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मातृ शोक के बावजूद होली मिलन समारोह में शामिल हुईं सांसद गीता कोड़ा, कांग्रेस और आदिवासी समाज ने बताया निंदनीय

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 10, 2024, 6:59 AM IST

MP Geeta Koda in Holi Milan ceremony.
MP Geeta Koda in Holi Milan ceremony.

MP Geeta Koda in Holi Milan ceremony. सांसद गीता कोड़ा अपनी मां क निधन के तीन दिनों के अंदर ही होली मिलन समारोह में शामिन हुईं. कांग्रेस और आदिवासी नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई और इसे निंदनीय बताया.

सरायकेला: सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा को बीजेपी द्वारा उम्मीदवार बनाये जाने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता पूरे जोश में हैं. कार्यकर्ता जगह-जगह गीता कोड़ा के लिए अभिनंदन समारोह का आयोजन कर रहे हैं. सांसद गीता कोड़ा भी इन समारोहों में शामिल हो रही हैं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रही हैं. लेकिन, इसी बीच 6 मार्च को उनकी मां का निधन हो गया. इसके बावजूद वह स्वागत समारोह और होली मिलन समारोह में शामिल होती नजर आईं, जिस पर कांग्रेस और आदिवासी समाज ने नाराजगी जताई है और इसे निंदनीय बताया है.

आतिशबाजी कर किया गया सांसद का स्वागत

दरअसल, 9 मार्च शनिवार को सांसद गीता कोड़ा का सरायकेला जिले में स्वागत और भ्रमण कार्यक्रम तय था. पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत गीता कोड़ा सबसे पहले सरायकेला, गम्हरिया, आदित्यपुर और आरआईटी बीजेपी मंडल पहुंचीं, जहां आगमन पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल बजाकर और आतिशबाजी कर सांसद का स्वागत किया. इससे ठीक तीन दिन पहले उनकी मां कल्पना बिरुली का निधन हो गया था. उनका अंतिम संस्कार चाईबासा जिले के झींकपानी प्रखंड के माटागुट्टू में किया गया.

अंतिम संस्कार के ठीक तीन दिन बाद शनिवार की देर शाम सांसद अपने पति मधु कोड़ा के साथ आदित्यपुर एस टाइप दुर्गा पूजा मैदान में आयोजित होली मिलन समारोह में शामिल होने पहुंचीं. सांसद का भव्य स्वागत किया गया, मंच से सांसद ने भीड़ को संबोधित भी किया. इस पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है. इसकी आलोचना की जा रही है.

भाजपा को सत्ता की चिंता है, हिंदुत्व की नहीं: अंबुज

मातृ शोक के तीसरे दिन सांसद का अभिनंदन और होली मिलन समारोह में शामिल होने के मामले पर सरायकेला-खरसावां जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबुज कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बीजेपी सिर्फ हिंदुत्व की बात करती है, उन्हें इससे कोई लेना-देना नहीं है. वे सत्ता के आगे न परिवार देखते हैं, न धर्म, न समाज देखते हैं. यही बीजेपी की संस्कृति है.

समाज के नियमों पर हमला : सिंकू

पश्चिमी सिंहभूम जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकू ने भी इसकी आलोचना की. उन्होंने कहा कि आदिवासी हो समाज इस बात की इजाजत नहीं देता कि कोई व्यक्ति मातृ शोक में हो और वह स्वागत और होली मिलन जैसे समारोह में शामिल हो. ऐसा करना साफ तौर पर सत्ता का लालच दिखाता है. उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की तरह आदिवासी समाज में भी 14 दिनों तक शोक मनाया जाता है. लेकिन समय की कमी और विविधता के कारण आजकल लोग दो या तीन दिन में ही अनुष्ठान पूरा कर लेते हैं. इसके बावजूद ऐसे आयोजनों में भाग लेना हो समाज के नियमों पर भी कुठाराघात है.

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