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मास्टर अमित शाह की क्लास में स्टूडेंट बने सीएम-डिप्टी सीएम समेत बड़े नेता, नोट किया जीत का फॉर्मूला - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 2, 2024, 10:59 PM IST

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को सीएम योगी समेत भाजपा के कई बड़े नेताओं को जीत का फॉर्मूला समझाया. इस दौरान शाह टीचर की भूमिका में नजर आए.

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हों या उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, सभी के हाथ में एक-एक नोटबुक थी और हाथ में कलम. साथ में बैठे थे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक और देश के गृहमंत्री अमित शाह. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में तीसरे चौथे और पांचवें चरण में जिन जिलों में चुनाव होना है, वहां के वरिष्ठ नेता भी इस मौके पर मौजूद थे. चुनाव के दौरान क्या करना है. विरोधियों के प्रचार और दुष्प्रचार का किस तरह से जवाब देना है, भाजपा की प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित हो, इसके लिए क्या-क्या होना चाहिए, इन सारे बिंदुओं को जब अमित शाह समझा रहे थे तो बड़े-बड़े नेता नोटबुक पर उसको नोट करते हुए नजर आ रहे थे.

मास्टर की भूमिका में अमित शाह की क्लास में गुरुवार की रात बीजेपी के बड़े-बड़े नेता विद्यार्थी के रूप में नजर आए. साल 2014 से उत्तर प्रदेश की राजनीति पर खास नजर रखने वाले अमित शाह जीत के हिट फार्मूले से नेताओं को अवगत कराते हुए नजर आए. कानपुर रोड स्थित होटल में बीजेपी के बड़े नेता अमित शाह के सामने मौजूद थे.

इन सीटों को लेकर अमित शाह ने की चर्चा

तीसरे चरण में संभल, हाथरस, आगरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला और बरेली में चुनाव होना है. 7 मई को वोट पड़ने हैं. चौथे चरण में शाहजहांपुर खीरी, धौरहरा, सीतापुर,हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और बहराइचसीट में मतदान होना है. यहां मतदान 13 में को होगा. जबकि पांचवें चरण में मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी,जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर,कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा सीटों पर चुनाव होना है. इन सीटों पर 20 में को चुनाव होगा.

कई वीवीआईपी सीट पर शाह की नजर

गृहमंत्री अमित शाह की नजर मुख्य रूप से उन सीटों पर बात की, जहां भारतीय जनता पार्टी कड़े मुकाबले में है. सम्भल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बदायूं, कन्नौज, कानपुर, रायबरेली, अमेठी और कैसरगंज वह सीट हैं, जिन पर अमित शाह खास दृष्टि लगाए हुए हैं. यहां के लिए खास रणनीति पार्टी की है ताकि जहां भाजपा कमजोर है, वहां पर काम किया जा सके.

अमित शाह के सुझाए हुए मुद्दे

अमित शाह ने यहां आए नेताओं को सीख दी है कि वे तुष्टिकरण की राजनीति को लेकर कांग्रेस और समाजादी पार्टी पर जमकर निशान लगाएं. कहा कि इंडी गठबंधन के शहजादे ने चुनाव की शुरुआत भारत जोड़ो यात्रा के साथ की थी लेकिन 4 जून के बाद कांग्रेस ढूंढो यात्रा के साथ इसका समापन होगा. उन्होंने कहा कि जनता के बीच नेता यह संदेश दें कि दो चरणों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी दूरबीन लेकर भी नजर में नहीं आ रही है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सेंचुरी लगाकर 400 पार की राह पर आगे निकल गए हैं.

राम मंदिर की जरूर हो बात

अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने 70 वर्षों तक श्री राम मंदिर के मुद्दे को अटका कर रखा था, लेकिन देश की जनता ने मोदी को दूसरी बार प्रधानमंत्री बनाया तो 5 वर्षों में ही कोर्ट का फैसला आ गया, भूमि पूजन भी हो गया और भव्य राम मंदिर भी बनकर तैयार हो गया है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, डिम्पल यादव, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को मंदिर ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया था लेकिन वोट बैंक की राजनीति के कारण ये लोग वहां नहीं पहुंचे.

अनुच्छेद 370 भी हो मुद्दा

अमित शाह ने कहा कि लोगों को समझाया जाए कि कांग्रेस ने 70 वर्षों तक धारा 370 को बूढ़े व्यक्ति की पूंजी की तरह संभाल कर रखा, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 370 को जड़ से समाप्त पूरे कश्मीर में भारत का तिरंगा शान से लहराने का कार्य किया. 370 को हटाने के लिए लाए गए बिल के समय संसद में राहुल गांधी ने कहा था कि धारा 370 हटाई तो कश्मीर में खून की नदियां बह जाएंगी, लेकिन खून की नदियां तो छोड़िए 5 वर्षों में कंकड़ उठाने की भी किसी की हिम्मत नहीं हुई है.

परिवार के लोगों को ही क्यों दिया टिकट

अमित शाह ने यहां आए नेताओं को एक और मुद्दा सुझाया, यादवों का नेता बताने वाले सपा प्रमुख ने अपने परिवार में पांच लोगों को टिकट दिया है. मैनपुरी से अपनी पत्नी डिंपल यादव, बदायूं से आदित्य यादव, फिरोजबाद से अक्षय यादव, आजमगढ़ से धर्मेन्द्र यादव को टिकट दिया है और कन्नौज से स्वयं अखिलेश यादव लड़ रहे हैं. अखिलेश खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और सोनिया अपने बेटे को प्रधानमंत्री बनाना चाहती हैं. अपने परिवारजनों को सत्ता में बिठाने के लिए राजनीति करने वाले लोग देश के युवाओं का कभी भला नहीं कर सकते.

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