श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमयज्ञ कल से, जानिए इसके लिए कितने मंडप बने और क्या है इनका महत्व - Mahakaleshwar temple Somayyagya

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 7 hours ago

Mahakaleshwar temple Somayyagya
श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमयज्ञ कल से (ETV BHARAT)

उज्जैन जिले में पर्याप्त वर्षा, अच्छी फसल, पर्यावरण संतुलन के उद्देश्य से सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान शुरू हो रहा है. ये सोमयज्ञ शनिवार से श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में शुरू होगा.

उज्जैन में सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयज्ञ का आयोजन (ETV BHARAT)

उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में समय-समय पर उत्तम जलवृष्टि के लिए अनुष्ठान किया जाता है. वहीं सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयज्ञ का आयोजन श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 4 मई से 09 मई तक किया जाएगा. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति यह सोमयज्ञ जनकल्याण की भावना से करा रही है. ये सोमयज्ञ श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग व श्री ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया जा चुका है.

सोमयज्ञ में चारों वेदों के विद्वान होंगे शामिल

सोमयज्ञ में चारों वेदों के विद्वानों के चार-चार के समूह में सोलह ऋत्विक (ब्राह्म्ण) होते हैं. हर ऋत्विक का कार्य व कर्म सुनिश्चित होता है, उन्हें देवता के रूप में मन्त्र वरण होता है. सोमयज्ञ में 16 ऋत्विक के साथ एक अग्निहोत्री दीक्षित दंपती यजमान के रूप में समाज के प्रतिनिधि स्वरूप सम्मिलित होती है. महाराष्ट्र से सोमयज्ञ हेतु आये विद्वानों के मार्गदर्शन में अलग-अलग मण्डप बनाये गये हैं. जिनका नाम क्रमशः प्राग्वंश, हविर्धान, आग्निध्रीय, सदोमंडपम्, प्रधान यज्ञवेदी (उत्तरवेदी), चारों दिशाओं में पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर द्वार के साथ विभिन्न कुण्डों का ईटों, पीली मिट्टी व गाय के गोबर से निर्माण किया गया है.

यज्ञ कार्यक्रम का ब्यौरा इस प्रकार है

द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ दिवस प्रतिदिन दो-दो प्रवर्ग होंगे. सम्पूर्ण यज्ञ के दौरान कुल 06 प्रवर्ग किए जाएंगे. द्वितीय दिवस- प्रातः 12:00 से 01:00 के मध्य व सायं 05:00 से 06:00 के मध्य. तृतीय दिवस- प्रातः 10:00 से 11:00 के मध्य व सायं 05:00 से 07:00 के मध्य. चतुर्थ दिवस - प्रातः 08:00 से 09:00 के मध्य व प्रातः 10:00 से 11:00 के मध्य. सोमयज्ञ का उद्देश्य वातावरण में शुद्धि उत्पन्न कर प्राणवायु को शुद्ध करना है. इनका अलग-अलग महत्व है. सोमयज्ञ के अंतर्गत भी कई प्रकार के यज्ञ हैं. यज्ञ चाहे जितने प्रकार के हों, सबकी उत्पत्ति अग्निष्टोम से ही है. सोमवल्ली लता वनस्पति से सोमरस साधित होने के कारण लोग उसे सोमयज्ञ कहते हैं.

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किस काम के लिए कौन सा यज्ञ

  • अग्निष्टोम - अपने आसपास के वातावरण की शुद्धिपूर्वक सुवृष्टि हेतु
  • अत्यग्निस्तोम - वर्षा हेतु किया जाता है
  • ज्योतिरूक्थ्थ - मन की शांति के लिए
  • षोडशी - जनमानस के आरोग्य के लिए
  • अतिरात्र - दीर्घआयुष हेतु
  • आप्तोर्याम - सम्पूर्ण समाज के कल्याण व समृद्धि हेतु
  • वाजपेय - अच्छी फसल व धरती की उवरक क्षमता में वृद्धि हेतु
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