोतवाली के बड़े चौक से और दूसरा जुलूस थाना आरसी मिशन के सराय काईया से निकाला जाता है. जुलूस चार खंबा, केरूगंज, बेरी चौकी, अंटा चौराहा, खिरनीबाग होते हुए सदर बाजार थाने पहुंचता है. यहां पर भी सदर थाने के प्रभारी निरीक्षक लाट साहब को उपहार देते हैं. इसके बाद जुलूस बाबा विश्वनाथ मंदिर पहुंचता है यहां मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. दूसरा लाट साहब का बड़ा जुलुस थाना रामचंद्र मिशन क्षेत्र में सरायकाइयां से निकाला जाता है. रास्ते में जगह-जगह लोगों द्वारा लाट साहब के ऊपर रंग उड़ेला जाता है और जूते और झाड़ू से स्वागत किया जाता है. जुलूस सराय काइयां चौकी से चलकर तारीन गाड़ीपुरा, पक्का पुल, दलेलगंज, गढ़ी गाड़ीपुरा पुत्तूलाल चौराहा से होते हुए पुन: सराय काइयां पर आकर खत्म होता है.


पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा का कहना है कि 25 तारीख को बड़े लाट साहब और छोटे लाट साहब का जुलूस निकलना है. उसके लिए सुरक्षा को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. एक कंपनी आरएएफ और एक कंपनी पीएसी इसके अलावा 2000 का फोर्स है. 450 सीसीटीवी कैमरे जिनका फीड हमारे पास है. जुलूस का रूट ड्रोन कैमरे से कवर रहेगा. जिला अधिकारी उमेश प्रताप सिंह का कहना है कि दोनों जुलूस के लिए हिंदू समुदाय और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक गुरु आए थे. उनके साथ बैठक की गई थी. हमने तैयारी पूरी कर ली है. धार्मिक स्थलों को ढकने की परंपरा चार-पांच सालों से जारी है. हम लोग नजर बनाए रहेंगे कि किसी की धार्मिक भावना आहत न हो.

यह भी पढ़ें : Holi 2023: रंगभरी एकादशी के साथ यूपी में शुरू हुई होली, नाचते गाते नजर आए लोग

यह भी पढ़ें : होली गीतों पर झूम कर नाचीं हाइडल क्लब की महिलायें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.